इनकम टैक्स नियमों को आसान बनाने वाले नए इनकम टैक्स बिल को मंजूरी मिल गई है. CBDT सूत्रों के अनुसार, नई कर व्यवस्था के तहत कंपनियों को डिविडेंड कटौती का लाभ देने से लेकर साझेदारी फर्मों के टैक्स पर स्पष्टता देने और करदाताओं के लिए नियमों को आसान बनाने का प्रयास किया गया है.
इसके अलावा नया आयकर विधेयक दशकों पुराने प्रत्यक्ष कर कानूनों में लंबे समय से चली आ रही जटिलताओं को दूर करने का कोशिश करता है. इसमें हाल के वित्त कानूनों में प्रमुख बदलावों को भी शामिल किया गया है, जिससे बेहतर प्रशासन और कम विवादों के लिए विभिन्न नियमों को सुव्यवस्थित किया गया है.
नई व्यवस्था में कंपनियों के लिए 80M कटौती: जिन कंपनियों ने नई रियायती कर व्यवस्था को चुना है, वे अब अन्य कंपनियों से मिले डिविडेंड पर भी धारा 80M के तहत कटौती का दावा कर सकती हैं.
परिवारों के लिए राहत - पेंशन और ग्रेच्युटी: परिवार के सदस्यों को प्राप्त कम्यूटेड पेंशन और ग्रेच्युटी के लिए कटौती अब नए कानून के तहत स्पष्ट रूप से परिभाषित की गई है.
MAT और AMT अलग: न्यूनतम वैकल्पिक कर और वैकल्पिक न्यूनतम कर के प्रावधान अब दो उप-धाराओं के तहत स्पष्ट रूप से अलग कर दिए गए हैं, जिससे भ्रम से बचा जा सके.
AMT केवल वहीं लागू होता है जहां कटौती का दावा किया जाता है: LLP सहित गैर-कॉर्पोरेट करदाता, AMT के अधीन तभी होंगे जब वे कुछ कटौती का दावा करते हैं. केवल पूंजीगत लाभ आय (और कोई कटौती नहीं) वाली LLP उत्तरदायी नहीं हैं.
प्रोफेनल्स को डिजिटल भुगतान का उपयोग करना होगा: इलेक्ट्रॉनिक भुगतान नियमों के तहत "व्यवसाय" के साथ "पेशा" शब्द जोड़ा गया है. इसका अर्थ ये है कि 50 करोड़ रुपये से अधिक वार्षिक आय वाले पेशेवरों को भुगतान के लिए निर्धारित इलेक्ट्रॉनिक तरीकों का उपयोग करना होगा.
रिटर्न देर से दाखिल करने पर भी रिफंड की अनुमति: ITR दाखिल करने की समय सीमा चूकने वाले करदाताओं को एक प्रतिबंधात्मक खंड को हटाने के कारण, रिफंड का दावा करने की अनुमति दी जा सकती है.
घाटों पर स्पष्ट नियम: हालांकि घाटे को आगे ले जाने और उसे सेट-ऑफ करने के नियम मूलतः वही हैं, फिर भी स्पष्टता के लिए उन्हें फिर से लिखा गया है.
"प्राप्तियों" से "आय" की ओर बदलाव: ये विधेयक आय-आधारित कराधान पर केंद्रित है, 'प्राप्तियों' की अवधारणा से हटकर - इसे पुराने 1961 के अधिनियम के अनुरूप वापस लाता है.
संपत्तियों पर उपयोग किए गए पूंजीगत लाभ को आय उपयोग माना जाएगा: जब गैर-सरकारी संगठन नई संपत्तियां प्राप्त करने के लिए पूंजीगत लाभ का उपयोग करते हैं, तो इसे आय के उपयोग के रूप में माना जाता रहेगा.
देर से प्राप्त आय को बाद में गिना जा सकता है: यदि गैर-सरकारी संगठन देर से प्राप्तियों के कारण अपनी आय का 85% उपयोग करने में विफल रहते हैं, तो वे इसे उस वर्ष में उपयोग किए गए के रूप में मान सकते हैं जिस वर्ष यह वास्तव में प्राप्त हुआ था.
अनाम दान नियम सरल: अनाम दान पर कर लगाने के नियमों को मौजूदा प्रावधानों के अनुरूप बनाया गया है और अब ये बहु-उद्देश्यीय गैर-सरकारी संगठनों पर भी लागू होते हैं.
बहु-उद्देश्यीय गैर-सरकारी संगठनों की स्पष्ट परिभाषा: नया विधेयक "मिश्रित उद्देश्य" पंजीकृत गैर-लाभकारी संगठनों को स्पष्ट रूप से परिभाषित करता है, जो पहले अस्पष्ट था.
इकट्टा की गऊ आय का 15% निवेश करना जरूरी नहीं: इस्तेमाल नहीं हुई आय का 15% निर्दिष्ट साधनों में निवेश करने की अनिवार्य आवश्यकता को हटा दिया गया है, जिससे गैर-सरकारी संगठनों के लिए नियमों का पालन आसान हो गया है.
TDS सुधार अवधि में कमी: TDS के लिए सुधार विवरण दाखिल करने की अवधि 6 वर्ष से घटाकर 2 वर्ष कर दी गई है, जिससे विलंब और विवादों में कमी आने की संभावना है.
वित्त अधिनियम, 2025 और कराधान कानून (संशोधन) विधेयक, 2025 के माध्यम से किए गए संशोधनों को नए विधेयक में सुसंगतता के लिए शामिल किया गया है.