यूरोपियन यूनियन से बातचीत के बाद भी अमेरिका के मन मुताबिक बात नहीं बनने के बाद राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने बड़ा फैसला लिया है. ट्रंप ने 1 जून से यूरोपियन यूनियन पर 50% टैरिफ लगाने की सिफारिश की है. इस बारे में उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रूथ पर लिखा है.
वहीं, दूसरी ओर आईफोन मेकर एप्पल को फिर से वही चेतावनी दुहराई है. उन्होंने कंपनी के CEO टिम कुक को संबोधित करते हुए कहा है कि अमेरिका में बेचने के लिए अमेरिका में ही आईफोन तैयार करें, नहीं तो हाई टैरिफ देना होगा.
टैरिफ पर ट्रंप की इन घोषणाओं का असर अमेरिकी मार्केट पर देखा गया. एप्पल के शेयरों में 2% से ज्यादा की गिरावट देखी गई.
ट्रूथ पर ट्रंप ने शुक्रवार को लिखा, 'यूरोपियन यूनियन (जिसे अमेरिका से व्यापार में फायदा उठाने के मकसद से बनाया गया था) के साथ व्यवहार करना बेहद कठिन रहा है. उनके कड़े ट्रेड बैरियर्स (व्यापारिक बाधाएं), वैट टैक्स, बेवजह के कॉरपोरेट जुर्माने, गैर-आर्थिक व्यापारिक अड़चनें, करेंसी में हेरफेर और अमेरिकी कंपनियों के खिलाफ अनुचित मुकदमों जैसी वजहों से अमेरिका को हर साल 250 करोड़ डॉलर से ज्यादा का ट्रेड घाटा होता है, जो बिल्कुल भी स्वीकार्य नहीं है.'
आगे उन्होंने लिखा, 'हमारे बीच बातचीत का कोई नतीजा नहीं निकल रहा है. इसलिए, मैं 1 जून 2025 से यूरोपियन यूनियन पर सीधे 50% टैरिफ लगाने की सिफारिश कर रहा हूं. अगर कोई प्रॉडक्ट अमेरिका में ही बनाया गया हो, तो उस पर कोई टैरिफ नहीं लगेगा.'
अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने 'एप्पल' को फिर से चेतावनी देते हुए कहा है कि अमेरिका में ही आईफोन बनाएं नहीं तो हाई टैरिफ देना होगा. उन्होंने ट्रूथ पर लिखा, 'मैंने बहुत पहले एप्पल के टिम कुक को बता दिया था कि मैं चाहता हूं, जो iPhone अमेरिका में बेचे जाएं, वे अमेरिका में ही बनाए और तैयार किए जाएं न कि भारत या किसी और देश में. अगर ऐसा नहीं होता है, तो एप्पल को कम से कम 25% टैरिफ देना होगा.
हालांकि एप्पल कंपनी भी समझती है कि भारत में आईफोन बनाना अमेरिका की तुलना में कितना सस्ता है. लेबर कॉस्ट से लेकर भारत सरकार की नीतियां तक का सपोर्ट विदेशी कंपनियों को मिलता रहा है. एक्सपर्ट्स बताते हैं कि भारत की तुलना में अमेरिका में आईफोन बनाना एप्पल को तीन गुना महंगा पड़ सकता है.