ADVERTISEMENT

LTCG पर 1 लाख रुपये की लिमिट का कैसे उठाएं भरपूर फायदा

जब पैसे का इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है, उस दौरान इनको सही जगह सेव करके लंबे समय में बड़ी मात्रा में टैक्स बचाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है.
NDTV Profit हिंदीअर्णव पंड्या
NDTV Profit हिंदी12:10 PM IST, 25 Sep 2023NDTV Profit हिंदी
NDTV Profit हिंदी
NDTV Profit हिंदी
Follow us on Google NewsNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदी

हर टैक्सपेयर को ध्यान रखना चाहिए कि टैक्स (Tax) के मामले में वो सरकार से मिलने वाली हर छूट का पूरा इस्तेमाल करे. कई बार टैक्सपेयर सही जानकारी के अभाव में इन छूट का पूरा लाभ नहीं उठा पाते. कैपिटल गेंस (Capital Gains) पर लगने वाले टैक्स का मतलब है कि आपको लाभ की योजना इस तरह से बनाने की जरूरत है, जहां वे उन पर पड़ने वाले बोझ को सीमित कर सके.

इनमें से ही एक तरीका है, जिसमें लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस में 1 लाख रुपये तक के डिडक्शन का पूरा इस्तेमाल करके फायदा उठाया जा सकता है, क्योंकि ये लंबी अवधि में आपका कुछ टैक्स बचा सकता है, जब पैसे का इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है.

लॉन्ग टर्म निवेश

शेयरों और इक्विटी म्यूचुअल फंड में लंबे वक्त तक निवेशित रहना वेल्थ बढ़ाने में फायदेमंद साबित होता है. पैसे बनाने का एक तरीका है कि लंबे समय के लिए निवेश किया जाए ताकि पैसे की कंपाउंडिंग हो सके. अप्रैल 2018 से टैक्स में कुछ बदलाव आ गए हैं और अब LTCG को टैक्स के दायरे में लाया गया है (पहले LTCG में किसी तरह का टैक्स नहीं लगता था).

मौजूदा वक्त में, लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस में 10% और शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस में 15% का टैक्स तय किया गया है. निवेशक लंबे समय के लिए प्लानिंग कर सकें, इसके लिए LTCG के तहत हर साल 1 लाख रुपये तक का डिडक्शन दिखाया जा सकता है और इस पैसे का इस्तेमाल कुछ प्लानिंग में किया जा सकता है.

फायदे

इसके लिए निवेशकों को एक प्रभावी टैक्स प्लानिंग की जरूरत है, ताकि 1 लाख रुपये की लिमिट को किसी भी साल बर्बाद न होने दें. हर निवेशक के पास इस तरह का पोर्टफोलियो होगा कि वो कुछ इक्विटी म्यूचुअल फंड यूनिट्स को बेचकर हर साल 1 लाख रुपये का LTCG बुक कर सकें.

यहां ध्यान देने वाली बात है कि सेल्स 1 लाख रुपये की नहीं है, बल्कि लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस 1 लाख रुपये होना चाहिए, क्योंकि इस आंकड़े के ऊपर की राशि ही टैक्स के योग्य है. सरल शब्दों में कहें तो इससे हर साल 10,000 रुपये टैक्स (साथ में सेस) की बचत होगी.

कई बार ऐसा भी हो सकता है कि अगर निवेशक इक्विटी या इक्विटी ओरिएंटेड म्यूचुअल फंड में अपनी लंबी अवधि की हिस्सेदारी केवल तभी बेचता है जब पैसे की जरूरत होती है या लक्ष्य पूरा हो जाता है, तो बीच में कई साल ऐसे हो सकते हैं जब कोई लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन नहीं हो. इससे टैक्स फ्री लाभ का नुकसान होगा.

इसको समझने के लिए, मान लेते हैं कि किसी निवेशक ने 5 साल के लिए अपने पोर्टफोलियो में निवेश किया, जिससे उसको 10 लाख रुपये का कैपिटल गेन मिला. अब निवेशक को 90,000 रुपये (10 लाख में 1 लाख का डिडक्शन घटाकर x 10%= 90,000 रुपये) का टैक्स देना होगा.

यहां स्थिति ऐसी है कि निवेशक अंतरिम अवधि में 1 लाख रुपये की कटौती से चूक गया है. वहीं, दूसरी ओर, अगर निवेशक 4 साल के लिए 1 लाख रुपये का गेन कमाता है और 5वें साल में निवेश बचता है, तो उसे 50,000 रुपये (6 लाख रुपये पर 1 लाख रुपये का डिडक्शन x 10% = 50,000 रुपये) का अंतिम टैक्स देना होगा.

इससे टैक्स में देनदारी 40,000 रुपये कम होगी. कई मामलों में निवेशक के लिए हर साल एक ही सिक्योरिटी से LTCG बुक करना संभव नहीं हो पाता है, लेकिन वे समान टैक्स की बचत पाने के लिए अन्य इक्विटी म्यूचुअल फंड या इक्विटी शेयरों का इस्तेमाल करके ऐसा कर सकते हैं.

अन्य परिस्थितियां

यहां पर कुछ अन्य परिस्थितियां हैं जहां निवेशक को फायदा मिलने की स्थिति में पूरी करनी होती हैं. अगर लॉन्ग टर्म कैपिटल नुकसान होता है, तो ये नुकसान कैरी फॉरवर्ड नहीं होता है. अगर वक्त से पहले कोई लॉन्ग टर्म कैपिटल लॉस आगे बढ़ाया गया है तो इसका इस्तेमाल LTCG को बैलेंस करने के लिए किया जाएगा और अगर कोई लाभ बचता है, तो वो ही टैक्स के योग्य होगा.

इसका भी ध्यान रखा जाना चाहिए कि लॉन्ग टर्म इन्वेस्टिंग की प्रक्रिया डिस्टर्ब नहीं होनी चाहिए. इसका मतलब है कि उन्हें बेचने से मिलने वाली राशि को दोबारा निवेश में लगाना होगा या दोबारा निवेश करना होगा. इससे सुनिश्चित होगा कि कंपाउंडिंग का लाभ बेकार नहीं जाएगा. वरना, अगर बेचने से मिलने वाले पैसे का इस्तेमाल किसी दूसरे काम में किया जाता है और दोबारा निवेश नहीं किया जाता, तो ये कंपाउंडिंग को प्रभावित कर सकता है.

निवेशक को अपनी पोर्टफोलियो होल्डिंग्स को देखना चाहिए और तय करना चाहिए कि कौन से निवेश को कैपिटल गेन के लिए बुक करना है. ये फायदा केवल लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस के लिए ही संभव है, जिसमें निवेश कम से कम 12 महीने के लिए किया जाता है. अगर इस पैसे को दोबारा इन्वेस्ट किया गया है, तो उसको भी कम से कम 12 महीने के लिए इन्वेस्ट किया जाना चाहिए, जिससे बेचने के वक्त 10% के लॉन्ग टर्म रेट के लिए क्वालिफाई कर सके. ऐसा नहीं होने की सूरत में इस पैसे पर 15% का टैक्स कटेगा.

(लेखक अर्णव पंड्या Moneyeduschool के फाउंडर हैं.)

NDTV Profit हिंदी
फॉलो करें
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT