सिर्फ गहनों के रूप में ही नहीं, इन्वेस्टमेंट (Gold Investment) के तौर पर भी लंबे समय तक गोल्ड भारत में आम निवेशकों (Retail Investor) की पहली पसंद रहा है. विदेशों में इसकी इमेज ‘सेफ’ इन्वेस्टमेंट और महंगाई के खिलाफ ‘हेज’ की रही है, लेकिन पिछले कुछ सालों में दुनिया भर के गोल्ड निवेशकों को रिटर्न के मामले में निराशा हाथ लगी है. महंगाई के बेहद ऊंचे स्तरों पर रहने के बावजूद गोल्ड की कीमतें (Gold Prices) करीब 2 सालों से निचले स्तरों पर ही रही हैं. जहां तक भारत की बात है, यहां गोल्ड की कीमत पर महंगाई दर का नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय कीमतों और डॉलर- रुपया एक्सचेंज रेट का असर पड़ता है.
कोविड-19 के दौर में जिस तरह दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाओं में अनिश्चितता बढ़ी
उसके बावजूद सोने की तरफ लोगों का रुझान पहले की तरह नहीं दिखा
महंगाई के खिलाफ हेज (hedge) के तौर पर गोल्ड को देखा जाता है
लेकिन ऊंची ब्याज दरें इसमें निवेश बनाए रखने की अपॉरच्युनिटी कॉस्ट को बढ़ा देती हैं
इस वजह से कई निवेशक गोल्ड से दूर रहना पसंद कर रहे हैं.
साल 2020 में भारत में गोल्ड ने अबतक का सबसे ऊंचा स्तर छुआ था, जब इस यलो मेटल की कीमत 57,000 रुपए प्रति 10 ग्राम तक पहुंच गई थी. हालांकि वहां से इसमें गिरावट का जो सेंटिमेंट बना, उसने गोल्ड में निवेश के बड़े सपोर्टर्स को भी दूर कर दिया. मार्च 2021 में तो देश में 10 ग्राम गोल्ड की कीमत 46,000 रुपए तक गिर गई थी. फिलहाल उस स्तर से कीमतों में करीब 10 परसेंट का सुधार आया है, और भाव 50,000 रुपए के स्तर पर चल रहे हैं.
अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ने की वजह से डॉलर दुनिया की ज्यादातर करेंसीज के मुकाबले मजबूत हुआ है. मजबूत डॉलर का मतलब है गोल्ड खरीदना महंगा होना. यही वजह है कि अनिश्चितता के बावजूद दूसरे एसेट क्लासेज, खासकर स्टॉक में लोगों ने निवेश करना बेहतर समझा.
अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ीं
दुनिया भर में करेंसीज डॉलर के मुकाबले कमजोर
ऊंचे ब्याज दर और मजबूत डॉलर की वजह से सोना खरीदना महंगा
महंगाई दर बढ़ने के बावजूद महंगी खरीद की वजह से घटा गोल्ड इन्वेस्टमेंट का रुझान
जैसे- जैसे दुनिया भर में गोल्ड की डिमांड बढ़ेगी, इसकी कीमतें ऊपर जाएंगी. हालांकि उतार-चढ़ाव और करेक्शंस के लिए भी लोगों को तैयार रहना होगा. इसलिए बेहतर है कि लंबी अवधि के लिए टुकड़ों- टुकड़ों में गोल्ड में इन्वेस्टमेंट करें.
कमोडिटी बाजार के जानकार सलाह देते हैं कि गोल्ड इन्वेस्टर्स को कम से कम 9-10 साल की अवधि के लिए पैसे लगाने चाहिए, जिस दौरान वे 9-10% सालाना रिटर्न की उम्मीद कर सकते हैं. वित्तीय सलाहकार भी मानते हैं कि हर किसी को अपने पोर्टफोलियो में 5-10% के बीच गोल्ड रखना चाहिए, ताकि पोर्टफोलियो का डाइवर्सिफिकेशन और बैलेंस बना रहे.