डसॉल्ट सिस्टम्स में इंडस्ट्री, मार्केटिंग और सस्टेनेबिलिटी की एग्जीक्यूटिव वाइस प्रेसिडेंट फ्लोरेंस वर्जेलन का कहना है कि रीन्युएबल एनर्जी के प्रति भारत की प्रतिबद्धता उल्लेखनीय है, क्योंकि अब ये निवेश के मामले में चीन से आगे निकल गया है.
वर्जेलन ने इनोवेशन को बढ़ावा देने और रिसर्च और डेवलपमेंट गतिविधियां सुनिश्चित करने के उद्देश्य से कंपनियों को आकर्षित करने के लिए प्रोत्साहन और पहल जैसी भारतीय सरकार की नीतियों को श्रेय दिया.
दावोस में चल रहे वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम 2025 के दौरान NDTV Profit के नीरज शाह के साथ एक्सक्लूसिव बातचीत में वर्जेलन ने कहा, 'जिस सेक्टर में हमने बहुत अधिक प्रभाव देखा है, वो है रीन्यूएबल एनर्जी. तीसरी तिमाही में भारत, दुनिया का वो देश रहा, जहां रीन्यूएबल एनर्जी में सबसे ज्यादा निवेश हुआ. पहले ये तमगा चीन के पास था, लेकिन अब भारत के पास है.
वर्जेलन एनर्जी ट्रांजीशन में भारत की भूमिका के बारे में विशेष रूप से आशावादी हैं, उन्होंने अदाणी ग्रुप के साथ सहयोग की ओर इशारा किया. उनका मानना है कि अत्याधुनिक तकनीक समर्थित भारत का महत्वाकांक्षी लक्ष्य ये दिखाएगा कि बड़े पैमाने पर एनर्जी ट्रांजीशन को सफलतापूर्वक कैसे एग्जीक्यूट किया जा सकता है.
भारत में ऑटो इंडस्ट्री भी फल-फूल रही है, वैश्विक कंपनियां देश के भीतर इनोवेशन की आवश्यकता को पहचान रही हैं. जैसे-जैसे ज्यादा अधिक EV प्लेयर्स भारत में भारी निवेश कर रहे हैं, वर्जेलन ग्लोबल मार्केट में देश की बढ़ती भूमिका को लेकर उत्साहित हैं, खासकर इसके पेटेंट और स्किल्ड वर्कफोर्स की प्रभावशाली संख्या के साथ.
वर्जेलन ने भारत में डसॉल्ट सिस्टम्स के विस्तार पर भी प्रकाश डाला. उन्होंने कहा, 'देश के कुशल और इनोवेटिव टैलेंट पूल का लाभ उठाने के लिए कंपनी ने रिसर्च सेंटर्स खोले. उन्हें महत्वपूर्ण विकास के अवसर दिखाई दे रहे हैं, खासकर EV जैसे सेक्टर में, जहां खासकर टूव्हीलर्स मार्केट में भारत ग्लोबल लीडर के रूप में उभर रहा है.
उन्होंने कौशल विकास में भारत की प्रगति की सराहना करते हुए कहा, 'शिक्षा पर भारत ने जिस तरह ध्यान दिया, उसके चलते बेहद कुशल और उत्साही वर्कफोर्स तैयार हुआ है.'
पिछले 20 वर्षों में, भारत ने रिसर्च और डेवलपमेंट में काफी प्रगति की है. खासकर EV सॉफ्टवेयर, उपभोक्ता वस्तुओं और जीवन विज्ञान में. उन्होंने लाइफ साइंस में देश की प्रगति पर जोर दिया, खासकर 'मेक इन इंडिया' पहल के साथ, जिसे एक मजबूत शैक्षिक आधार और स्थिरता के प्रति प्रतिबद्धता से लाभ पहुंचता है.