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क्या अब भी जी एंटरटेनमेंट के साथ विलय करेगा सोनी?

इस विलय से जुड़ी सभी प्रकार की रेगुलेटरी मंजूरियां मिल चुकी हैं, अब बस सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय से जी एंटरटेनमेंट और सोनी ग्रुप को संयुक्त बोर्ड, मैनेजिंग डायरेक्टर और चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर (CFO) का चुनाव करने की मंजूरी बाकी है.
NDTV Profit हिंदीसजीत मंघाट
NDTV Profit हिंदी08:17 PM IST, 12 Dec 2023NDTV Profit हिंदी
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एंटरटेनमेंट की दुनिया में दो बड़ी कंपनियां, जी एंटरटेनमेंट (Zee Entertainment) और सोनी ग्रुप (Sony Group) का विलय महज 2 कदम की दूरी पर हैं, लेकिन अब भी इस बात पर आशंकाओं के बादल हैं कि ये संगम होगा कि नहीं.

इस विलय से जुड़ी सभी प्रकार की रेगुलेटरी मंजूरियां मिल चुकी हैं, अब बाकी है तो बस सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय से जी एंटरटेनमेंट और सोनी ग्रुप को संयुक्त रूप से नए बोर्ड, मैनेजिंग डायरेक्टर और चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर (CFO) का चुनाव करने की मंजूरी.

इसके साथ ही, जी और सोनी की संयुक्त इकाई के लिए रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज की फाइलिंग की भी जरूरत पड़ेगी. जी के शेयरधारकों को 47% हिस्सेदारी मिलेगी और बाकी हिस्सेदारी सोनी के शेयरधारकों के पास जाएगा. इस विलय के बाद जी के शेयर डीलिस्ट होगा और संयुक्त इकाई की लिस्टिंग होगी. लेकिन इन सारी समस्याओं से निपटने के लिए जी और सोनी को साथ आना होगा.

इस विलय की डेडलाइन 21 दिसंबर की है. इस डेडलाइन को आगे बढ़ाने के लिए दोनों पार्टियों की रजामंदी जरूरी है. दोनों पार्टियां इस समझौते के लिए 3 बार एक्सटेंशन ले सकती हैं, लेकिन गौर करने की बात ये है कि अभी तक इन्होंने पहली बार के लिए एक्सटेंशन नहीं मांगा है.

इसके पीछे एक बड़ी वजह है जी एंटरटेनमेंट के प्रोमोटर और अन्य ग्रुप कंपनियों के मैनेजिंग डायरेक्टर पुनीत गोयनका (Punit Goenka) पर चल रहे रेगुलेटरी मामले. इस बीच, सिक्योरिटीज अपीलेट ट्रिब्यूनल (SAT) ने SEBI के अंतरिम ऑर्डर के बाद गोयनका को किसी भी अहम पद की जिम्मेदारी लेने से रोक लगा दी है. इसके साथ ही SAT ने SEBI को जांच पूरी करने का निर्देश दिया है.

इसमें कोई दोराय नहीं कि ये अड़चन एस्सेल ग्रुप के लिए काफी बड़ी है, ये ग्रुप कॉरपोरेट गवर्नेंस के शत प्रतिशत पालन करने वालों में जाना जाता है. इसके साथ ही एक चुप्पी जो बहुत सुनाई दे रही है, वो है सोनी ग्रुप की. अपने हाई स्टैंडर्ड्स को लकीर मानकर फॉलो करने वाले सोनी ग्रुप ने इस मामले पर फिलहाल कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.

बाजार में इस तरह की खबरें भी गर्म हैं कि सोनी ग्रुप विलय के बाद कंपनी को चलाने के लिए गोयनका के अलावा किसी अन्य की तलाश में है, ये भी जी एंटरटेनमेंट के शेयरहोल्डर्स के लिए परेशानी का सबब है. ऐसी खबरों पर सोनी ने चुप्पी साध रखी है, और जी ने खबरों का खंडन कर दिया है. किसी नए शख्स के पिक्चर में आने का मतलब है एक्सचेंज, रेगुलेटर्स, NCLT और शेयरधारकों से वापस मंजूरी लेने की माथापच्ची, क्योंकि विलय की स्थिति में गोयनका को मैनेजिंग डायरेक्टर नियुक्त किया जाने वाला था.

तो अब क्या?

जी और सोनी के विलय होने के बाद जो नई कंपनी बनती, उसका एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में 25% मार्केट शेयर होता. FY23 के अंत तक इस कंपनी की रेवेन्यू 13,300 करोड़ रुपये से ज्यादा का होती.

अगर बात आंकड़ों की ही हो रही है, तो शेयर का भाव और वैल्यूएशन कुछ और ही कहानी बयां करते हैं. जी एंटरटेनमेंट के शेयर प्री-मर्जर की घोषणा के भाव से कुछ ही पीछे हैं. सितंबर 2021 में जब से जी और सोनी के विलय की खबर बाजार में उड़ी है, बड़े नामों ने पहले ही शेयर को इतना खरीदा कि शेयर का भाव 168 रुपये से बढ़कर 260 रुपये के भाव पर पहुंच गया.

ब्लूमबर्ग के मुताबिक, शेयर का 12-महीने का कंसेंसस प्राइस टारगेट 324 रुपये का है. एक भी घोषणा, जो मर्जर और लीडरशिप के लिए पॉजिटिव हो, वो शेयर को अपने टारगेट प्राइस की ओर दौड़ाएगी, वहीं किसी निगेटिव खबर से शेयर का भाव टूटेगा.

एक दूसरा परिणाम ये हो सकता है कि सोनी ग्रुप का मर्ज इकाई पर 10,000 करोड़ रुपये का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) है. इतनी बड़ी धनराशि की मदद से संयुक्त कंपनी एंटरटेनमेंट और डिजिटल स्पेस में अपने पांव पसार सकती है और स्पोर्ट्स सेगमेंट में भी बड़ा कदम रख सकती है. अगर ये मर्जर हो जाता है, तो ये अब तक का सबसे बड़ा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) होगा.

खैर... सोनी या जी एंटरटेनमेंट, जो भी इस डील से अलग होता है, उसको मर्जर को तोड़ने के चलते $100 मिलियन का भुगतान करना होगा.

डील नहीं होने की स्थिति में जी के प्रोमोटर्स के पास सिर्फ 3.99% हिस्सेदारी रहेगी. इससे कंपनी और मैनेजमेंट के खिलाफ शेयरहोल्डर एक्टिविज्म का खतरा बना रहेगा. अगर मर्जर नहीं होता है तो जी एंटरटेनमेंट को अकेले कारोबार करना होगा. ऐसे में, निवेशकों का भरोसा, खासकर इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स, जीतना काफी चुनौती भरा होगा. यही नहीं, एसेल ग्रुप के प्रोमोटर्स के कर्ज चुकाने की क्षमता को लेकर भी सवाल बना रहेगा और इसमें लंबा वक्त भी लग सकता है.

जापानी कंपनियां निवेश में बहुत ज्यादा जोखिम नहीं उठाने के लिए जानी जाती हैं. वो अपनी साख गंवाने से बेहतर पैसा गंवाना पसंद करेंगी.

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