अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वॉर के मोर्चे पर एक बड़ी प्रगति हुई है. स्विट्जरलैंड के जेनेवा में दोनों देशों के बीच 9-12 मई, 2025 को उच्च-स्तरीय बातचीत हुई. दोनों पक्षों ने इसे "महत्वपूर्ण प्रगति" बताया है. अमेरिकी ट्रेजरी सेक्रेटरी स्कॉट बेसेंट और चीनी उप-प्रधानमंत्री हे लिफेंग ने इसकी अगुवाई की.
चीन ने इस बात को पहली बार माना है कि उसकी अमेरिका के साथ ट्रेड के मोर्चे पर मामले सुझलाने के लिए कोई चर्चा हुई है. चीनी उप-प्रधानमंत्री हे लिफेंग ने इसे मतभेद सुलझाने की दिशा में पहला महत्वपूर्ण कदम बताया.
हालांकि डील को लेकर कोई ठोस कदमों का ऐलान तो नहीं किया गया, लेकिन चीनी उप-प्रधानमंत्री ने ये जरूर कहा कि दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं ने आगे की बातचीत के लिए एक मैकेनिज्म बनाने पर सहमति जताई है, जिसका नेतृत्व अमेरिकी स्कॉट बेसेंट और वो खुद करेंगे. बेसेंट ने कहा कि अमेरिका सोमवार को इसकी डिटेल्स साझा करेगा, साथ ही लिफेंग भी एक संयुक्त बयान जारी करेंगे.
चीनी उप-वाणिज्य मंत्री ली चेंगगैंग, जिन्हें हाल ही में व्यापार प्रतिनिधि बनाया गया, उन्होंने जिनेवा में पत्रकारों से कहा, 'चीन में हम कहते हैं, अगर खाना स्वादिष्ट है, तो समय मायने नहीं रखता. जब भी ये खबर आएगी, दुनिया के लिए अच्छी होगी'.
बातचीत में दोनों पक्षों ने सकारात्मक रुख दिखाया. लिफेंग ने अमेरिकी पक्ष की प्रोफेशनल रवैये की तारीफ की और अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि जेमिसन ग्रीर ने कहा कि दोनों देशों के बीच व्यापारिक झगड़े शायद उतने बड़े नहीं हैं जितना कि समझ लिया गया है.
ग्रीर ने कहा, 'यहां पर ये समझना जरूरी है कि हम कितनी जल्दी समझौते पर पहुंचे, जो शायद दिखाता है कि मतभेद उतने बड़े नहीं थे जितना सोचा गया। फिर भी, इन दो दिनों के लिए बहुत तैयारी की गई थी'.
बेसेंट, ग्रीर और हे लिफेंग के बीच घंटों चली बैठकें स्विस राजदूत के संयुक्त राष्ट्र आवास पर हुईं, जिन्होंने इसकी मेजबानी की. बेसेंट और हे दोनों ने कहा कि दोनों पक्षों ने "महत्वपूर्ण प्रगति" की. चीनी टीम में उप-वित्त मंत्री लियाओ मिन भी शामिल थे, जो पहले अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध की बातचीत में हिस्सा ले चुके हैं.
बातचीत में रुकावट खत्म करने और चर्चा के लिए चैनल स्थापित करने से दोनों देशों के नेताओं के बीच पहली बातचीत का रास्ता साफ हुआ है. ट्रंप ने शुक्रवार को पत्रकारों से कहा कि वो बैठक के बाद अपने चीनी समकक्ष से बात कर सकते हैं, ये बेसेंट की सलाह पर निर्भर करेगा.
दोनों देशों के बीच तनाव तब बढ़ गया जब ट्रंप ने बीजिंग पर टैरिफ को 145% तक बढ़ा दिया. ये टैरिफ चीन की फेंटेनिल बिक्री में भूमिका, अमेरिका के साथ उसके बड़े ट्रेड सरप्लस, और ट्रंप के शुरुआती कदमों के जवाब में बीजिंग की ओर से लगाए टैरिफ, जो धीरे-धीरे बढ़कर 125% तक पहुंच गए.