वैक्सीन के साइड इफेक्ट को लेकर मचे बवाल के बाद एस्ट्राजेनेका (AstraZeneca) ने ग्लोबल लेवल पर अपनी कोविड वैक्सीन को मार्केट से वापस ले लिया है. एस्ट्राजेनेका ने हाल ही में कोर्ट में खुद ये स्वीकार किया कि इस वैक्सीन से कुछ साइड इफेक्ट हो सकते हैं. इसके बाद ही कंपनी ने अपनी कोविड वैक्सीन को वापस लेने का फैसला किया है.
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राजेनेका ने मिलकर इस वैक्सीन का निर्माण किया था. सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) ने इस एस्ट्राजेनेका के फॉर्मूले से भारत में कोविशील्ड (Covishield) वैक्सीन का निर्माण किया था.
एस्ट्राजेनेका ने अपनी वैक्सीन वैक्सजेवरिया को भी वापस ले लिया है. टेलीग्राफ को दिए कंपनी बयान के मुताबिक, अपेडेटेड वैक्सीन उन सभी खतरों के लिए काफी है, जिसके चलते वैक्सजेवरिया का कमर्शियल रूप से इस्तेमाल का कारण नहीं बनता.
मंगलवार को कंपनी ने अपनी मर्जी से यूरोपियन यूनियन में मार्केटिंग ऑथराइजेशन को वापस ले लिया. इसके साथ ही, अब इस वैक्सीन का इस्तेमाल नहीं किया जा सकेगा. कंपनी ने UK और दूसरे देशों से भी कोविड वैक्सीन को मार्केट से वापस ले लिया है, जहां पर इसका सर्कुलेशन हो रहा है.
फरवरी में, एस्ट्राजेनेका ने कोर्ट में स्वीकार किया था कि कोविड वैक्सीन से खून का थक्का जमने और खून में प्लेटलेट्स की संख्या में कमी आने जैसी बीमारियां हो सकती हैं.
टेलीग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक, फार्मा कंपनी पर कई मामलों में बीमारियों और मौत होने के आरोपों के चलते केस दायर किया गया था.
इस केस को सबसे पहले जेमी स्कॉट (Jamie Scott) ने फाइल किया था, जिन्होंने अप्रैल 2021 में वैक्सीन लगवाने के बाद खून के थक्के जमने और ब्रेन हैमरेज के साथ परमानेंट ब्रेन इंजरी हुई थी.
एस्ट्राजेनेका ने इन विवादित आरोपों के बीच कोर्ट में स्वीकार किया कि कोविड वैक्सीन से 'TTS यानी थ्रोमोसिस के साथ थ्रोमबोसाइटोपीनिया सिंड्रोम' जैसी बीमारी हो सकती है.
मई 2023 को जारी जवाब में, एस्ट्राजेनेका ने स्कॉट के वकीलों को जानकारी दी कि वे वैक्सीन या जेनेरिक लेवल से होने वाले TTS को मंजूर नहीं करते हैं. हालांकि, फरवरी में एस्ट्राजेनेका ने कोर्ट को बताया, 'हम स्वीकार करते हैं कि एस्ट्राजेनेका वैक्सीन से कुछ गिने-चुने मामलों में TTS हो सकता है. इसके पीछे के कारण की वजह का पता नहीं है'.
इसके बाद एस्ट्राजेनेका ने कहा, 'TTS एस्ट्राजेनेका वैक्सीन के बिना भी हो सकता है. किसी मामले में इसे तय करने के लिए एक्सपर्ट की सलाह की जरूरत होगी'.
इस डिस्क्लोजर के बाद, सुप्रीम कोर्ट में पैनल बनाने को लेकर एक याचिका दाखिल की गई जिसमें कोविशील्ड वैक्सीन से होने वाले साइड इफेक्ट और रिस्क फैक्टर्स का पता चल सके. विशाल तिवारी ने ये याचिका फाइल की है.
फाइल की गई याचिका में कोर्ट से केंद्र सरकार को निर्देश जारी का प्रस्ताव रखा गया है, जिसमें लोगों के लिए वैक्सीन से होने वाले नुकसान के लिए पेमेंट सिस्टम बनाया जाए और कोविड-19 के दौरान वैक्सीन लगवाने के कारण बुरी तरह से प्रभावित होने वालों को न्याय दिया जा सके.