सोने की कीमतों में सोमवार को भी मामूली गिरावट देखी गई है और इसका भाव 88,065 रुपये/10 ग्राम तक पहुंच गया है. मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर गोल्ड के जून वायदा में 10 रुपये या 0.01% की गिरावट देखी गई, और ये 88,065 रुपये/10 ग्राम पर कारोबार कर रहे थे. वहीं दूसरी ओर अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी गोल्ड के फ्यूचर रेट्स में गिरावट देखी गई, जहां न्यूयॉर्क में सोने की कीमत 0.55% घटकर 3,021.51 डॉलर/औंस हो गई.
मौजूदा गिरावट के बावजूद गोल्ड में तेजी आने की उम्मीद है और एक्सपर्ट्स इसमें निवेश की सलाह दे रहे हैं. हालिया गिरावट कमजोर स्पॉट डिमांड के कारण आई. एक्सपर्ट्स का मानना है कि वैश्विक आर्थिक स्थिति और निवेशकों की सतर्कता के कारण सोने की कीमतों में अस्थिरता बनी हुई है. हफ्ते-10 दिन मार्केट थोड़ा पैनिक हो सकता है, लेकिन एक बार फिर तेजी लौटेगी.
केडिया एडवायजरी के MD अजय केडिया ने कहा, 'अगले कुछ दिन मार्केट थोड़ा पैनिक हो सकता है, लेकिन एक बार फिर तेजी देखी जाएगी.' NDTV Profit हिंदी से बातचीत में उन्होंने कहा, 'गोल्ड का नीचे 86,000 रुपये के भाव तक का बेस बन रहा है. वहीं सिल्वर में 84,000 रुपये तक का बेस बनने का अनुमान है.
केडिया एडवायजरी का पुराना आकलन था कि साल 2025 के फर्स्ट हाफ में तेजी रहेगी, जबकि सेकेंड हाफ में करेक्शन आ सकता है. आकलन के पीछे आधार ये था कि 20 जनवरी को अमेरिका के राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने के बाद डॉनल्ड ट्रंप शुरुआती 4-5 महीनों में स्थितियों को समझेंगे, स्टडी करेंगे और इसके बाद फैसले लेंगे. लेकिन उन्होंने इसमें काफी तेजी दिखाई, शायद शपथ लेने से पहले से ही ट्रंप आकलन कर रहे हों. अब जबकि थोड़ा करेक्शन देखने को मिल रहा है, ऐसे में आने वाले समय में गोल्ड में तेजी देखी जाएगी.
जियो-पॉलिटिकल टेंशन (Geopolitical Concerns)
डॉलर पर निर्भरता में कमी (De-Dollarization)
सेंट्रल बैंक और ETF की खरीदारी ( Central Bank and ETF buying)
इक्विटी मार्केट में गिरावट (Equity market Erosion)
महंगाई और मंदी का डर (Inflation and Recession fear)
जब भी इक्विटी बाजार में तिमाही आधार पर 20% से अधिक की गिरावट आई है, गोल्ड ने अच्छा प्रदर्शन किया है. पिछले 25 वर्षों में गोल्ड ने वैश्विक बाजार के तनाव के दौरान लगातार अच्छा प्रदर्शन किया है.
उदाहरण के तौर पर, 2008 की ग्लोबल फाइनेंशियल क्राइसिस के दौरान S&P500 57.69% टूटा, जबकि गोल्ड 39.56% चढ़ा. इसी तरह, 2020 में कोविड-19 महामारी के समय इक्विटी बाजार 35.71% गिरा और गोल्ड 32.48% ऊपर गया. डॉट-कॉम बबल के समय भी यही ट्रेंड दिखा, S&P500 49.20% टूटा और गोल्ड 21.65% बढ़ा.
2008 में S&P500 में 57.69% की भारी गिरावट आई; उसी दौरान गोल्ड 39.56% चढ़ा
डॉट-कॉम क्रैश में S&P500 49.2% टूटा, जबकि दो वर्षों में गोल्ड 21.65% बढ़ा
कोविड क्रैश में इक्विटी बाजार 35.71% गिरा, वहीं गोल्ड 32.48% चढ़ा
हालिया टैरिफ वॉर में S&P500 में 21.87% की गिरावट; गोल्ड पहले ही 21.15% की बढ़त के साथ रिबाउंड
निकट भविष्य में गोल्ड कीमतों में कुछ समय के लिए स्थिरता आ सकती है, लेकिन 3 से 6 महीने की अवधि में इसका रुख तेजी का रहेगा. फिलहाल चल रहे टैरिफ वॉर के परिदृश्य में S&P500 में 21.87% की गिरावट आई है, और गोल्ड पहले ही 21.15% चढ़ चुका है. Q2 2025 तक इसके $3167.7 तक पहुंचने की संभावना है.
आंकड़े दिखाते हैं कि संकट के समय गोल्ड लगातार सुरक्षा और रिटर्न देता है. ऐसे समय में रणनीतिक और चरणबद्ध तरीके से निवेश करना लंबी अवधि में फायदेमंद हो सकता है. अजय केडिया ने कहा, 'अंतरराष्ट्रीय बाजार में ये $3340 तक और घरेलू बाजार में ₹94,500 से ₹95,000 के स्तर तक पहुंच सकता है, ऐसी उम्मीद है.
अजय केडिया के अनुसार, जब भी इक्विटी बाजार में तिमाही आधार पर 20% से अधिक की गिरावट आती है, गोल्ड हमेशा बेहतर रिटर्न देता है. ऐसे समय में गोल्ड में रणनीतिक और चरणबद्ध निवेश लंबी अवधि में निवेशकों को फायदा पहुंचा सकता है. उनकी सलाह है कि अगर आप बाजार की अस्थिरता से परेशान हैं और सुरक्षित निवेश की तलाश में हैं, तो गोल्ड आपके पोर्टफोलियो में संतुलन और सुरक्षा दोनों दे सकता है.