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सीनियर सिटिजन सेविंग्स स्कीम या सीनियर सिटिजन बैंक FD? कहां पैसा लगाना है ज्यादा फायदेमंद?

सीनियर सिटिजन बैंक FD की ब्याज दरें तमाम बैंक अपने-अपने हिसाब से तय करते हैं. ऐसा करते समय वे आमतौर पर RBI की तरफ से घोषित तत्कालीन रेपो रेट और मार्केट के हालात को ध्यान में रखते हैं.
NDTV Profit हिंदीNDTV Profit डेस्क
NDTV Profit हिंदी10:48 AM IST, 16 Sep 2023NDTV Profit हिंदी
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60 साल से ज्यादा उम्र वाले रिटायर्ड लोग आम तौर पर इनवेस्टमेंट के ऐसे विकल्पों को ज्यादा पसंद करते हैं, जिनमें उनके पैसे सुरक्षित रहें और नियमित रूप से फिक्स्ड रिटर्न भी मिलता रहे.

इस लिहाज से सीनियर सिटिजन सेविंग्स स्कीम (SCSS) और सीनियर सिटिजन फिक्स्ड बैंक FD, दोनों ही काफी लोकप्रिय हैं. लेकिन इन दोनों में बेहतर क्या है? इसे समझने के लिए दोनों ही योजनाओं की विशेषताओं और उनके बीच अंतर को जानना जरूरी है.

किसमें मिलता है कितना ब्याज

सीनियर सिटिजन सेविंग्स स्कीम (SCSS): इस स्कीम पर दिए जाने वाले ब्याज का फैसला सरकार करती है. अप्रैल 2023 में सरकार ने इसकी सालाना ब्याज दर को बढ़ाकर 8.2% कर दिया, जो अब तक लागू है. मौजूदा हालात में इसे एक आकर्षक ब्याज दर कहा जा सकता है. खास तौर पर इस बात को ध्यान में रखते हुए कि सीनियर सिटिजन सेविंग्स स्कीम सरकार द्वारा समर्थित होने की वजह से पूरी तरह सुरक्षित है.

सीनियर सिटिजन बैंक FD: सीनियर सिटिजन बैंक FD की ब्याज दरें तमाम बैंक अपने-अपने हिसाब से तय करते हैं. ऐसा करते समय वे आमतौर पर RBI की तरफ से घोषित तत्कालीन रेपो रेट और मार्केट के हालात को ध्यान में रखते हैं.

आमतौर पर बैंक सीनियर सिटिजन FD पर सामान्य एफडी के मुकाबले करीब 0.50% तक ज्यादा ब्याज देते हैं. फिलहाल बाजार में अलग-अलग बैंक सीनियर सिटिजन FD पर 8- 9% तक ब्याज दे रहे हैं.

आम तौर पर ये दरें SCSS के मुकाबले कुछ अधिक रहती हैं. इस लिहाज से इन्हें आकर्षक माना जा सकता है. लेकिन ज्यादा ब्याज देने वाले सभी बैंक, खास तौर पर स्मॉल फाइनेंस बैंक (SFB), उतने सुरक्षित नहीं माने जाते.

टैक्स बेनिफिट

सीनियर सिटिजन सेविंग्स स्कीम (SCSS): इस स्कीम का एक बड़ा लाभ ये है कि इसमें सालाना 1.5 लाख रुपये तक के निवेश पर इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80C के तहत टैक्स छूट मिलती है.

SCSS से होने वाली इंटरेस्ट इनकम पर अलग से कोई टैक्स छूट लागू नहीं है. साल में 50 हजार रुपये से ज्यादा ब्याज मिलने पर इनकम टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स देना पड़ता है.

सीनियर सिटिजन बैंक FD: सीनियर सिटिजन अगर 5 साल के लॉक-इन वाले टैक्स सेविंग FD में निवेश करें, तो उस पर भी इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80C के तहत टैक्स छूट मिल सकती है. यह टैक्स छूट 80C में कवर होने वाले सभी निवेश विकल्पों में अधिकतम 1.5 लाख रुपये के सालाना निवेश पर लागू है. लेकिन 5 साल से कम या ज्यादा अवधि वाले गैर-टैक्स सेविंग FD में पैसे जमा करने पर यह छूट नहीं मिलती.

सालाना 50 हजार तक के ब्याज पर टैक्स नहीं: सीनियर सिटिजन्स को साल में अधिकतम 50 हजार रुपये तक की कुल इंटरेस्ट इनकम पर टैक्स नहीं देना पड़ता. यह छूट सभी बैंक या पोस्ट ऑफिस अकाउंट्स से मिलने वाले ब्याज पर लागू है. यानी यह लाभ SCSS और बैंक FD - दोनों पर मिलता है. इससे ज्यादा इंटरेस्ट इनकम पर अपने स्लैब के हिसाब से आयकर देना पड़ता है. अगर SCSS की तुलना सीनियर सिटिजन्स के टैक्स सेविंग एफडी से करें, तो टैक्स के मामले में दोनों स्कीम्स के बेनिफिट बराबर हैं.

