प्रचंड गर्मी और बाजार में कम आवक के बीच, सितंबर तक सब्जियों की कीमतों में राहत मिलने की उम्मीद नहीं है. सितंबर में सब्जियों की आवक जब बढ़ेगी, तभी इनके भाव भी नीचे आना शुरू होंगे. दक्षिण-पश्चिम मॉनसून तेजी पकड़ रहा है. जून में मॉनसून थोड़ा सुस्त रहने के बाद, अब अपनी सामान्य तारीख से 6 दिन पहले यानी 2 जुलाई को मॉनसून पूरे देश में पहुंच चुका है.
आगे भी, मौसम विभाग का अनुमान है कि जुलाई में बारिश सामान्य से ज्यादा रहने की संभावना है. ये लंबी अवधि के औसत का 106% से अधिक है. फिर भी, अब तक कम बारिश होने और जून में देश के बड़े हिस्से में लू चलने के कारण, कई जल्दी खराब होने वाली चीजों की कीमतों में बढ़ोतरी जारी है, क्योंकि उनकी बाजार में आवक गिरी है, इसका बड़ा असर टमाटर, प्याज और आलू जैसी प्रमुख सब्जियों की कीमतों में बढ़ोतरी के रूप में देखा जा रहा है.
मुंबई में प्याज और आलू की रिटेल कीमतें इस समय एक साल पहले के मुकाबले दोगुना हैं, जबकि टमाटर की कीमतें करीब 60% बढ़ी हैं. प्याज इस वक्त 50 रुपये प्रति किलोग्राम से ज्यादा के भाव पर बिक रहा है, जबकि मुंबई में टमाटर 80 रुपये प्रति किलो से ऊपर निकल गया है.
बैंक ऑफ बड़ौदा के चीफ इकोनॉमिस्ट, मदन सबनवीस ने कहा कि इन चीजों की कीमतों में बड़ी बढ़ोतरी देखी गई है और इससे निकट अवधि में खाद्य महंगाई दर ऊंची रहने की संभावना है. सबनवीस ने कहा कि संबंधित फसल और दक्षिण-पश्चिम मॉनसून ट्रैजेक्टरी के आधार पर, सितंबर तक कीमतें और बढ़ने की संभावना है, जब ताजा आवक बाजार में आएगी.
निर्मल बंग इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज की अर्थशास्त्री टेरेसा जॉन ने कहा कि भारी मॉनसून के कारण भी आम तौर पर जुलाई और अगस्त में कीमतें बढ़ जाती हैं.
डॉयशे बैंक के चीफ इकोनॉमिस्ट कौशिक दास के मुताबिक - खाद्य और पेय पदार्थों की कीमतों में जून में महीने-दर-महीने 2.4% और साल-दर-साल 8% की बढ़ोतरी की संभावना है, जबकि मई में महीने-दर-महीने 0.7% और सालाना 7.9% की बढ़ोतरी हुई थी. दास ने कहा कि खाद्य और पेय पदार्थों की ऊंची कीमतों से जून में CPI महंगाई 5% के करीब पहुंचने की संभावना है.