लोकसभा के पटल पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने UPA सरकार के 10 साल और NDA सरकार के 10 पर गुरुवार को श्वेत पत्र (White Paper) रखा था. आज लोकसभा में उस पर चर्चा हो रही है. चर्चा की शुरुआत वित्त मंत्री ने कांग्रेस पर आरोपों की झड़ी लगाते हुए की.
उन्होंने सदन को बताया कि कैसे UPA सरकार ने 2004-2014 के दौरान, अपने 10 वर्षों में देश को आर्थिक संकटों के बीच धकेल दिया था, उन्होंने UPA सरकार के दौरान हुए तमाम घोटाले गिनाए, और अपनी सरकार की उपलब्धियां भी रखीं. उन्होंने बताया कि जब साल 2024 में प्रधानमंत्री मोदी ने सत्ता हाथ में ली, तो देश की इकोनॉमी की हालत क्या थी, और उन्होंने कैसे उसे उबारा और दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी इकोनॉमी बनाया.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि ये व्हाइट पेपर भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर है, जिसमें इकोनॉमी से जुड़े तथ्य रखे गए हैं. इसमें बताया गया है कि कैसे भारत को फ्रेजाइल 5 से टॉप-5 इकोनॉमी में लाया गया है. उन्होंने कहा कि मैं आपके सामने बीते 2 दशकों में क्या हुआ सामने रखना चाहती हूं.
वित्त मंत्री ने कहा कि इन 2 दशकों में 10 साल में एक सरकार के पास एक संकट था, दूसरे के पास दूसरा संकट था, लेकिन दोनों ने इन संकटों को अलग अलग तरीके से संभाला. UPA सरकार को लेकर उन्होंने कहा कि जब आप राष्ट्र को सर्वोपरी नहीं रखते हैं, परिवार को ऊपर रखते हैं तो क्या अंजाम होता है.
उन्होंने कहा कि 2008 में जब ग्लोबल मंदी थी, लेकिन सरकार की नीयत साफ नहीं थी, हमारी सरकार के दौरान कोविड का संकट था, लेकिन हमारी सरकार की नीयत साफ थी. उन्होंने कहा कि UPA के समय 2008 की ग्लोबल मंदी थी लेकिन, कोविड जितनी खतरनाक स्थिति नहीं थी. UPA सरकार ने ग्लोबल मंदी को संभालने की बजाय घोटाले पर घोटाले किए. वित्त मंत्री ने कहा कि UPA सरकार देश को जिस गंभीर अवस्था में छोड़कर गई थी, वहां से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी निकालकर लाए.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारण ने UPA सरकार के कार्यकाल में हुए घोटालों का पूरा कच्चा चिट्ठा खोलते हुए सदन को बताया कि 12 दिनों के कॉमनवेल्थ गेम्स में क्या हुआ पूरी दुनिया जानती है, करोड़ों रुपये का घोटाला हुआ. कॉमनवेल्थ गेम्स एक फ्लॉप शो साबित हुआ, दुनिया भर में भारत की बदनामी हुई. जबकि दूसरी हमने G20 का आयोजन किया, जिसकी पूरी दुनिया में तारीफ हुई.
उन्होंने कहा कि कोयला घोटाले को लेकर बात होनी चाहिए, इसका क्या नतीजा हुआ ये भी जानना चाहिए. UPA ने कोयला घोटाला करके देश का बहुत बड़ा नुकसान किया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि आवंटन का तरीका बिल्कुल गलत है, पिछले दरवाजे के जरिए अवैध तरीके से आवंटन किया गया था. कांग्रेस की सरकार ने गुटखा कंपनी को भी कोयला माइनिंग का लाइसेंस दे दिया था.
CAG की रिपोर्ट में कहा गया कि कोयला घोटाले से देश को 1.68 लाख करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाया गया. यही वजह थी कि सुप्रीम कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए 2014 कोल ब्लॉक के लाइसेंस को रद्द कर दिया. जिसकी वजह से देश पर बहुत बुरा असर हुआ. कोयला घोटाले की वजह से नौकरियां गईं, निवेश रुक गया, छोटे उद्योग ठप पड़ गए, बिजली की सप्लाई के लिए कोयला इंपोर्ट करना पड़ा, जबकि देश में कोयला भरपूर है.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा UPA सरकार की गलतियों को हमने सुधारने का काम किया है. हमने साल 2015 में 'कोल माइन स्पेशल प्रॉविजन एक्ट' को पास करवाया.MMDR अमेंडमेंट एक्ट 2015 'डिस्ट्रक्ट मिनरल फंड' भी बनाया. ऑटोमैटिक रूट के जरिए 100% FDI लाने के लिए दरवाजे खोले. कमर्शियल कोल माइनिंग ओपन पॉलिसी लेकर आए, 2020 से 9 बार ऑक्शन के जरिए कोल ब्लॉक का एलोकेशन हुआ और हमने पीछे के दरवाजे से कोल ब्लॉक भाई-भतीजों, दोस्तों और रिश्तेदारों के बीच नहीं बांटा.
वित्त मंत्री ने कहा कि कांग्रेस ने कोयला को राख बनाया, हमने अपनी नीतियों के तप से कोयले को हीरा बना दिया. वही हीरा खनिज क्षेत्र में डिस्ट्रिक्ट मिनरल फाउंडेशन के रूप में अपनी चमक फैला रहा है, डिस्ट्रिक्ट मिनरल फंड से सभी राज्यों से 84,900 करोड़ रुपये का कलेक्शन हुआ है.
छत्तीसगढ़ में 12,000 करोड़ रुपये का DMF कलेक्शन हुआ
झारखंड में 11,600 करोड़ रुपये का DMF कलेक्शन हुआ
कर्नाटक में 4467 करोड़ रुपये का DMF कलेक्शन हुआ
राजस्थान में 8730 करोड़ रुपये का DMF कलेक्शन हुआ
मेघालय में 90 करोड़ रुपये का DMF कलेक्शन हुआ
वित्त मंत्री ने बताया कि कैसे कांग्रेस कार्यकाल में बैंकों पर दबाव बनाकर अपने पसंदीदा लोगों को लोन दिलवाया जाता था. उन्होंने एक किस्सा सुनाया - 1976 में SBI के चेयरमैन आर के तलवार थे, इमरजेंसी के वक्त में उन्होंने सरकार के एक दोस्त को लोन नहीं दिया, तो सरकार ने उन्हें चेयरमैन पद से हटा दिया और CBI से उनको जबरदस्त तरीके से सताया गया.
उन्होंने एक और किस्सा सुनाया - 1950 में मुंद्रा घोटाला हुआ था. कोलकाता के एक उद्योगपति थे हरिदास मुंद्रा, उनकी डूबती हुई कंपनी में LIC के जरिए 1.26 करोड़ रुपये का निवेश करवाया गया. लेकिन जब ये घोटाला बाहर आया तो उस समय के वित्त मंत्री टी टी कृष्णामचारी को बलि का बनाकर हटा दिया गया.
बैंकों के बढ़ते NPA को लेकर वित्त मंत्री ने कहा कि UPA सरकार में सिफारिशों की सौगात से ही NPA संकट शुरू हुआ. आधा-अधूरा कोलैटरल देकर लोन दिया गया. जब हमने NPA को ठीक करने की शुरुआत की तो हमें पता चला कि कांग्रेस के जमाने में जिन्हें 1 करोड़ रुपये का लोन दिया गया, तो कोलैटरल 30 लाख रुपये तक भी नहीं था.
'साल 2013 में पब्लिक सेक्टर बैंकों में ग्रॉस NPA बढ़कर 12.3% तक पहुंच गया था. UPA के कार्यकाल में कॉस्ट ऑफ फंड्स और कॉस्ट ऑफ डिपॉजिट सबकुछ बढ़ गया था. बैंकों ने लोन देने का काम बंद कर दिया था. बैंकों ने डूबते हुए कर्जों को पहचाना तक नहीं.
वित्त मंत्री ने कहा कि मार्च 2014 में टॉप 200 कंपनियों पर बैंकों का 8.6 लाख करोड़ रुपये बकाया था, और इनकी कोई पहचान तक नहीं की गई. जब हम सरकार में आए तो हमने बैंकों का रीकैपिटलाइजेशन किया. बैंकों के एसेट क्वालिटी का रिव्यू किया, प्रॉविजनिंग, बैंक ब्यूरो को बनाया, फोन करके लोन दिलाने की परंपरा को बंद किया. हमारी सरकार IBC कानून को लेकर आई जिससे इन मामलों को जल्द से जल्द निपटाया जा सके और बैंकों को पैसा मिल सकें. हमने बैंकों का विलय किया, प्रोफेशनल बोर्ड और इंडिपेंडेंट डायरेक्टर्स की नियुक्तियां कीं.
वित्त मंत्री ने कहा कि हमारी सरकार के इन कदमों का अच्छा असर हुआ, जिसका जिक्र हमने व्हाइट पेपर में किया है. ग्रॉस NPA रेश्यों को हम 3.2% पर लेकर आए, जो कई वर्षों में सबसे कम है. इन कदमों से पब्लिक सेक्टर बैंकों का मुनाफा जो सिर्फ 37,000 करोड़ रुपये था उसे हमने 1.08 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचाया. आज PSBs मुनाफा कमा रहे हैं.
बैंक अब सरकार को रिकॉर्ड डिविडेंड दे रहे हैं. जिससे जनकल्याण के काम हम कर पा रहे हैं. जो बैंक UPA कार्यकाल में कर्जों में डूबे हुए थे, आज जनकल्याण के कामों का स्तंभ बन रहे हैं. शेड्यूल्ड कमर्शियल बैंकों का बैलेंस शीट 2023 में 12% बढ़ा है, जो कि 9 वर्षों में सबसे ज्यादा है.