दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार को स्पष्ट किया कि फूडफार्मर के नाम से मशहूर रेवंत हिमतसिंगका (Revant Himatsingka) को बोर्नविटा (Bournvita) और टैंग (Tang) जैसे जाने-माने प्रोडक्टस के बारे में अपमानजनक वीडियो बनाना बंद करे.
हालांकि अमित बंसल की बेंच ने इस बात को रेखांकित किया कि तथ्यों को बताने पर कोई रोक नहीं है, और ये कि फूडफार्मर अपने वीडियो या पोस्ट में तथ्यात्मक बयान देना जारी रख सकता है.
पिछले साल की शुरुआत में एक न्यूट्रिशनिस्ट और हेल्थ कोच रेवन्त हिमतसिंगका (Revant Himatsingka) ने ट्विटर और यूट्यूब के अपने चैनल फूड फार्मर (Food Pharmer) पर एक वीडियो डाला था. इसमें दावा किया गया था कि Mondelez India के बोर्नविटा में चीनी ज्यादा है. तब इस प्रोडक्ट को बनाने वाली कंपनी Mondelez India ने फूड फार्मर को लीगल नोटिस भेजा दिया था.
आपको बता दें सोशल मीडिया के दबाव में कई बड़ी कंपनियों ने अपने प्रोडक्ट्स में चीनी की मात्रा को कम किया है. रेवन्त हिमतसिंगका के वीडियो की वजह से नेस्ले जैसी बड़ी कंपनी ने मैगी केचप (Maggi Ketchup) के साथ-साथ कई प्रोडक्टस में चीनी की मात्रा को कम किया. यही नहीं हाल ही में नेस्ले ने शुगर फ्री बेबी फूड भी मार्केट में लान्च किया है.
15 अक्टूबर को, हाई कोर्ट ने एक अंतरिम आदेश पारित किया, जिसमें फूडफार्मर को टैंग या बोर्नविटा से संबंधित अपमानजनक पोस्ट या वीडियो पोस्ट करना बंद करने का निर्देश दिया गया था. मोंडेलेज बोर्नविटा, टैंग, कैडबरी ओरियो और इसी तरह के प्रोडक्टस की मूल कंपनी है.
पिछले साल FoodPharmer ने बोर्नविटा की भ्रामक मार्केटिंग रणनीति के बारे में एक वीडियो बनाया. इस वीडियो में फूडफार्मर बताया कि ब्रांड अपने यूजर्स को लंबा और ताकतवर बनाने का वादा करता है, जबकि इसमें अनिवार्य रूप से 50% सिर्फ चीनी है.
इसके लिए FoodPharmer ने बस पैकेजिंग के पीछे दी की गई पोषण संबंधी जानकारी का उल्लेख किया. इस वीडियो को सरकार सहित समाज के सभी वर्गों से भारी समर्थन मिला. इसके बात मोंडेलेज ने बोर्नविटा में चीनी की मात्रा को 15% तक कम किया था.