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Year Ender 2023: महंगाई, मंदी और मुश्किलें; दुनिया के लिए चुनौतियों से भरा रहा ये साल

साल 2023 में पूरी दुनिया के लिए कई संकट और कई सबक लेकर आया. कई देश अपनी गलतियों की वजह से आर्थिक चुनौतियों के ऐसे ढलान पर खड़े हो गए, जहां से वो सिर्फ नीचे ही गए, उनमें से कुछ तो उबर गए, लेकिन कुछ अब भी बस गिरते ही जा रहे हैं.
NDTV Profit हिंदीमोहम्मद हामिद
NDTV Profit हिंदी12:55 PM IST, 14 Dec 2023NDTV Profit हिंदी
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पूरी दुनिया इस वक्त आर्थिक चुनौतियों से जूझ रही है, अमेरिका से लेकर पाकिस्तान तक सभी के लिए 2023 काफी मुश्किल रहा है, कहीं बैंकिंग संकट तो कहीं महंगाई ने तरक्की के पहिये की रफ्तार को कम किया. चीन और यूरोप भी इसे अछूते नहीं रहे हैं. साल 2023 में देशों ने किस तरह की चुनौतियों को सामना किया है. एक नजर डालते हैं.

1- अमेरिका में डेट सीलिंग संकट

इस साल जून में अमेरिका के ऊपर डेट डिफॉल्ट का खतरा मंडरा रहा था, लेकिन डेट सीलिंग बिल को 5 जून की डेडलाइन से तीन दिन पहले ही अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन US कांग्रेस से पास होने के बाद अमेरिकी सीनेट से भी पास कराने में कामयाब रहे. जिससे अमेरिकी सरकार कर्ज की सीमा को बढ़ा सकी, ये सीमा 2 साल के लिए लागू रहेगी.

सरकारी बिलों को चुकाने के लिए अमेरिका कर्ज लेता है, जो उसको ब्याज के साथ लौटाना भी होता है, लेकिन एक समय के बाद उसकी कर्ज लेने की सीमा खत्म हो जाती है.ऐसे में अगर यूएस ट्रेजरी को सरकारी खर्चों को पूरा करने के लिए पैसों की जरूरत होगी तो उसके पास नहीं होंगे, और वो डिफॉल्ट कर जाएगी.

अमेरिका का इतिहास रहा है कि कर्ज की सीमा को कई बार बढ़ाया है. 1960 से लेकर अबतक वो 79 बार इस सीलिंग को बढ़ा चुका है और कभी भी डिफॉल्ट नहीं हुआ है.

2- चीन का प्रॉपर्टी डिफॉल्ट

चीन का प्रॉपर्टी संकट इस साल काफी सुर्खियों में रहा, पहले चीन के सबसे बड़े डेवलपर एवरग्रांड ने खुद को दिवालिया घोषित किया, इसके बाद चीन की सबसे बड़ी प्राइवेट रियल एस्टेट कंपनी कंट्री गार्डन भी ऑफशोर बॉन्ड का पेमेंट नहीं चुकाने की वजह से बर्बादी की कगार पर खड़ी है. दरअसल, चीन में प्रॉपर्टी संकट बीते दो वर्षों से चला आ रहा है, रियल एस्‍टेट सेक्‍टर का बबल अब फूट रहा है.

चीन की इकोनॉमी में रियल एस्‍टेट सेक्‍टर की 25-30% हिस्‍सेदारी है. रियल एस्‍टेट क्राइसिस का मतलब है, पूरे चीन की इकोनॉमी पर संकट. रेटिंग एजेंसी S&P के मुताबिक, बीते तीन साल में 50 से ज्‍यादा डेवलपर्स ने या तो डिफॉल्ट किया है या कर्ज चुकाने में नाकाम रहे हैं. एवरग्रांड ग्रुप के ऊपर करीब 327 बिलियन डॉलर का कर्ज है. दिसंबर 2021 में एवरग्रांड ग्रुप ने पहली बार डिफॉल्ट किया और इसके बाद चीन के रियल एस्टेट में कुछ और बड़े डिफॉल्ट हुए. एक वक्त ऐसा था जब एवरग्रांड चीन के सबसे बड़े बिल्डर्स में शामिल थी.

