तोड़फोड़, आगजनी, हिंसा... पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश के हालात कुछ ज्यादा ही खराब होते जा रहे हैं. प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे की मांग को लेकर बांग्लादेश के विभिन्न हिस्सों में प्रदर्शन और आंदोलन उग्र होता जा रहा है.
प्रदर्शनकारियों और सत्तारूढ़ आवामी लीग के समर्थकों के बीच भीषण झड़पों में 14 पुलिसकर्मियों सहित अब तक 97 लोगों की मौत हो गई है, जबकि इस हिंसा में सैकड़ों लोगों के घायल होने की खबर है.
हिंसा को देखते हुए यहां मोबाइल इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई है और अनिश्चितकाल के लिए पूरे देश में कर्फ्यू लागू कर दिया गया है. हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बीच लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने सोमवार, मंगलवार और बुधवार को तीन दिवसीय सामान्य अवकाश की घोषणा की है.
भारत सरकार ने बांग्लादेश में रह रहे अपने नागरिकों से संपर्क में रहने और सतर्क रहने को कहा है.
विदेशी निवेशकों के चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (Foreign Investors’ Chamber of Commerce and Industry) के प्रेसिडेंट जावेद अख्तर ने कुछ दिन पहले कहा था कि कर्फ्यू और इंटरनेट शटडाउन से इकोनॉमी पर 10 बिलियन डॉलर का असर पड़ने का अनुमान है, जिससे लागत में और बढ़ोतरी होने की आशंका है.
बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में आरक्षण व्यवस्था के मुद्दे पर बवाल शुरू हुआ. और ऐसा नहीं है कि ये अचानक से आज-कल में ही शुरू हुआ. पहले भी इसको लेकर विरोध प्रदर्शन हो चुके हैं. प्रदर्शनकारी इस कथित विवादास्पद रिजर्वेशन सिस्टम को खत्म करने की मांग कर थे, जिसके तहत बांग्लादेश मुक्ति संग्राम (1971) में हिस्सा लेने वाले लड़ाकों के रिश्तेदारों को सरकारी नौकरियों में 30% आरक्षण देने का प्रावधान किया गया है.
रविवार को सरकार के इस्तीफे की मांग कर रहे प्रदर्शनकारी 'स्टूडेंट्स अगेंस्ट डिस्क्रिमिनेशन' के बैनर तले आयोजित 'असहयोग आंदोलन' में भाग लेने पहुंचे. अवामी लीग, छात्र लीग और जुबो लीग के कार्यकर्ताओं ने उनका विरोध किया और फिर दोनों पक्षों के बीच झड़प हुई.
‘प्रोथोम अलो' अखबार के मुताबिक, 'असहयोग आंदोलन' को लेकर देशभर में हुई झड़पों, गोलीबारी और जवाबी हमलों में कम से कम 97 लोगों की जान चली गई. पुलिस मुख्यालय के अनुसार, देशभर में 14 पुलिसकर्मियों के मारे जाने की खबर है, जबकि 300 से ज्यादा पुलिसकर्मियों के घायल होने की खबर है.
अधिकारियों ने बताया कि विरोध प्रदर्शन में अज्ञात लोग और दक्षिणपंथी इस्लामी शासन तंत्र आंदोलन के कार्यकर्ता शामिल हो गए. प्रदर्शनकारियों ने पुलिस थानों, पुलिस चौकियों, सत्तारूढ़ पार्टी के कार्यालयों और उनके नेताओं के आवासों पर हमला किया. कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया.
गृह मंत्रालय ने रविवार शाम 6 बजे से देश में अनिश्चितकालीन कर्फ्यू लगाने का निर्णय लिया. सरकारी एजेंसियों ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स ‘फेसबुक', ‘मैसेंजर', ‘व्हॉट्सऐप' और ‘इंस्टाग्राम' को बंद करने का आदेश दिया है. वहीं, मोबाइल सर्विस प्रोवाइडर्स को 4G इंटरनेट बंद करने का आदेश दिया गया है.
PMO सूत्रों के हवाले से एक खबर में बताया गया कि PM हसीना ने गणभवन में सुरक्षा मामलों की राष्ट्रीय समिति की बैठक बुलाई. बैठक में सेना, नौसेना, वायुसेना, पुलिस, रैपिड एक्शन बटालियन (RAB), बांग्लादेश सीमा गार्ड (BGB) के प्रमुखों और अन्य शीर्ष सुरक्षा अधिकारी शामिल हुए. गृह मंत्रालय के अनुसार, हालात पर काबू करने के लिए जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं.
प्रधानमंत्री हसीना ने कहा कि विरोध के नाम पर बांग्लादेश में उत्पात मचाने वाले लोग छात्र नहीं, बल्कि आतंकवादी हैं. उन्होंने जनता से ऐसे लोगों से सख्ती से निपटने को कहा. उन्होंने कहा, 'मैं देशवासियों से अपील करती हूं कि इन आतंकियों से सख्ती से निपटा जाए.'
प्रधानमंत्री हसीना की सरकार में सेना प्रमुख के रूप में काम कर चुके इकबाल करीम का कहना है कि सरकार इस मुद्दे पर राजनीतिक पहल करे. उन्होंने कहा, 'हम सरकार से आग्रह करते हैं कि वो मौजूदा हालात के समाधान के लिए राजनीतिक पहल करे. हमारे सशस्त्र बलों को ऐसे अभियान में उलझाकर उनकी अच्छी प्रतिष्ठा को नष्ट न करें.'
(Sources: PTI, Bloomberg, NDTV)