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Indusind Bank Saga: 'गड़बड़ी' से 'संभावित धोखाधड़ी' तक का सफर

Indusind Bank Fall Journey: ऑडिटर्स ने माना है कि जो तथ्य सामने आए हैं, उनके आधार पर उन्हें भी लगता है कि बैंक में धोखाधड़ी जैसे अपराध हुए हो सकते हैं.
NDTV Profit हिंदीविश्वनाथ नायर
NDTV Profit हिंदी12:06 PM IST, 22 May 2025NDTV Profit हिंदी
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किसी भी दिन अगर 30 साल पुराना कोई बैंक अपनी अब तक की सबसे बड़ा तिमाही घाटा रिपोर्ट करे, तो वो बड़ी खबर होती. लेकिन इंडसइंड बैंक के मामले में ये एक और गंभीर मोड़ था.

करीब दो महीने पहले बैंक ने जानकारी दी थी कि उसके डेरिवेटिव्स पोर्टफोलियो में कुछ गड़बड़ियां पाई गई हैं. अब बैंक कह रहा है कि ये गड़बड़ियां इतनी बड़ी हैं कि संभावित धोखाधड़ी का संदेह है. बोर्ड ने कहा है कि वह संबंधित जांच एजेंसियों से संपर्क कर रहा है और जिम्मेदारों की पहचान की जा रही है.

बैंक के स्वतंत्र ऑडिटर्स MSKA & Associates ने भी चौथी तिमाही के नतीजों के साथ दिए नोट में कहा कि उनके मुताबिक कुछ सीनियर अधिकारियों और पूर्व मैनेजमेंट ने बैंक के आंतरिक नियंत्रणों को नजरअंदाज कर कई प्रक्रियाएं प्रभावित की हैं.

ऑडिटर्स ने माना है कि जो तथ्य सामने आए हैं, उनके आधार पर उन्हें भी लगता है कि बैंक में धोखाधड़ी जैसे अपराध हुए हो सकते हैं.

हालांकि, न तो बैंक बोर्ड और न ही ऑडिटर्स ने खुद की कोई ज़िम्मेदारी मानी है. उन्होंने सीधा नाम लिए बिना मौजूदा और पूर्व CEO व डिप्टी CEO पर संकेत किया है- दोनों ने इस्तीफा दे दिया है.

गड़बड़ी पर गड़बड़ियां

2016 से 2024 के बीच बैंक ने कई डेरिवेटिव्स डील कीं जिन्हें बैंक ने 'इंटरनल ट्रेड्स' कहा है, जो अकाउंटिंग नियमों के मुताबिक नहीं थीं.

FY25 की पहली तीन तिमाहियों में माइक्रोफाइनेंस पोर्टफोलियो में ब्याज और शुल्क आय को गलत तरीके से दिखाया गया. जनवरी में ये सुधार किया गया.

कई माइक्रोफाइनेंस अकाउंट्स को गलत तरीके से स्टैंडर्ड दिखाया गया था, जिन्हें अब NPA (गैर-निष्पादित संपत्ति) में डाला गया है. इससे बैंक को करीब 2,000 करोड़ रुपये का झटका लगा है.

बैलेंस शीट के 'अन्य संपत्तियों' हिस्से में अस्पष्ट बैलेंस पाया गया, जो किसी भी बैंकिंग संस्था के लिए असामान्य माना जाता है.

अन्य छोटी-छोटी अकाउंटिंग गलतियां भी पाई गई हैं, जो पहले के वर्षों से चली आ रही हैं.

नया CEO खोज रहा है बोर्ड

जिस बोर्ड की निगरानी में ये सब हुआ, वही अब नया CEO नियुक्त करने की प्रक्रिया में है. बैंक के चेयरमैन सुनील मेहता ने कहा है कि RBI को 30 जून से पहले नाम भेज दिए जाएंगे. अंतिम फैसला RBI ही करेगा.

अब सवाल है- क्या बैंक को सरकारी बैंकिंग क्षेत्र से कोई नया नेतृत्व मिलेगा? दूसरे बैंकों ने ऐसा किया है और अच्छा प्रदर्शन भी किया है. स्थिरता की दृष्टि से ये कदम फायदेमंद हो सकता है.

RBI की भूमिका पर नजर

अब तक RBI ने कोई सख्त कदम नहीं उठाया है, सिवाय 15 मार्च के उस बयान के जिसमें लोगों से घबराकर पैसे न निकालने की अपील की गई थी. जबकि Yes Bank, RBL Bank, Dhanlaxmi Bank जैसे मामलों में RBI ने तुरंत बोर्ड में एक ऑब्जर्वर डायरेक्टर नियुक्त किया था.

इंडसइंड बैंक में अब तक ऐसा कुछ नहीं किया गया है. अब देखना ये है कि क्या RBI अगला कदम उठाएगा?

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