अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन (US President Joe Biden) ने चीन में अमेरिकी निवेश पर सीमा लगा दी है. अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा को देखते हुए 'नेक्स्ट जेनरेशन मिलिट्री और सर्विलांस टेक्नोलॉजी' को विकसित करने की क्षमता को प्रतिबंधित करने के प्रयासों के बीच उन्होंने ये कदम उठाया है.
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, बुधवार को बाइडेन ने ये आदेश जारी किया है, जो कुछ चीनी सेमीकंडक्टर, क्वांटम कंप्यूटिंग और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस फर्मों (AI Firms) में अमेरिकी निवेश को रेगुलेट करेगा. यानी अमेरिकी वेंचर केपिटल और प्राइवेट इक्विटी फर्मों को चीनी कंपनियों में पैसा निवेश करने से प्रतिबंधित कर देगा. करीब दो वर्ष के विचार-विमर्श के बाद इस आदेश पर हस्ताक्षर किए गए.
ये आदेश (जो अगले वर्ष तक प्रभावी नहीं होगा) पूर्वव्यापी (Retroactive) नहीं होगा और इसमें बायोटेक्नोलॉजी जैसे सेक्टर शामिल नहीं होंगे. इससे अप्रत्यक्ष निवेश (Passive Investments) के साथ-साथ सार्वजनिक ट्रेड सिक्योरिटीज, इंडेक्स फंड और अन्य एसेट्स में भी छूट मिल सकती है.
अटलांटिक काउंसिल की वरिष्ठ फेलो और इंडियाना यूनिवर्सिटी में इंटरनेशनल स्टडी की एसोसिएट प्रोफेसर सारा बाउर्ले डेंजमैन ने इस फैसले को व्यावसायिक समुदाय के लिए अच्छी खबर बताया है.
वेंचर-कैपिटल फर्मों और टेक इंडस्ट्री ने आदेश के दायरे को कम करने के लिए बाइडेन प्रशासन की पैरवी की थी, क्योंकि निवेशकों को डर था कि व्हाइट हाउस अमेरिकी निवेश पर व्यापक सीमाएं लगाएगा. वहीं यूरोपीय संघ समेत मित्र राष्ट्रों ने भी विरोध करते हुए कहा था कि गंभीर प्रतिबंध उनकी इकोनॉमीज को नुकसान पहुंचा सकते हैं.
बाइडेन प्रशासन के अधिकारियों ने कहा कि ये आदेश उनको टारगेट करता है जो मर्जर, प्राइवेट इक्विटी और प्राइवेट कैपिटल के साथ-साथ जॉइंट वेंचर्स और फाइनेंसिंग अरेंजमेंट के जरिये प्रतिबंधित चीनी कंपनियों में इक्विटी इंटरेस्ट हासिल करना चाहते हैं. इसके चीनी स्टार्टअप और बड़ी कंपनियों तक सीमित रहने की उम्मीद है जो अपने रेवेन्यू का 50% से अधिक प्रतिबंधित सेक्टर्स से प्राप्त करते हैं.
कहा जा रहा है कि बाइडेन का ये फैसला अमेरिका और चीन के बीच दूरियां बढ़ाने वाले कदमों में से एक है. व्हाइट हाउस ने एक विज्ञप्ति में कहा कि अमेरिका पहले से ही चीन को 'कुछ संवेदनशील टेक्नोलॉजी' के निर्यात को सीमित करता है, और ये आदेश अमेरिकी निवेश को इन टेक्नोलॉजी के स्वदेशीकरण में तेजी लाने में मदद करने से रोक देगा. इस आदेश में इसे चीन, हांगकांग और मकाऊ के रूप में परिभाषित किया गया है.
अमेरिका के फैसले को चीन ने निराशाजनक बताया है. चीनी दूतावास के प्रवक्ता लियू पेंग्यू ने एक बयान में कहा कि प्रतिबंधों को आगे बढ़ाने के अमेरिकी फैसले से चीन बहुत निराश है और वह अपने हितों की रक्षा के लिए कदम उठाएगा.
अब एक महत्वपूर्ण सवाल ये है कि क्या अमेरिका के अन्य मित्र देश भी वाॅशिंगटन के कदम का अनुसरण करेंगे? ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, ब्रिटेन की सरकार के एक प्रवक्ता ने कहा है कि ये आदेश चीन के प्रति अमेरिकी दृष्टिकोण को स्पष्ट करता है और प्रधानमंत्री ऋषि सुनक की सरकार इस पर बारीकी से विचार करेगी.