क्या सोने की कीमतें इस साल 72,000 रुपये तक पहुंच जाएंगी? ये सवाल इसलिए क्योंकि बीते 6 दिनों से सोने की कीमतों में जोरदार तेजी देखने को मिल रही है.
मंगलवार को घरेलू बाजार में सोने की कीमतों ने नया रिकॉर्ड हाई बनाया. MCX पर सोने का अप्रैल वायदा मंगलवार को 800 रुपये उछलकर 65,140 रुपये प्रति 10 ग्राम तक चला गया, जो कि इसका ऑल टाइम हाई है. हालांकि आज इसमें हल्की नरमी देखी जा रही है. ब्लूमबर्ग के मुताबिक स्पॉट मार्केट में भी सोने की कीमतों में 1,100 रुपये प्रति 10 ग्राम की तेजी रही और ये 64,413 रुपये के रिकॉर्ड हाई तक पहुंचा.
वेल्थस्ट्रीट फाइनेंशियल सर्विसेज की सुगंधा सचदेवा कहती हैं कि सोने की कीमतों में आई मौजूदा तेजी की वजह है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था में कीमतों का दबाव कम हुआ है, जिसकी वजह से इस बात की उम्मीद बढ़ गई है कि फेडरल रिजर्व ब्याज दरों में कटौती कर सकता है. इसके अलावा जियो-पॉलिटिकल तनाव और दुनिया भर में केंद्रीय बैंकों की ओर से सोने के भंडार को रिजर्व करने से भी कीमतों को सपोर्ट मिला है.
आमतौर पर ऐसा माना जाता है कि जब ब्याज दरें घटती हैं, तो इससे सोने की कीमतों को सहारा मिलता है और ये सोने के दाम बढ़ते हैं. जब ब्याज दरें बढ़ती हैं तो निवेशक फिक्स्ड इनकम निवेशक की तरफ आकर्षित होते हैं, क्योंकि उन्हें वहां पर सोने के रिटर्न के मुकाबले ज्यादा ब्याज मिलने की उम्मीद होती है. यही वजह है कि दरों में कटौती से पहले निवेशक सोना खरीदना शुरू कर देते हैं, क्योंकि इसके बाद दाम बढ़ जाएंगे.
अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने के भाव बढ़े हुए हैं. मंगलवार को सोने का अप्रैल वायदा 2,150 डॉलर प्रति आउंस की रिकॉर्ड ऊंचाई तक पहुंच गया था. बीते 6 दिनों में इसमें 100 डॉलर से ज्यादा की तेजी देखने को मिली है. हालांकि अब मुनाफावसूली के चलते सोने के दाम थोड़ा नर्म हुए हैं, सोना 2,135 डॉलर के इर्द-गिर्द घूम रहा है.
सचदेवा का कहना है 'मौजूदा समय में, सोने की कीमतों को 61,200 रुपये से 59,500 रुपये प्रति 10 ग्राम की रेंज में अच्छा सपोर्ट दिख रहा है. कीमतों में गिरावट से खरीदारी में दिलचस्पी बढ़ने की उम्मीद है, जिससे साल के दौरान कीमतें करीब 72,000 रुपये की नई रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच सकती हैं'.
हालांकि एनालिस्ट्स इस बात को मानकर चल रहे हैं कि बुलियन मार्केट में तेजी आएगी, लेकिन बीच-बीच में हिचकोले भी खाने को मिलेंगे. अमेरिकी रेट कटौती की समयसीमा में किसी भी तरह का सरप्राइज डॉलर पर दबाव डाल सकता है. जबकि मिडिल ईस्ट में तनाव और चीन के सबसे बड़े बुलियन मार्केट में ग्रोथ आउटलुक से भी सेंटीमेंट्स पर असर पड़ सकता है.
ब्लूमबर्ग के मुताबिक, कॉमर्जबैंक में कमोडिटी रिसर्च के प्रमुख थू लैन गुयेन ने कहा, 'हमें लगता है कि रैली नाजुक है, मुनाफावसूली के कारण आने वाले दिनों में मामूली गिरावट देखकर हमें आश्चर्य नहीं होगा'. कुछ घरेलू घटनाएं जैसे आने वाला आम चुनाव भी सोने की कीमतों पर असर डाल सकती हैं.
सचदेवा ने कहा, एक मजबूत और स्थिर सरकार निवेशकों में विश्वास पैदा कर सकती है और रुपये को मजबूत बना सकती है. "ऐसे हालात में सोने की कीमतों में गिरावट का दबाव हो सकता है क्योंकि निवेशक जोखिम भरी एसेट्स की ओर रुख कर रहे हैं.
इसके उलट, चुनावों के आसपास अनिश्चितता या राजनीतिक उथल-पुथल से सिक्योरिटी को लेकर चिंता पैदा हो सकती है, जिससे निवेशकों को इस अस्थिरता के खिलाफ बचाव के रूप में सोने की ओर जाना पड़ सकता है.