सरकार ने फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट (करेंट अकाउंट ट्रांजैक्शन्स) रूल्स, 2000 के नियम 7 को खत्म कर दिया है. इससे विदेशी मुद्रा में क्रेडिट कार्ड के इस्तेमाल पर असर पड़ेगा और 1 जुलाई 2023 से 20% TCS (Tax Collected at Source) लगेगा.
इसका मतलब हुआ कि ऐसे ट्रांजैक्शन्स के लिए अतिरिक्त पैसा देना होगा. इसमें ध्यान देने वाली अहम बात ये है कि छोटे ट्रांजैक्शन्स को भी राहत नहीं मिलेगी, क्योंकि इसमें हर लेन-देन को कवर किया जाएगा. आइए इस मामले को डिटेल में जान लेते हैं कि इस कदम से क्रेडिट कार्ड यूजर्स पर कैसे और क्या असर होगा.
फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट (करेंट अकाउंट ट्रांजैक्शन्स) रूल्स, 2000 का नियम 7 दो दशक पहले पेश किया गया था. इसका मकसद विदेशी मुद्रा में क्रेडिट कार्ड्स के इस्तेमाल को बढ़ावा देना था. इसके तहत, विदेश में भुगतान के लिए ग्लोबल क्रेडिट कार्ड के इस्तेमाल को लिबरलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम (LRS) से बाहर कर दिया गया था.
LRS के तहत अलग-अलग इस्तेमाल के लिए विदेश में 2.5 लाख डॉलर प्रति व्यक्ति तक खर्च की इजाजत मिलती है. इनमें शिक्षा, मेडिकल खर्च और निवेश भी शामिल होता है. इस नियम के तहत, ग्लोबल क्रेडिट कार्ड के इस्तेमाल से ये 2.5 लाख डॉलर की सीमा हट गई थी. तो, इसे कैलकुलेशन में शामिल करने की जरूरत नहीं होती थी. लेकिन बदलाव के बाद इसे कैलकुलेशन में शामिल करना पड़ेगा.
इन खर्चों का असर LRS के तहत बहुत ज्यादा नहीं होता है. लेकिन इसकी वजह से जो असर होगा, वो बड़ा है. 2.5 लाख डॉलर की कुल LRS सीमा कहने को बड़ी है. लेकिन 1 जुलाई से जो चीज परेशान करेगी, वो TCS का असर है, क्योंकि ये हर ट्रांजैक्शन पर होगा. इस साल की शुरुआत में पेश किए गए केंद्रीय बजट में, TCS के नियमों में बदलाव किया गया था.
मौजूदा समय में, वे ट्रांजैक्शन जो शिक्षा या मेडिकल खर्च से जुड़े नहीं हैं, उन पर TCS 5% की दर से लग रहा है, लेकिन वो तभी, जब एक साल में ट्रांजैक्शन 7 लाख को पार कर जाता है. 1 जुलाई से, TCS की दर बढ़कर 20% हो जाएगी. इस पर कोई सीमा भी नहीं होगी, यानी TCS पहले खर्च से ही लगना शुरू हो जाएगा.
एक सामान्य व्यक्ति के तौर पर, क्रेडिट कार्ड के लिए इस नियम में बदलाव के दो असर होंगे और ये 1 जुलाई 2023 से देखने को मिलेंगे.
पहला, जब आप भारत में हैं, लेकिन विदेशी वेबसाइट्स या विदेशी मुद्रा में अपने क्रेडिट कार्ड्स पर इंटरनेशनल स्पेंड्स की सुविधा का इस्तेमाल कर रहे हैं. ये बहुत बार होता है, जब आप कोई खरीदारी करते हैं या किसी सब्सक्रिप्शन को खरीदते हैं. जिस समय आप ये करते हैं, तो छोटी से छोटी राशि पर 20% TCS लगेगा. क्योंकि ये बिना किसी सीमा के लागू है.
दूसरी बात ये है कि जब आप विदेश जाते हैं और फिर क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करते हैं. यहां भी हर ट्रांजैक्शन के लिए 20% TCS लागू होगा. साधारण शब्दों में, जब आप विदेश में पैसा खर्च करते हैं या विदेशी मुद्रा में खर्च करते हैं, तो आपका खर्च 20% बढ़ जाएगा. इसके लिए, आपको अपने विदेश में खर्च के लिए ज्यादा पैसा रखना होगा, क्योंकि खर्च के साथ TCS भी लगेगा.
यहां जो पैसा कटेगा, वो इनकम टैक्स विभाग के रिकॉर्ड्स में आपके PAN पर दिखेगा. इसका मतलब है कि आप इसे टैक्स लायबिलिटी के लिए एडजस्ट कर सकते हैं. जैसे दूसरे टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स को टैक्स लायबिलिटी कैलकुलेट करते समय, भुगतान किए गए टैक्स के लिए क्रेडिट के तौर पर माना जाता है, TCS भी उसी तरीके से काम करेगा. तो, व्यक्ति को टैक्स रिटर्न फाइल करते समय इसे एडजस्ट करना नहीं भूलना चाहिए. हालांकि, अगर ये अतिरिक्त राशि है और ये आपकी टैक्स लायबिलिटी को पार करता है, तो आप रिफंड क्लेम कर सकते हैं. सिर्फ इस बात का ध्यान रखना होगा कि इसे वित्त वर्ष के आखिर में क्लेम करना होगा, जब आप अपना टैक्स रिटर्न फाइल करते हैं. इसका मतलब है कि रिफंड पाने के लिए लंबा इंतजार करना होगा.
अर्णव पंड्या
(लेखक Moneyeduschool के फाउंडर हैं)