3- यूरो जोन मंदी में

इस साल पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्थाओं ने चुनौतियों का सामना किया है. यूरो जोन पहली तिमाही में मंदी में चला गया. आयरलैंड, नीदरलैंड, जर्मनी और ग्रीस यूरोप की ऐसी अर्थव्यवस्थाएं रहीं, जिन्होंने पहली तिमाही में QoQ आधार पर इकोनॉमी में गिरावट दर्ज की.

पहली तिमाही में यूरो जोन की GDP ग्रोथ -0.1% रही. जर्मनी के सांख्यिकी कार्यालय से जारी हुए तिमाही आंकड़ों के मुताबिक, इस साल की पहली तिमाही में जर्मनी की GDP 0.3% कम हुई थी. वहीं, साल 2022 की चौथी तिमाही में यानी अक्टूबर से दिसंबर के बीच जर्मनी की GDP 0.5% घटी थी.

4- कर्ज तले डूबा पाकिस्तान, खस्ताहाल करेंसी और महंगाई

साल 2023 पाकिस्तान के लिए अच्छा नहीं रहा. दिनों दिन कमजोर होती करेंसी, पाकिस्तान इस समय इतिहास की सबसे खराब महंगाई की मार झेल रहा है. पाकिस्तान कभी IMF के सामने तो कभी चीन के सामने कर्ज मांगकर अपने हालात बेहतर करने की कोशिश में लगा है. लेकिन जिन शर्तों पर IMF पाकिस्तान को कर्ज दे रहा है, उससे पाकिस्तान के निचले और मध्यम दर्ज के लोगों की जिंदगी और बदतर ही होगी.

1947 के बाद से पाकिस्तान IMF से अबतक 23 बार कर्ज ले चुका है. पाकिस्तानी करेंसी की तो हालत ये है कि जनवरी में ये डॉलर के मुकाबले गिरकर 262 तक पहुंच गई, जो कि 20 वर्षों के इतिहास में एक दिन में सबसे बड़ी गिरावट रही, एक दिन में ये 9.6% तक टूटा. ये गिरावट इतनी बड़ी थी कि IMF को तुरंत आगे आना पड़ा और कर्ज देना पड़ा. पाकिस्तान रुपया अब भी 1 डॉलर के मुकाबले 280 के भाव पर चल रहा है.

5- श्रीलंका की हालत बद से बदतर

श्रीलंका बीते कई वर्षों से कई मोर्चों पर चुनौतियों का सामना कर रहा है. बिजली, खाद्य और ईंधन का संकट इस साल भी जारी रहा. कई दशकों में श्रीलंका ऐसी भारी आर्थिक मंदी को झेल रहा है, यहां की इकोनॉमी अप्रैल-जून तिमाही में 3.1% तक सिकुड़ गई है.

यहां की करेंसी गर्त में जा चुकी है, महंगाई आसमान पर है और लोगों की खरीद क्षमता खत्म हो चुकी है. यहां एग्री सेक्टर तो 3.6% से बढ़ा है, लेकिन फैक्ट्रियां बंद होने से इंडस्ट्रीज आउटपुट 11.5% तक गिर गया है. सर्विसेज की सेहत भी खराब है. श्रीलंका में महंगाई का आलम ये है कि दो साल में पहली बार यहां महंगाई दर सिंगल डिजिट में आई है. जून 2023 में श्रीलंका में महंगाई 12% थी, जुलाई में ये 6.3% रही है. जबकि इसके पहले सितंबर 2022 में श्रीलंका में महंगाई करीब 70% तक पहुंच गई थी.

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