अमेरिका के साथ व्यापार वार्ता करने के लिए भारत की ओर से वार्ताकारों का एक दल अगले हफ्ते अमेरिका रवाना होगा. NDTV प्रॉफिट को सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक वाणिज्य सचिव मनोनीत राजेश अग्रवाल की अगुवाई में भारतीय वार्ताकार वॉशिंगटन में भारत-अमेरिका द्विपक्षीय व्यापार समझौते (BTA) पर चर्चा करेंगे. राजेश अग्रवाल को 18 अप्रैल को अगला वाणिज्य सचिव नियुक्त किया गया था. वह 1 अक्टूबर से पदभार ग्रहण करेंगे. फिलहाल वो वाणिज्य विभाग में अतिरिक्त सचिव हैं.
एक तरह से देखा जाए तो भारत और अमेरिका के बीच हो रही व्यापार वार्ता अब आखिरी चरण में पहुंच गई है. दोनों देश इसे अंतिम रूप देने की कोशिश कर रहे हैं. इस द्विपक्षीय वार्ता में 19 अध्याय शामिल किए गए हैं. उच्च स्तरीय बैठकें 23 अप्रैल से शुरू होकर तीन दिनों तक चलने की उम्मीद है. अधिकारियों के मुताबिक, वार्ता के एजेंडे को अंतिम रूप दे दिया गया है और इसमें 19 अध्यायों में एक लंबी चौड़ी लिस्ट शामिल है. इनमें टैरिफ, गैर-टैरिफ बाधाएं, ओरिजिन के नियम, गुड्स- सर्विसेंज में ट्रेड, सीमा शुल्क सुविधा और रेगुलेटरी सहयोग जैसे प्रमुख क्षेत्र शामिल हैं.
इस बातचीत पर सभी की निगाहें टिकी हैं, क्योंकि नई दिल्ली और वॉशिंगटन दोनों ही शरद ऋतु की समय-सीमा से पहले एक शुरुआती समझौते को हासिल करने का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं. शुरुआती समझौते से दोनों देशों को व्यापक समझौते के सर्वसम्मति-आधारित तत्वों को लागू करने की इजाजत मिल सकेगी, जबकि जो मुद्दे ज्यादा जटिल हैं उन पर आगे भी बातचीत जारी रहेगी.
आने वाली बैठकें द्विपक्षीय व्यापार वार्ता में एक बहुत जरूरी चरण की ओर दर्शाती हैं, जिसने हाल ही में राजनयिक और बिजनेस-लेवल मुलाकातों के बाद रफ्तार पकड़ी है. भारतीय प्रतिनिधिमंडल की यात्रा इस बात की ओर इस बात को दर्शाती है कि दोनों पक्षों में किसी ठोस नतीजे तक पहुंचने की आशा है, जो व्यापार को बढ़ावा दे सकती है और क्षेत्रों में आपसी टकराव को कम कर सकती है.
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल पहले ही वार्ता के लिए अमेरिका का दौरा कर चुके हैं, जबकि दक्षिण और मध्य एशिया के लिए सहायक अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि ब्रेंडन लिंच भी भारतीय पक्ष के साथ वार्ता के लिए 25 से 29 मार्च तक भारत में थे.
भारत और अमेरिका ने इस साल के अंत तक (सितंबर-अक्टूबर) BTA के पहले चरण को पूरा करने का लक्ष्य रखा है, जिसका मकसद य 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को मौजूदा 191 बिलियन डॉलर से बढ़ाकर 500 बिलियन डॉलर तक पहुंचाना है.