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Fed Meet Preview: ब्याज दर में कितनी कटौती करेगा अमेरिका, 25 या 50 bps? क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स

डेटा से अमेरिकी अर्थव्यवस्था में सुस्ती का संकेत मिलने के बाद चेयरमैन जेरोम पॉवेल अब राहत दे सकते हैं. अगस्त के लिए डेटा दिखाता है कि अर्थव्यवस्था से जुड़ी मुश्किलें सामने आ रही हैं.
NDTV Profit हिंदीNDTV Profit डेस्क
NDTV Profit हिंदी02:08 PM IST, 16 Sep 2024NDTV Profit हिंदी
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दो दिन के बाद US फेडरल रिजर्व (US Federal Reserve) का ब्याज दरों पर फैसला आ जाएगा, लेकिन इससे पहले ट्रेडर्स और इकोनॉमिस्ट्स के बीच इस बात को लेकर चर्चा गर्म है कि कटौती कितनी बड़ी होगी.

हालांकि इस बात पर सभी सहमत हैं कि आर्थिक आंकड़े अमेरिकी अर्थव्यवस्था (US Economy) में सुस्ती का साफ संकेत दे रहे हैं, इसके बाद चेयरमैन जेरोम पॉवेल (Jerome Powell) अब राहत दे सकते हैं. इन आंकड़ों से ये तस्वीर बन रही है कि अमेरिका की इकोनॉमी में सबकुछ ठीक नहीं है. अगस्त में महंगाई के आंकड़ों में उछाल से ब्याज दरों में किसी भारी कटौती की संभावना को धक्का लगा है.

क्या कहते हैं आंकड़े?

हाल की जॉब्स रिपोर्ट में दिखा है कि अगस्त में 1,42,000 नौकरियां लगीं, जबकि अनुमान 1,65,000 का था, ये काफी बड़ा अंतर है. दूसरी तरफ कोर PPI यानी प्रोड्यूसर प्राइस इंडेक्स मंथली आधार पर 0.3% बढ़ी है, जबकि अनुमान 0.2% का था. PPI को अमेरिका की थोक महंगाई दर कह सकते हैं. कोर रिटेल महंगाई दर सालाना आधार पर 3.2% रही है. ये दोनों ही अनुमानों से ज्यादा रहीं हैं.

लेबर मार्केट की हालत खराब होने के साथ फेड गवर्नर क्रिस्टोफर वॉलर ने कहा कि ये अमेरिकी केंद्रीय बैंक के लिए अहम है कि वो इसी महीने से ब्याज दरों में कटौती करना शुरू कर दे. लेकिन कटौती कितनी करनी है, उसे लेकर खुला दिमाग रखना जरूरी है. वॉलर ने कहा कि जोखिम रोजगार की ओर शिफ्ट हो गया है. पॉलिसी को उसी के मुताबिक करने की जरूरत है.

आंकड़े कैसे डालेंगे असर?

फेड फंड्स फ्यूचर्स ट्रेडर्स ने रविवार को 50 bps की कटौती की 50% संभावना जताई. इससे पहले 47% संभावना जाहिर की गई थी. CME फेडवॉच टूल के मुताबिक 25 bps कटौती की 50% संभावना है.

जेफरीज के क्रिस्टोफर वुड ने कहा कि अगले हफ्ते दरों में 25 bps की कटौती बेस केस है. उन्होंने कहा कि रोजगार डेटा कमजोर हो रहा है. जबकि अगस्त के लिए महंगाई डेटा बड़े तौर पर उम्मीदों के मुताबिक है.

कटौती करने के लिए खुले दरवाजे

वुड ने आगे बताया कि ये सभी चीजें फेडरल रिजर्व के लिए कटौती करने के लिए पर्याप्त है. 17-18 सितंबर को फेडरल ओपन मार्केट कमिटी को पूरी दुनिया में करीब से देखा जाएगा. इससे बाकी केंद्रीय बैंकों के लिए संकेत मिलेंगे. बाजार इनफ्लो पर भी नजर रखेगा जो फेड के दरों में कटौती करने के बाद इमर्जिंग मार्केट्स में शामिल हो सकता है.

फेड ने जुलाई से लगातार आठ बार बार से ब्याज दरों को नहीं छेड़ा है. इसे 5.25–5.5% के बीच रखा गया है. अमेरिकी फेड ने महंगाई से निपटने के लिए अपनी ब्याज दर में दिसंबर 2021 से बढ़ोतरी की थी. सितंबर 2023 में उसकी बैठक के बाद यथास्थिति को बरकरार रखा था. उसके बाद जेरोम पॉवेल ने ग्रोथ की प्राथमिकताओं को पीछे रखा है.

रेट कटौती का क्या असर होगा?

अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा उम्मीद से कम कटौती करने से बाजार पर असर पड़ेगा. Avendus कैपिटल के CEO एंड्रयू हॉलैंड के मुताबिक अगर इस बार कटौती 50 bps की होती है तो बाजार में तेजी की उम्मीद रहेगी. अगर ये 25 bps होती है तो बाकी साल में पॉवेल के बयानों पर नजर रखी जाएगी.

भारत को कैसे फायदा होगा?

जब पॉवेल दरों में कटौती करेंगे तो अमेरिकी गवर्नमेंट सिक्योरिटीज से पैसा निकलेगा. रिटर्न घटेगा और फ्लो इमर्जिंग और हाई यील्ड वाले एसेट्स में जाएगा. भारत समेत अन्य उभरती अर्थव्यवस्था में ज्यादा फ्लो देखने को मिलेगा. क्योंकि मैक्रो फैक्टर्स मजबूत बने हुए हैं. हालांकि मौजूदा वैल्युएशन जिसमें घरेलू शेयर हैं, उससे भारत में उम्मीद के मुताबिक फ्लो नहीं आ सकता है.

सिटी ने एक नोट में कहा कि इससे पहले ज्यादातर मामलों में दरों में कटौती के दौरान विदेशी इनफ्लो छोटी अवधि में निगेटिव रहा है. लेकिन भारत इस बार ओवरऑल इमर्जिंग मार्केट्स में प्रतिद्वंद्वियों के मुकाबले बेहतर स्थिति में बना हुआ है.

सिटी के मुताबिक दरों में कटौती करने के एक से तीन महीनों के अंदर ग्लोबल फंड्स नेट नेगेटिव रहे हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि शॉर्ट टर्म में आउटफ्लो के पीछे आम तौर पर वैश्विक जोखिम होते हैं.

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