अमेरिका में बसने का सपना देखने वालों के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने गोल्ड कार्ड का ऐलान किया है. हालांकि काफी महंगा (करीब 43 करोड़ रुपये) होने के चलते इसकी आलोचना भी हो रही है. सवाल ये उठाया जा रहा है कि ऐसा कितने लोगों के लिए संभव होगा, कितने लोग इतना बड़ा अमाउंट देने की क्षमता रखते हैं!
आलोचनाओं के बीच ट्रंप ने अपने 'गोल्ड कार्ड' प्रपोजल का बचाव करते हुए कहा है कि ये केवल अमीर आप्रवासियों के लिए नहीं है, बल्कि अमेरिकी कंपनियां इसका उपयोग भारत जैसे देशों के मेधावी छात्रों को अमेरिका में रोकने के लिए कर सकती हैं. ये छात्र अमेरिका के प्रतिष्ठित संस्थानों जैसे हार्वर्ड, व्हार्टन स्कूल ऑफ फाइनेंस और येल से पढ़ाई करके नंबर वन बनते हैं.
ट्रंप ने बुधवार को अपने दूसरे कार्यकाल की पहली कैबिनेट बैठक में कहा, 'मुझे कंपनियों से फोन आते हैं कि वे स्कूल के टॉप छात्र को नौकरी पर रखना चाहते हैं. ये छात्र भारत, चीन, जापान जैसे देशों से आते हैं और हार्वर्ड, व्हार्टन, येल जैसे बड़े संस्थानों से नंबर वन बनकर निकलते हैं. उन्हें नौकरी का ऑफर मिलता है, लेकिन वह ऑफर वापस ले लिया जाता है क्योंकि ये स्पष्ट नहीं होता कि वे व्यक्ति देश में रह पाएंगे या नहीं.'
आगे उन्होंने कहा, 'मैं चाहता हूं कि टैलेंटेड युवा देश में रह सकें. कंपनियां गोल्ड कार्ड खरीद सकती हैं और इसे भर्ती के लिए इस्तेमाल कर सकती हैं. हम इसे दो हफ्ते में बेचना शुरू कर देंगे.'
ट्रंप ने कहा कि अमेरिकी कंपनियों को अच्छे प्रतिभाशाली लोगों को भर्ती करने या रखने में दिक्कत होती है क्योंकि कई छात्रों के इमिग्रेशन स्टेटस को लेकर अनिश्चितता रहती है. सिलिकॉन वैली की कंपनियों ने भी कई पदों को भरने में हो रही मुश्किलों की शिकायत की है.
अवैध इमिग्रेशन को खत्म करने का इरादा रखने वाले ट्रंप ने कहा है कि वे कानूनी इमिग्रेशन को बढ़ावा देना चाहते हैं, खासकर उन लोगों के लिए, जिनके पास जरूरी कौशल हो या देश में निवेश करने के लिए पैसा हो.
राष्ट्रपति ने ये भी कहा कि गोल्ड कार्ड से मिलने वाली रकम का उपयोग राष्ट्रीय कर्ज को चुकाने के लिए किया जा सकता है. उन्होंने इसे 'एक अच्छा सौदा' बताया और कहा कि ये कार्ड कंपनियों के बीच काफी लोकप्रिय होगा.
ट्रंप ने मंगलवार को गोल्ड कार्ड प्रस्ताव की घोषणा की, जिसके तहत, 5 मिलियन डॉलर (करीब 43 करोड़ रुपये) देने वाले लोगों को अमेरिका में रहने और नागरिकता का रास्ता मिल सकेगा. ये कानूनी इमिग्रेशन का एक नया रास्ता होगा. ट्रंप ने कहा कि ये प्रोग्राम दो हफ्ते में शुरू होगा और उन्हें इसे शुरू करने के लिए कांग्रेस की मंजूरी की जरूरत नहीं होगी. हालांकि, इमिग्रेशन एक्सपर्ट्स का कहना है कि इसके लिए लॉ-मेकर्स की मंजूरी जरूरी होगी.
ट्रंप ने कहा कि गोल्ड कार्ड के लिए योग्यता के मानक तय किए जा रहे हैं. जब उनसे पूछा गया कि क्या चीन जैसे देशों के लोगों पर रोक होगी, तो उन्होंने कहा कि राष्ट्रीयता के आधार पर नहीं, बल्कि व्यक्तिगत स्तर पर नियम होंगे. उन्होंने कहा, 'हम ये सुनिश्चित करना चाहते हैं कि जो लोग आएं, वे हमारे देश से प्यार करें और देश के लिए कुछ करने की क्षमता रखते हों.'
वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक ने कहा कि ये प्रस्ताव मौजूदा EB-5 प्रोग्राम की जगह ले सकता है. EB-5 के तहत, विदेशी निवेशक और उनके परिवार को अमेरिकी व्यवसाय में निवेश करने और कम से कम 10 अमेरिकियों को नौकरी देने पर स्थाई रूप से रहने की अनुमति मिलती है.
इस प्रस्ताव के तहत, लोग सीधे अमेरिकी सरकार को पैसा देंगे, जिसका उपयोग कर्ज चुकाने के लिए किया जा सकता है. ट्रंप ने कहा कि 10 लाख गोल्ड कार्ड बेचने से 5 ट्रिलियन डॉलर जुटाए जा सकते हैं. हालांकि, इमिग्रेशन एक्सपर्ट्स का कहना है कि इतनी बड़ी रकम दे पाने में समर्थ लोगों की संख्या बहुत कम है.
ये योजना लागू होती है, तो अमेरिका में पढ़ाई करने वाले भारतीय छात्रों के लिए ये एक नया अवसर हो सकता है. वे अमेरिकी कंपनियों के जरिए इस गोल्ड कार्ड को हासिल कर सकते हैं और अपनी पढ़ाई के बाद अमेरिका में आसानी से नौकरी कर सकते हैं. हालांकि, ये भी देखना होगा कि व्यावहारिक तौर पर इसका कैसा असर होता है.