अमेरिका के सभी बड़े बैंक किसी भी गंभीर मंदी से निपटने के लिए तैयार है, क्योंकि इन बैंकों ने US फेडरल रिजर्व का स्ट्रेस टेस्ट पास कर लिया है. साल में एक बार ये स्ट्रेस टेस्ट होता है, जिसमें एक काल्पनिक तनाव पैदा किया जाता है, जिससे ये परखा जा सके कि बैंक्स किसी बुरी परिस्थिति से निपटने के लिए कितना तैयार हैं.
फेड ने कहा कि इस साल के स्ट्रेस टेस्ट में सभी 31 बैंकों में से हर एक ने 'न्यूनतम आवश्यक पूंजी स्तर' से अधिक बनाए रखते हुए घाटे को सहन करने में सक्षम होने की बाधा को पार कर लिया है.
स्ट्रेस टेस्ट इस दौर में, जिसे 2008 की मंदी को देखते हुए किया गया था, इसमें 31 बैंक शामिल थे, जिनमें से हर एक की एसेट कम से कम 100 बिलियन डॉलर थी. टेस्ट में जिन पैमानों को शामिल किया गया, उसमें ये माना गया कि स्थितियां बेहद गंभीर और प्रतिकूल हैं, इसमें काल्पनिक तौर पर माना गया कि Q42023 से Q32025 तक चलने वाली एक ग्लोबल मंदी है, जिससे आर्थिक विकास में 8.5% की गिरावट आई, बेरोजगारी दर 6.3% से बढ़कर 10% के शिखर पर पहुंच गई, और शेयरों के भाव 55% गिर रहे हैं, साथ ही कमर्शियल रियल एस्टेट की कीमतें 40% नीचे आ चुकी हैं.
पिछले साल की तरह, बड़े ट्रेडिंग बिजनेस वाली कंपनियों के एक उपसमूह को अतिरिक्त "वैश्विक बाजार झटका" के फैक्टर का सामना करना पड़ा, जिसमें इक्विटी कीमतों में गिरावट, शॉर्ट टर्म ट्रेजरी रेट में तेजी से बढ़ोतरी और कमजोर डॉलर शामिल रहे.
इस टेस्ट का निरीक्षण करने वाले फेड के वाइस चेयरमैन माइकल बर्र का कहना है कि हमारे इस टेस्ट का मकसद ये सुनिश्चित करने में मदद करना है कि बैंकों के पास बेहद तनावपूर्ण स्थिति में में घाटे को झेलने, पचाने के लिए पर्याप्त पूंजी है. बर्र का कहना है कि इस साल के टेस्ट रिजल्ट्स से पता चलता है कि बड़े बैंकों को कुल काल्पनिक नुकसान में लगभग 685 बिलियन का नुकसान होगा, फिर भी उनके पास उनकी न्यूनतम सामान्य इक्विटी जरूरतों की तुलना में काफी ज्यादा पूंजी मौजूद है.
ये अच्छी खबर है और हाल के वर्षों में बैंकों की ओर से बनाई गई अतिरिक्त पूंजी की उपयोगिता को दर्शाता है. अतिरिक्त पूंजीगत सहायता की वजह से हम उम्मीद करते हैं कि बड़े बैंक वित्तीय तनाव के समय में घरों और व्यवसायों को कर्ज देना जारी रखने में सक्षम होंगे.
फेड का स्ट्रेस टेस्ट हर साल होने वाली एक प्रक्रिया है, जो बैंकों को खरोब लोन के लिए पर्याप्त कुशन बनाने के लिए दबाव बनाता है, साथ ही शेयरों के बायबैक और डिविडेंड के साइज को तय करता है. इस साल के टेस्ट में जेपी मॉर्गन, गोल्डमैन सैक्स जैसे दिग्गज शामिल हुए थे, साथ ही अमेरिकन एक्सप्रेस सहित क्रेडिट कार्ड कंपनियां और ट्रुइस्ट जैसे क्षेत्रीय बैंक भी शामिल थे.