रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने क्रेडिट कार्ड जारी करने वाली कंपनियों को ये निर्देश दिया है कि वो ग्राहकों को दूसरे नेटवर्क को चुनने का भी विकल्प दें.
यानी अब से, बैंक या नॉन-बैंक जो भी क्रेडिट कार्ड जारी करते हैं, उन्हें अपने ग्राहकों को ये विकल्प देना होगा कि वो मल्टीपल कार्ड नेटवर्क का इस्तेमाल कर सकें. RBI के मुताबिक ग्राहकों को ये विकल्प कार्ड जारी करते समय ही दे देना होगा.
रिजर्व बैंक ने पाया है कि ऑथराइज्ड कार्ड नेटवर्क बैंकों, नॉन बैंकों के साथ क्रेडिट कार्ड जारी करने के लिए एक करार कर लेते हैं. किसी ग्राहक को जारी किए गए कार्ड के लिए नेटवर्क का चुनाव कार्ड इश्युअर (बैंक / गैर-बैंक) की ओर से तय किया जाता है, और ये व्यवस्था कार्ड इश्युअर और कार्ड नेटवर्क के बीच आपसी करार के तहत काम करती है.
समीक्षा करने पर रिजर्व बैंक ने पाया कि कार्ड नेटवर्क और कार्ड इश्युअर के बीच मौजूद कुछ व्यवस्थाएं ग्राहकों के लिए विकल्प का इस्तेमाल करने से रोकती हैं. इसे लेकर रिजर्व बैंक कार्ड इश्युअर को दिशा निर्देश जारी किए हैं-
कार्ड इश्युअर कार्ड नेटवर्क के साथ ऐसा कोई करार नहीं करें, जिससे ग्राहकों को दूसरे नेटवर्क का फायदा उठाने से रोका जाता है.
कार्ड इश्युअर्स अपने ग्राहकों को कार्ड जारी करते समय मल्टीपल कार्ड नेटवर्क चुनने का विकल्प देंगे
कार्ड इश्युअर्स मौजूदा कार्डहोल्डर्स को ये विकल्प अगले रीन्युएबल के समय दे सकते हैं
इसके लिए रिजर्व बैंक ने ऑथराइज्ड कार्ड नेटवर्क के नाम भी लिस्ट किए हैं. इनमें ये नाम शामिल हैं
अमेरिकन एक्सप्रेस बैंकिंग कॉर्प.
डायनर्स क्लब इंटरनेशनल
मास्टरकार्ड एशिया/पैसिफिक
NPCI-RuPay
वीजा वर्ल्डवाइड
हालांकि रिजर्व बैंक का ये निर्देश उन क्रेडिट कार्ड जारीकर्ताओं पर लागू नहीं हैं जिनके एक्टिव कार्ड्स की संख्या 10 लाख या उससे कम है और इसमें वो कार्ड इश्युअर भी शामिल नहीं हैं, जो अपने अपने ऑथराइज्ड कार्ड नेटवर्क पर क्रेडिट कार्ड जारी करते हैं-
ये निर्देश उन क्रेडिट कार्ड जारीकर्ताओं पर लागू नहीं हैं जिनके एक्टिव कार्ड्स की संख्या 10 लाख या उससे कम है
इसमें वो कार्ड इश्युअर भी शामिल नहीं हैं, जो अपने अपने ऑथराइज्ड कार्ड नेटवर्क पर क्रेडिट कार्ड जारी करते हैं
रिजर्व बैंक का ये कदम कार्ड नेटवर्क और कार्ड इश्युअर्स के बीच कुछ गठजोड़ को देखने के बाद उठाया गया है, जिसकी वजह से कार्ड नेटवर्क का चुनाव करने की सुविधा ग्राहकों को नहीं दी जा रही थी, जो उनके हितों के अनुकूल नहीं थी.