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G7 समिट में इंडिया-मिडिल ईस्ट-यूरोप कॉरिडोर को सपोर्ट, शामिल देशों ने जताई प्रतिबद्धता

G7 के देश आर्थिक कॉरिडोर को विकसित करने के लिए मजबूत G7 PGII (पार्टनरशिप फॉर ग्लोबल इंफ्रास्ट्रक्चर एंड इन्वेस्टमेंट) इनिशिएटिव्स, फ्लैगशिप प्रोजेक्ट्स को बढ़ावा देंगे.
NDTV Profit हिंदीNDTV Profit डेस्क
NDTV Profit हिंदी11:47 AM IST, 15 Jun 2024NDTV Profit हिंदी
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G7 देशों ने समिट (G7 Summit) में इंफ्रास्ट्रक्चर योजनाओं जैसे इंडिया मिडिल ईस्ट- यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर (India- Middle East- Europe Economic Corridor) को समर्थन देने की प्रतिबद्धता जाहिर की. PTI की रिपोर्ट के मुताबिक शुक्रवार शाम को Borgo Egnazia के लग्जरी रिसॉर्ट में फैमिली फोटो के बाद आधिकारिक बयान जारी किया गया. G7 देशों ने फ्री और ओपन इंडो-पैसेफिक की ओर भी प्रतिबद्धता जताई.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी के निमंत्रण पर G7 समिट में हिस्सा लिया.

बयान में क्या कहा गया है?

आधिकारिक बयान में कहा गया है कि हम आर्थिक कॉरिडोर को विकसित करने के लिए मजबूत G7 PGII (पार्टनरशिप फॉर ग्लोबल इंफ्रास्ट्रक्चर एंड इन्वेस्टमेंट) इनिशिएटिव्स, फ्लैगशिप प्रोजेक्ट्स को बढ़ावा देंगे.

उसने कहा कि Lobito कॉरिडोर, लूजोन कॉरिडोर, मिडिल कॉरिडोर और इंडिया- मिडिल ईस्ट- यूरोप कॉरिडोर के लिए सहयोग और फाइनेंसिंग पर काम किया जाएगा.

चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के बाद देश एकजुट

इस कॉरिडोर के तहत सऊदी अरब, भारत, अमेरिका और यूरोप में एक बड़ा रोड, रेलरोड और शिपिंग नेटवर्क बनाने की योजना है. इससे एशिया, मिडिल ईस्ट और पश्चिम में इंटिग्रेशन सुनिश्चित किया जा सकेगा.

चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के बढ़ते प्रभाव के बीच बहुत से समान सोच वाले देश इसे रणनीतिक तौर पर भी अहम मानते हैं. चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव को पारदर्शिता के अभाव और देशों की संप्रभुता को नजरअंदाज करने के लिए आलोचना का सामना भी करना पड़ रहा है.

इंडिया- मिडिल ईस्ट- यूरोप कॉरिडोर पर पिछले साल दिल्ली में G20 समिट के दौरान साइन किया गया था.

शुक्रवार को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, एनर्जी, अफ्रीका और Mediterranean के शीर्षक पर हुए आउटरीच सेशन में मोदी ने भी हिस्सा लिया. जारी किए गए बयान में कहा गया है कि साझी जिम्मेदारी के तहत हम अल्जीरिया, अर्जेंटीना, ब्राजील, भारत, जॉर्डन, केन्या, मॉरिटानिया, ट्यूनीशिया, तुर्किये और संयुक्त अरब अमीरात के नेताओं की भागीदारी का स्वागत करते हैं.

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