हज यात्रा पर गए धर्मावलंबियों में भीषण गर्मी की वजह से मरने वालों की संख्या 1,000 पार कर गई है. NDTV ने समाचार एजेंसी AFP के हवाले से बताया है कि सऊदी अरब के मक्का में हीटवेव के चलते अब तक 1,000 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई, जिनमें आधे से ज्यादा हज यात्री वैसे हैं, जिन्होंने हज के लिए रजिस्ट्रेशन नहीं कराया था.
अरब के एक राजनयिक (Arab Diplomat) के अनुसार गुरुवार को मरने वालों का जो आंकड़ा बढ़ा, उनमें मिस्र के 58 लोग शामिल हैं. अब तक मरने वालों में सबसे ज्यादा 658 हजयात्री मिस्र से ही थे, जिनमें से 630 अनरजिस्टर्ड हजयात्री थे.
PTI की रिपोर्ट के मुताबिक, ये त्रासदी उस समय हुई, जब हज यात्री मक्का के बाहरी इलाके में स्थित मीना घाटी में रमी अल-जमारात (शैतान को पत्थर मारने) की रस्म में हिस्सा ले रहे थे.
मक्का में भीषण गर्मी में जान गंवाने वालों में कई भारतीय भी शामिल हैं. इनकी संख्या फिलहाल 68 बताई जा रही है. हज कमेटी ऑफ इंडिया के मुताबिक, इस साल सबसे ज्यादा 1.75 लाख भारतीय हज यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन कराया.
मरने वाले हजयात्रियों की संख्या बढ़ भी सकती है. मृतकों की संख्या की पुष्टि नहीं हो पाई है, जबकि दूसरी ओर सैकड़ों हज यात्री अब तक लापता हैं.
PTI की रिपोर्ट के मुताबिक, मरने वाले भारतीय हजयात्रियों में से 2 बेंगलुरु शहर से भी थे, जो 22 जून को भारत लौटने वाले थे. कर्नाटक राज्य हज समिति के कार्यकारी अधिकारी एस सरफराज खान ने सऊदी अरब सरकार के साथ समझौतों और रीति-रिवाजों का हवाला देते हुए बताया कि हज की यात्रा के दौरान मरने वाले हजयात्रियों के शवों को उनके मूल स्थान पर वापस नहीं लाया जाता. यानी मरनेवाले हजयात्रियों का शव भारत नहीं लाया जाएगा, बल्कि प्रशासन की देखरेख में वहीं दफना दिया जाएगा. मृतकों के डेथ सर्टिफिकेट उनके परिजनों को सौंप दिए जाएंगे.