मायामी, सिंगापुर और दुबई. इन तीन शहरों के बीच कॉमन क्या है? आपको लगता होगा कि खूबसूरत बीच और साफ समंदर. आपका सोचना बिल्कुल सही भी है लेकिन जरा रुकिए. एक और ऐसी चीज है जो इन 3 शहरों के बीच कॉमन है- ये हैं अरबपतियों का नया ठिकाना.
ये वो 3 शहर हैं जहां दुनियाभर के अरबपति शिफ्ट हो रहे हैं. ये सच है कि ये महज शहर नहीं हैं बल्कि इनकी खूबसूरती देख कर लगता है कि ये जन्नत का एक टुकड़ा हैं.
ऐसा नहीं कि ये अरबपति सिर्फ शहर की खूबसूरती देख कर ही खिंचे चले आ रहे हैं. इस माइग्रेशन की कई वजह हैं. दरअसल, कोविड के बाद की दुनिया, एक बिल्कुल नई दुनिया है. कोविड ने ये सिखाया है कि इस बदली हुई दुनिया में रिमोट ऑफिस से भी आराम से काम हो सकता है. अब जब काम की रुकावट दूर हो जाए तो और क्या चाहिए? इसके बाद चाहिए एक ऐसा शहर जहां टैक्स कम हो, क्राइम कम हो, सुविधाएं ज्यादा हों, इंफ्रास्ट्रक्चर हो और साथ में दिलकश नजारे भी हों.
2022 में 12% अरबपतियों ने न्यूयॉर्क छोड़ दिया. हॉन्ग कॉन्ग में ये संख्या 14% रही और मॉस्को में सबसे ज्यादा यानी 15% अरबपतियों ने शहर छोड़ दिया.
शायद यही वजह है कि जिनकी जेब में पैसा है, उनमें से कोई सिंगापुर (Singapore) तो कोई दुबई (Dubai) का रुख कर रहा है. इन बड़े शहरों से निकल कर ये लोग मायामी (Miami), सिंगापुर और दुबई का रुख कर रहे हैं. इसकी एक वजह ये भी है कि इन शहरों ने इन अरबपतियों की एंट्री के लिए दरवाजा खोलकर रखा है.
इन शहरों का शुमार लग्जरी प्रॉपर्टी मार्केट के लिहाज से भी टॉप 3 में होता है. यहां रियल एस्टेट की कीमतों में सबसे ज्यादा तेजी की उम्मीद जताई जा रही है. इसके अलावा सरकारें स्थिर हैं, क्लाइमेट बेहतरीन है और लाइफस्टाइल शानदार है. इसके अलावा सिंगापुर में आकर्षक टैक्स इंसेंटिव हैं तो दुबई इन्हें गोल्डन वीजा दे रहा है. ये शहर खुद आपको इनवाइट कर रहे हैं. बस शर्त ये है कि आपके बैंक अकाउंट में करोड़ों रुपये होने चाहिए.
ब्रेकआउट कैपिटल के फाउंडर और रॉकफेलर इंटरनेशनल के चेयरमैन, रुचिर शर्मा (Ruchir Sharma), फाइनेंशियल टाइम्स में लिखते हैं, 'पूंजीवादी शहर अब एक दूसरे के करीब आ रहे हैं. मुझे बताया गया कि मायामी-दुबई फ्लाइट का बिजनेस क्लास अब हर रोज फुल रहता है. इसका सीधा संबंध अमेरिकन एंटरप्रेन्योर्स और मिडिल ईस्ट की ऑयल वेल्थ से है. जिंबाब्वे समेत कई और देश हैं जो दुबई की कामयाबी को दोहराना चाहते हैं.'
न्यूयॉर्क में टैक्स की ऊंची दरें और अरबपतियों को लेकर अंदर-अंदर उबलता विरोध है जिसकी वजह से वहां से इन अमीरों का माइग्रेशन हो रहा है. मॉस्को में रूस-यूक्रेन युद्ध का असर है और बीजिंग में सरकारी संस्थाओं का दबाव ऐसे लोगों को देश छोड़ने पर मजूबर कर रहा है.
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