इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड (IMF) ने पाकिस्तान को करीब 1 बिलियन डॉलर का तत्काल कर्ज देना मंजूर कर लिया है. पाकिस्तान को विस्तारित कोष सुविधा (Extended Fund Facility) के तहत ये पैसा दिया गया है.
IMF ने एक बयान में कहा कि इसके एग्जिक्यूटिव बोर्ड ने पाकिस्तान के इकोनॉमिक रिफॉर्म प्रोग्राम की विस्तारित कोष सुविधा (EFF) व्यवस्था के तहत प्रारंभिक समीक्षा पूरी की है. एजेंसी ने कहा, 'इस फैसले से करीब लगभग 1 बिलियन अमेरिकी डॉलर (760 मिलियन SDR) का तत्काल वितरण किया जा सकेगा. जिससे इस व्यवस्था के तहत कुल वितरण करीब 2.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर (1.52 बिलियन SDR) हो जाएगा'.
इसके अलावा, IMF एग्जिक्यूटिव बोर्ड ने अथॉरिटीज की अपील को रेजिलिएंस एंड सस्टेनिबिलिटी फैसिलिटी- RSF के तहत व्यवस्था के लिए मंजूरी दी, जिसमें करीब 1.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर (1 बिलियन SDR) तक मिल सकेंगे. IMF ने एक बयान में कहा कि पाकिस्तान की 37 महीने की EFF को 25 सितंबर, 2024 को मंजूरी दी गई थी और इसका मकसद "लचीलापन निर्माण करना और लगातार विकास को सक्षम करना" है, जिसमें मैक्रोइकोनॉमिक स्थिरता को मजबूत करना शामिल है.
भारत ने पहले पाकिस्तान के खराब ट्रैक रिकॉर्ड को देखते हुए IMF कार्यक्रमों की प्रभावशीलता पर चिंता जताई थी और लोन फाइनेंसिंग के गलत इस्तेमाल होने की आशंका भी जताई थी. जिसका इस्तेमाल सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए किया जा सकता है. भारत ने IMF के 2.3 बिलियन डॉलर के नए लोन एक्सटेंशन का भी विरोध किया. भारत ने IMF के बोर्ड में अपनी आपत्ति दर्ज की, जो शुक्रवार को पाकिस्तान के लिए EFF लोन प्रोग्राम की समीक्षा के लिए मिला था. भारत ने IMF बैठक में वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया.
भारत के वित्त मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया 'भारत ने कहा है कि सीमा पार आतंकवाद को लगातार प्रायोजित करने को प्रोत्साहित करना वैश्विक समुदाय को एक खतरनाक संदेश देता है, फाइनेंसिंग एजेंसियों और डोनर्स की प्रतिष्ठा को जोखिम में डालता है और वैश्विक मूल्यों का मजाक उड़ाता है.
भारत ने कहा 'हालांकि कई सदस्य देशों को इस बात की चिंता है कि IMF जैसी अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं से मिल मिलने वाले पैसों का गलत इस्तेमाल सैन्य और सीमापार आतंकवादी उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है, लेकिन IMF की प्रतिक्रिया प्रक्रियागत और तकनीकी औपचारिकताओं से घिरी हुई है.'
भारत का कहना है कि पाकिस्तान में सेना घरेलू राजनीति में एक बड़ी भूमिका निभाती है और अर्थव्यवस्था में अपना दखल रखती है. बयान में कहा गया है कि 2021 की संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में सेना से जुड़े व्यवसायों को 'पाकिस्तान में सबसे बड़ा समूह' बताया गया है.