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क्रिप्टोकरेंसी में करते हैं निवेश? ITR फॉर्म में हुए ये बदलाव जान लें

2022 के बजट में क्रिप्टोकरेंसी से कमाई पर टैक्स लगाए जाने के बाद ITR फॉर्म में भी इसके लिए बदलाव किए गए हैं.
NDTV Profit हिंदीविकास कुमार
NDTV Profit हिंदी08:40 AM IST, 18 Feb 2023NDTV Profit हिंदी
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क्रिप्टोकरेंसी के निवेशकों के लिए ये खबर बड़े काम की है. आयकर विभाग ने क्रिप्टो और अन्य वर्चुअल डिजिटल एसेट से कमाई करने वाले लोगों के लिए ITR फॉर्म में बदलाव किए हैं. दरअसल 2022 के बजट में क्रिप्टोकरेंसी पर टैक्स लगाए जाने का ऐलान किया गया. इस ऐलान के बाद सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्स (CBDT) ने जब AY 2023-24 (FY 2022-23) के लिए नए फॉर्म जारी किए तो इन फॉर्म्स में वर्चुअल डिजिटल एसेट (VDA) जैसे कि क्रिप्टोकरेंसी के लिए अलग से सेक्शन रखा गया है.

क्या जानकारियां देनी होंगी?

VDA के लिए बनाए गए इस नए शेड्यूल में आपको बताना होगा कि आपने वर्चुअल डिजिटल एसेट कब खरीदा, कब बेचा, खरीद की लागत क्या थी और इसकी बिक्री से आपको कितना फायदा हुआ. ऐसे में अगर आपने वित्त वर्ष 2022-23 में वर्चुअल डिजिटल एसेट की खरीद-बिक्री से कमाई की है तो ये सारी जानकारियां आपको ITR भरने से पहले जमा कर लेनी चाहिए.

ऐसा दिखेगा VDA के लिए बना नया शेड्यूल

एक्सपर्ट्स की क्या है राय?

जाने माने टैक्स एक्सपर्ट और PwC इंडिया के साथ काम कर चुके कुलदीप कुमार का कहना है, 'VDA को इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 2(47) में रखा गया है और इसमें क्रिप्टोकरेंसी, नॉन फंजिबल एसेट और सरकार से नोटिफाई किए गए अन्य वर्चुअल डिजिटल एसेट आते हैं. सरकार ने पिछले साल के बजट में VDA पर टैक्स लगाने का ऐलान किया था जिसे देखते हुए वित्त वर्ष 2022-23 के फॉर्म में ये बदलाव किए गए हैं. VDA के लिए लाए गए नए शेड्यूल से सारी जरूरी जानकारियां इकट्ठी हो सकेंगी. वैसे लोग जिनकी वर्चुअल डिजिटल एसेट से कमाई हुई होगी वो ITR 1 और ITR 4 का उपयोग नहीं कर पाएंगे'.

किन फॉर्म्स में नहीं हुए बदलाव?

ITR-1 या सहज फॉर्म और ITR-4 यानी सुगम फॉर्म भरने वाले टैक्सपेयर्स के लिए कोई बदलाव नहीं किया गया है. आपको बता दें कि ITR-1 में ऐसे टैक्सपेयर्स आते हैं जिनकी सालाना कमाई 50 लाख रुपये तक है और उन्हें सैलरी, एक हाउस प्रॉपर्टी या किसी अन्य स्त्रोत जैसे कि ब्याज से कमाई होती है. वहीं ITR-4 में ऐसे टैक्सपेयर्स को कवर किया जाता है जिनकी सालाना कमाई तो 50 लाख रुपये तक है लेकिन उन्हें इनकम टैक्स के सेक्शन 44AD, 44ADA या 44AE के तहत बिजनेस या प्रोफेशन से भी आय होती है.

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