निवेश की सीमा और अवधि

सीनियर सिटिजन सेविंग्स स्कीम (SCSS): इस स्कीम में 5 साल के फिक्स्ड टेन्योर के लिए निवेश किया जा सकता है. मैच्योरिटी के बाद इसे और 3 साल के लिए बढ़ाया जा सकता है. SCSS में कोई भी सीनियर सिटिजन अधिकतम 30 लाख रुपये तक जमा कर सकता है. केंद्र सरकार के 2023-24 के बजट में इस सीमा को बढ़ाया गया है. उससे पहले यह लिमिट 15 लाख रुपये थी.

सीनियर सिटिजन बैंक FD: सीनियर सिटिजन बैंक FD में अलग-अलग अवधि के लिए निवेश किया जा सकता है. इसमें निवेश की रकम पर भी कोई लिमिट नहीं है. जाहिर है, इस लिहाज से बैंक FD ज्यादा फ्लेक्सिबिलिटी ऑफर करते हैं, लेकिन इनकम टैक्स एक्ट के 80C के तहत टैक्स बेनिफिट सिर्फ 5 साल के लॉक-इन वाले टैक्स सेविंग FD पर ही मिल सकता है.

SCSS के एक एकाउंट में एक बार में ही पैसे जमा किए जा सकते हैं. सीनियर सिटिजन अगर चाहें तो एक से ज्यादा एकाउंट खोल सकते हैं. लेकिन सभी खातों को मिलाकर अधिकतम जमा राशि 30 लाख रुपये से अधिक नहीं होनी चाहिए.

SCSS अकाउंट पोस्ट ऑफिस में खोले जा सकते हैं. इसके अलावा कुछ चुने हुए सरकारी और प्राइवेट बैंकों में भी यह अकाउंट खोले जा सकते हैं.

लिक्विडिटी और ब्याज का भुगतान

सीनियर सिटिजन सेविंग्स स्कीम (SCSS): इस स्कीम में ब्याज का भुगतान हर तीन महीने पर किया जाता है. रिटायरमेंट के बाद रेगुलर इनकम हासिल करने के लिहाज से यह अच्छा ऑप्शन है. SCSS योजना के तहत मैच्योरिटी से पहले पैसे निकालने की इजाजत तो मिलती है, लेकिन पेनाल्टी के साथ.

सीनियर सिटिजन बैंक FD: बैंक एफडी ब्याज के भुगतान के मामले में ज्यादा फ्लेक्सिबल होते हैं. इनमें ब्याज का भुगतान अलग-अलग स्कीम और अवधि के हिसाब से हर महीने, हर तीन महीने पर, सालाना या मैच्योरिटी के समय हो सकता है. मैच्योरिटी से पहले पैसे निकालने के मामले में भी बैंक एफडी बेहतर लिक्विडिटी मुहैया कराते हैं. हालांकि 5 साल के लॉक-इन वाले टैक्स सेवर एफडी में इस तरह की फ्लेक्सिबिलिटी या लिक्विडिटी नहीं मिलती.

इन बातों को भी ध्यान में रखें

सीनियर सिटिजन सेविंग्स स्कीम और सीनियर सिटिजन बैंक FD -दोनों ही निवेश के ऐसे विकल्प हैं, जिन्हें पूंजी की सुरक्षा और रिटर्न की स्थिरता के लिहाज से पोर्टफोलियो में जगह दी जा सकती है. लेकिन अपनी सारी जमापूंजी इन्हीं दोनों में लगा देना लॉन्ग टर्म रिटर्न के लिहाज से काफी नहीं है.

अपनी आर्थिक जरूरतों और प्राथमिकताओं के हिसाब से अपने पोर्टफोलियो में दूसरे एसेट्स को जगह देने पर भी जरूर विचार करना चाहिए.

सीनियर सिटिजन सेविंग्स स्कीम हो या सीनियर सिटिजन बैंक एफडी, दोनों पर मिलने वाला रिटर्न टैक्सेबल है. लिहाजा, इनकम टैक्स काटने और इंफ्लेशन को एडजस्ट करने के बाद उनका नेट रिटर्न बेहद कम या निगेटिव हो सकता है.

दोनों ही स्कीम के फिक्स्ड रिटर्न वक्त के साथ-साथ बढ़ते खर्चों का बोझ उठाने में नाकाफी साबित हो सकते हैं. इसलिए रिटायरमेंट के बाद के खर्चों का इंतजाम करने के लिए निवेश के ऐसे विकल्पों पर विचार करना भी जरूरी है, जिनका रिटर्न इनकम टैक्स और इंफ्लेशन - दोनों को एडजस्ट करने के बाद भी पॉजिटिव रहे और वक्त के साथ-साथ बढ़ता रहे.

सीनियर सिटिजन्स को निवेश का कोई भी फैसला अपने रिस्क प्रोफाइल और निवेश लक्ष्य को ध्यान में रखकर ही करना चाहिए.

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