इनकम टैक्स (Income Tax) देने वालों के पास अब दो तरह की टैक्स रिजीम में से किसी एक को सेलेक्ट करने का विकल्प मौजूद है. सरकार ने जब से नई टैक्स रिजीम (New Tax Regime) में टैक्स रिबेट की लिमिट को 5 लाख रुपये से बढ़ाकर 7 लाख रुपये कर दिया है, ये पहले से ज्यादा आकर्षक भी हो गई है. इसके साथ ही इसमें अब 50 हजार रुपये के स्टैंडर्ड डिडक्शन का लाभ भी मिलने लगा है. लेकिन एक अहम सवाल ये है कि रिटायर हो चुके सीनियर सिटिजन्स के लिए दोनों टैक्स रिजीम में कौन सी बेहतर है.
हाल ही में रिटायर हुए बहुत से लोगों को कनफ्यूजन है कि उनके लिए पुराना टैक्स सिस्टम बेहतर रहेगा या नया टैक्स सिस्टम. रिटायरमेंट के बाद सैलरी की तुलना में पेंशन कम हो जाने और नए टैक्स सिस्टम के तहत टैक्स छूट की लिमिट बढ़ने की वजह से ये असमंजस काफी बढ़ गया है. यहां हम इसी मुद्दे को समझने की कोशिश करेंगे.
वरिष्ठ नागरिकों के सामने दोनों विकल्प सबसे पहले तो ये जान लेना जरूरी है कि इनकम टैक्स रिटर्न भरते समय किसी भी टैक्सपेयर को नई टैक्स रिजीम डिफॉल्ट ऑप्शन के तौर पर दिखेगी, लेकिन आप अपने हिसाब से इसे बदल सकते हैं. यानी अगर आप ओल्ड टैक्स रिजीम को अपनाना चाहते हैं, तो आपको वो ऑप्शन सेलेक्ट करना होगा.
उम्र के हिसाब से इनकम टैक्स स्लैब इनकम टैक्स के नियमों के तहत 60 साल से अधिक और 80 साल तक की उम्र वालों को सीनियर सिटिजन माना जाता है, जबकि 80 साल से ज्यादा उम्र वालों को सुपर सीनियर सिटिजन का दर्जा दिया गया है.
नई टैक्स रिजीम में इनकम टैक्स के स्लैब सभी इंडीविजुअल टैक्सपेयर्स के लिए एक जैसे हैं. फिर चाहे वो 60 साल से कम उम्र के नागरिक हों या 60 साल से 80 साल तक की उम्र सीनियर सिटिजन या फिर 80 साल से ज्यादा उम्र वाले सुपर सीनियर सिटिजन. लेकिन पुरानी रिजीम में सीनियर और सुपर सीनियर सिटिजन्स के लिए दरों में थोड़ा अंतर है. इस अंतर को हम आगे देखेंगे.
> 3 लाख रुपये तक की सालाना आय पर कोई इनकम टैक्स नहीं
> 3 लाख से ज्यादा और 6 लाख रुपये तक की सालाना आय पर 5% टैक्स
> 6 लाख से ज्यादा और 9 लाख रुपये तक की सालाना आय पर 10% टैक्स
> 9 लाख से ज्यादा और 12 लाख रुपये तक की सालाना आय पर 15% टैक्स
> 12 लाख से ज्यादा और 15 लाख रुपये तक की सालाना आय पर 20% टैक्स
> 15 लाख रुपये से ज्यादा सालाना आय पर 30% टैक्स
न्यू टैक्स रिजीम में 3 लाख से ज्यादा सालाना इनकम पर टैक्स देनदारी तो बनती है, लेकिन 7 लाख रुपये तक की सालाना आय वालों को सेक्शन 87A के तहत टैक्स रिबेट का लाभ मिलता है. यानी उनकी टैक्स देनदारी रिबेट देकर माफ कर दी जाती है.
इसके अलावा सैलरीड और पेंशन पाने वाले लोगों को 50 हजार रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन भी मिलता है. इसे जोड़ दें तो 7.5 लाख रुपये तक की आमदनी पर कोई टैक्स नहीं देना पड़ता. जबकि ओल्ड टैक्स रिजीम में टैक्स रिबेट का लाभ 5 लाख रुपये तक की सालाना आय वालों को ही मिलता है.
> 3 लाख रुपये तक की सालाना इनकम पर कोई टैक्स नहीं
> 3 लाख से ऊपर 5 लाख रुपये तक की आय पर 5%
> 5 लाख रुपये से ज्यादा और 10 लाख तक की आय पर : 10,000 रुपये + 5 लाख से ऊपर की आय का 20%
> 10 लाख रुपये से ज्यादा आय पर : 1.10 लाख रुपये + 10 लाख रुपये से ऊपर की आय का 30%
> 3 लाख रुपये तक की सालाना इनकम पर कोई टैक्स नहीं
> 3 लाख से ऊपर 5 लाख रुपये तक की आय पर 5%
> 5 लाख रुपये से ज्यादा और 10 लाख तक की आय पर : 5 लाख से ऊपर की आय का 20%
> 10 लाख रुपये से ज्यादा आय पर : 1 लाख रुपये + 10 लाख रुपये से ऊपर की आय का 30%
पुरानी टैक्स रिजीम में किसी भी उम्र के करदाता को सेक्शन 87A के तहत 5 लाख रुपये तक की आय पर टैक्स रिबेट मिलती है. यानी अगर टैक्सेबल इनकम 5 लाख रुपये तक है, तो सेक्शन 87A के तहत टैक्स रिबेट मिलने की वजह से कोई इनकम टैक्स नहीं देना पड़ता. हम पहले देख चुके हैं कि नई टैक्स रिजीम में टैक्स रिबेट का ये फायदा 7 लाख रुपये तक की सालाना आय पर मिलता है.
रिटायर हो चुके ऐसे सीनियर सिटिजन्स के लिए, जिनकी सालाना आय 7 लाख रुपये तक है, नई टैक्स रिजीम बेहतर है क्योंकि उसमें आपको कोई टैक्स नहीं देना होगा. इसके अलावा अगर आय का जरिया पेंशन है, तो उस पर 50,000 रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन भी मिलेगा. यानी तब 7.5 लाख रुपये तक की सालाना आय पर टैक्स नहीं देना पड़ेगा. लेकिन अगर सालाना आय 7 लाख रुपये से ज्यादा है, तो सही टैक्स रिजीम का चुनाव करने से पहले अपने टैक्स सेविंग निवेश और डिडक्शन्स का कैलकुलेशन करना जरूरी है.
ऐसा इसलिए, क्योंकि नए सिस्टम में 80C के तहत हर साल 1.5 लाख रुपये तक के निवेश पर टैक्स छूट का लाभ नहीं मिलता है. इसके अलावा होम लोन के भुगतान पर सालाना 2 लाख रुपये का डिडक्शन भी नई टैक्स रिजीम में उपलब्ध नहीं है. अगर इनका लाभ लेना है तो पुरानी टैक्स रिजीम बेहतर है. लेकिन जो बुजुर्ग रिटायरमेंट के बाद इन डिडक्शन का लाभ नहीं ले रहे, उनके लिए नई टैक्स रिजीम बेहतर रहेगी.