फेस्टिव सीजन में बाजार गुलजार है. दशहरा खत्म हुए 12 दिन बीत चुके हैं और अब इंतजार है, दिवाली का. दिवाली और धनतेरस के मौके पर गिफ्ट देने की परंपरा रही है. फैमिली मेंबर्स से लेकर दोस्तों तक और सहकर्मियों से लेकर कंपनियों तक, गिफ्ट देने का चलन है.
गिफ्ट में मिठाइयां, कपड़े वगैरह भी हो सकते हैं या फिर कैश, कूपन-वाउचर्स और महंगे आइटम्स भी. लेकिन सवाल ये है कि क्या ये गिफ्ट टैक्स के दायरे में आते हैं? अगर आते हैं, तो किस तरह के और कितने महंगे गिफ्ट्स पर टैक्स देना होता है? इनकम टैक्स एक्ट के तहत दिवाली गिफ्ट्स पर कौन से नियम लागू होते हैं?
गुरुग्राम स्थित एक बड़ी फर्म में बतौर ACFO काम कर रहे CA अमित कुमार ने BQ Prime Hindi से बातचीत के दौरान बताया कि इनकम टैक्स एक्ट 1961 की धारा 56(2)(x) के अनुसार, किसी वित्त वर्ष में 50,000 रुपये से ज्यादा के कैश गिफ्ट मिलने पर टैक्स लगता है.
उन्होंने बताया, 'अगर आपको 50,000 रुपये से ज्यादा के तोहफे मिले हैं तो उसे ‘Income from Other Sources’ यानी 'अन्य स्रोत से आय' में शो करना होगा. यानी धनतेरस या दिवाली पर 50,000 रुपये से ज्यादा का गिफ्ट मिलता है तो निर्धारित स्लैब के हिसाब से ही आपको टैक्स कटेगा. 50,000 रुपये से कम होने पर टैक्स से छूट मिलती है.
CA अमित कुमार ने बताया, 'इनकम टैक्स एक्ट में स्पष्ट रूप से लिखा है कि रिश्तेदारों से मिले गिफ्ट्स पर धारा 56(2)(x) के प्रावधान नहीं लागू होंगे. 'रिश्तेदारों' में कौन-कौन आते हैं, ये भी तय किया गया है. इनसे मिले गिफ्ट्स टैक्स फ्री होते हैं.
लाइफ पार्टनर (पति/पत्नी) से मिले गिफ्ट्स
भाई-बहन से मिले गिफ्ट्स
पति/पत्नी के भाई-बहन से मिले गिफ्ट्स
माता-पिता के भाई या बहन से मिले गिफ्ट्स
अपने पूर्वज या वंशज से मिले गिफ्ट्स
लाइफ पार्टनर के पूर्वज या वंशज से मिले गिफ्ट्स
दोस्तों से मिले गिफ्ट्स 'अन्य स्रोतों से आय' के अंतर्गत आएंगे. अमित ने बताया कि दोस्तों से गिफ्ट मिला तो उन्हें आपकी आय में जोड़ दिया जाता है और टैक्स लगाया जाता है. हालांकि, टैक्स तभी लगाया जाता है, जब गिफ्ट्स की वैल्यू एक वर्ष में 50,000 रुपये से अधिक हो जाए. एक वित्त वर्ष में 50,000 रुपये से कम मूल्य के गिफ्ट्स पर कोई टैक्स नहीं लगता. यहां एक बात ये भी जान लेना जरूरी है कि शादी के अवसर पर मिले उपहारों पर टैक्स नहीं लगाया जाता है.
CA अमित कुमार ने बताया कि अगर किसी कर्मी को उसकी कंपनी की तरफ से कैश गिफ्ट मिलता है तो उसे गिफ्ट मानते हुए टैक्स के नियम लागू होंगे, भले ही ये 50,000 रुपये से कम ही क्यों न हों.
उन्होंने कहा, '5,000 रुपये से अधिक के उपहारों को 'लाभ' माना जाता है और उसके अनुसार टैक्स लगाया जाता है. इसे ‘Income from Salary’ में गिना जाएगा और इस पर लागू दर से टैक्स लिया जाएगा. किसी कर्मी को वित्त वर्ष के दौरान वाउचर्स/गिफ्ट हैम्पर्स/टोकन के रूप में 5,000 रुपये से ज्यादा के गिफ्ट मिलते हैं तो वो भी उनकी सैलरी में जुटेगा. हालांकि 5,000 के कम के गिफ्ट्स मिलने पर टैक्स नहीं कटेगा.'