सोशल मीडिया मैनेजर, डेटा साइंटिस्ट, कस्टमर सक्सेस मैनेजर, AI इंजीनियर... दो-ढाई दशक पहले ऐसे जॉब्स के बारे में सोचा भी नहीं जा सकता था. ऐसी जॉब, ऐसे पद अस्तित्व में भी नहीं थे, लेकिन आज हालात इस कदर बदल चुके हैं कि इस साल जॉब पाने वाला हर 10वां कर्मी, ऐसे पदों पर जॉब कर रहा है.
प्रोफेशनल नेटवर्किंग प्लेटफॉर्म लिंक्डइन (linkedIn) की ओर से वर्क नेचर में आए बदलावों पर की गई एक स्टडी में ये जानकारी सामने आई है. ये स्टडी दुनिया भर के 5,000 से अधिक कारोबारी दिग्गजों के बीच कराए गए सर्वे पर आधारित है.
लिंक्डइन के मुताबिक, वर्कप्लेस पर रोजगार का ट्रांसफॉर्मेशन काफी तेज गति से हुआ है. साल 2024 में नौकरी पाने वाला हर 10वां कर्मी ऐसे पदों पर काम कर रहा है, जिनका साल 2000 में वजूद भी नहीं था. वहीं एक और सवाल के जवाब में पता चला है कि जॉब में बने रहने के लिए केवल एक्सपीरिएंस यानी अनुभव होना पर्याप्त नहीं है.
हाल के कुछ वर्षों में ऐसे पद अस्तित्व में आए हैं. लिंक्डइन के मुताबिक, अब वर्कप्लेस पर सस्टेनेबिलिटी मैनेजर, AI इंजीनियर, डेटा साइंटिस्ट, सोशल मीडिया मैनेजर और कस्टमर सक्सेस मैनेजर जैसी भूमिकाएं सामान्य हो गई हैं.
आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI) जैसी नई टेक्नोलॉजी का उदय और सस्टेनेबल प्रवृत्ति पर बढ़ता ध्यान, इन नई भूमिकाओं की मांग के पीछे प्रमुख कारण हैं.
लिंक्डइन की स्टडी के मुताबिक, देश के 82% कारोबारी दिग्गज इस बात से सहमत हैं कि कामकाज में बदलाव की रफ्तार तेज हो रही है. इसकी वजह ये है कि नई भूमिकाओं, स्किल और टेक्नोलॉजी की मांग बढ़ रही है.
कंपनियां 2025 में AI को तेजी से अपनाने पर जोर दे रही हैं. वे अपने कर्मचारियों को बेहतर बनाने और उन्हें फिर से कुशल बनाने में भी सार्थक निवेश कर रही हैं. AI को अपनाना सिर्फ गति से संबंधित नहीं है, ये टीमों को सशक्त बनाने, इनोवेशन को बढ़ावा देने और सफल होने के लिए तैयार लचीले कार्यबल बनाने के बारे में भी है.रुचि आनंद, इंडिया हेड, लिंक्डइन टैलेंट सॉल्यूशंस
वैश्विक कारोबारी दिग्गजों ने जनरेटिव AI की बदलाव लाने की क्षमता को स्वीकार किया है. 10 में से 7 कारोबारी दिग्गजों ने कहा है कि अगले साल यानी साल 2025 में वे अपने ऑपरेशन में AI टूल्स को प्राथमिकता से अपनाएंगे.
रिपोर्ट के मुताबिक, देश (भारत) में 69% HR प्रोफेशनल्स को लगता है कि काम पर उनसे अपेक्षाएं पहले से अधिक हो चुकी हैं. वहीं 60% पेशेवरों का कहना है कि सिर्फ अनुभव अब रेस में बने रहने (कंपटीटिव) के लिए पर्याप्त नहीं है. करियर में आगे बढ़ना काफी कुछ AI को अपनाने की क्षमता पर निर्भर करता है.