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Health Insurance: नौकरी जाने के बाद भी जारी रह सकती है पिछली कंपनी की हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी

कई बार नौकरीपेशा लोग पर्सनल हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी नहीं लेते हैं, लेकिन उनके लिए तब दिक्कत हो सकती है, जब वे नौकरी बदलने वाले होते हैं या किसी भी वजह से वे छंटनी का शिकार हो जाते हैं.
NDTV Profit हिंदीNDTV Profit डेस्क
NDTV Profit हिंदी02:24 PM IST, 23 Feb 2023NDTV Profit हिंदी
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हेल्थकेयर दिनों दिन महंगा होता जा रहा है, और हर परिवार के लिए इसी वजह से हेल्थ इंश्योरेंस इन दिनों बेहद जरूरी हो गया है. जो लोग नौकरीपेशा हैं, उनके लिए ज्यादातर मामलों में एंप्लॉयर की तरफ से भी ग्रुप हेल्थ इंश्योरेंस की सुविधा दी जाती है. ऐसे में कई बार नौकरीपेशा लोग पर्सनल हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी नहीं लेते हैं, लेकिन उनके लिए तब दिक्कत हो सकती है, जब वे नौकरी बदलने वाले होते हैं या किसी भी वजह से वे छंटनी का शिकार हो जाते हैं.

ये तो हम सभी जानते हैं कि मेडिकल इमरजेंसी बताकर नहीं आती, ऐसे में एक दिन भी हेल्थ इंश्योरेंस के सुरक्षा चक्र के बिना रहना एक बड़ा आर्थिक झटका दे सकता है. शुक्र है कि अब सभी नौकरीपेशा लोगों के पास ग्रुप हेल्थ इंश्योरेंस का सुरक्षा चक्र बनाए रखने के विकल्प मौजूद हैं.

कैसे जारी रख सकते हैं पिछली कंपनी की हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी

आमतौर पर किसी कंपनी से मिली ग्रुप इंश्योरेंस स्कीम के फायदे उसी दिन मिलने बंद होते हैं, जिस तारीख को किसी कर्मचारी का उस कंपनी में आखिरी दिन होता है. लेकिन देश के इंश्योरेंस रेगुलेटर इरडा (IRDAI) के नियमों के मुताबिक कोई भी कर्मचारी ग्रुप कवर को उसी इंश्योरेंस कंपनी के इंडिविजुअल हेल्थ इंश्योरेंस प्लान में बदल सकता है.

इसके लिए कुछ जरूरी औपचारिकताएं पूरी करनी होती हैं. साथ ही, ग्रुप इंश्योरेंस से इंडिविजुअल हेल्थ इंश्योरेंस में बदलाव के लिए पुरानी कंपनी की सहमति भी जरूरी होती है. तो सबसे पहले अपने एंप्लॉयर से पता कर लें कि क्या इस बदलाव की पॉलिसी उनके यहां लागू होती है या नहीं.

क्या होती है ग्रुप पॉलिसी को इंडिविजुल पॉलिसी में बदलने की प्रक्रिया

इस प्रक्रिया का पहला कदम होता है मौजूदा ग्रुप इंश्योरेंस कंपनी को सूचित करना कि आप अपने एंप्लॉयर को छोड़ रहे हैं और चाहते हैं कि ग्रुप प्लान को आपके इंडिविजुअल या फैमिली फ्लोटर हेल्थ प्लान में पोर्ट कर दिया जाए.

इसके लिए नोटिस पीरियड की आखिरी तारीख के कम से कम 30 दिनों पहले ग्रुप हेल्थ इंश्योरेंस प्लान को इंडिविजुअल हेल्थ इंश्योरेंस प्लान में पोर्ट करने की अर्जी दे देनी चाहिए.

अगर आप ऐसा नहीं कर पाते तब आप ग्रुप पॉलिसी खत्म होने की तारीख के पांच दिनों के भीतर एक नए रिटेल हेल्थ प्लान की अर्जी दे सकते हैं, जिसमें आपका पॉलिसी कवरेज उतना ही होगा, जितना ग्रुप इंश्योरेंस पॉलिसी में था.

नई रिटेल पॉलिसी इंश्योरेंस कंपनी की अंडरराइटिंग जरूरतों के मुताबिक जारी की जाती है और हो सकता है कि आपको एक्स्ट्रा प्रीमियम भी देना पड़े या मेडिकल सर्टिफिकेट पेश करना पड़े. यहां ये याद रखना जरूरी है कि इंश्योरेंस कंपनी के पास इस बात के पूरे अधिकार हैं कि वो इस बदलाव के लिए शर्तें लगा सकती है.

ग्रुप इंश्योरेंस पॉलिसी को इंडिविजुअल पॉलिसी में बदलने के क्या हैं फायदे

ये तो आप जानते ही होंगे कि किसी भी हेल्थ पॉलिसी की सबसे अहम शर्तों में एक होता है वेटिंग पीरियड, यानी वो अवधि जिसके खत्म होने के बाद ही इंश्योरेंस कंपनी आपके क्लेम को स्वीकार करती है.

कंपनी की ग्रुप पॉलिसी को इंडिविजुअल पॉलिसी में बदलने का एक बड़ा फायदा ये है कि ग्रुप पॉलिसी की शुरुआती तारीख के आधार पर ही आपकी पर्सनल हेल्थ पॉलिसी के लिए वेटिंग पीरियड तय होता है. साथ ही, जितने साल का कवरेज उस ग्रुप इंश्योरेंस पॉलिसी में पहले हो चुका होता है, उसका क्रेडिट इंडिविजुअल मेंबर्स को भी मिलता है.

यही नहीं, इरडा की गाइडलाइंस के मुताबिक अगर इंडिविजुअल या फैमिली फ्लोटर पॉलिसी में किसी बीमारी के लिए वेटिंग पीरियड ग्रुप पॉलिसी के मुकाबले ज्यादा है, तब इंश्योरेंस कंपनी को ये जानकारी पॉलिसीहोल्डर को पोर्टेबिलिटी के वक्त साफ-साफ बतानी होती है.

सबसे अच्छा है कि आप पहले से हेल्थ इंश्योरेंस प्लान खरीदकर रखें

हम तो यही कहेंगे कि आपका एंप्लॉयर आपको हेल्थ इंश्योरेंस का फायदा देता हो या नहीं, आप अपने परिवार की जरूरतों के मुताबिक हेल्थ इंश्योरेंस प्लान जरूर लें. लेकिन, अगर आप किसी भी वजह से पर्सनल प्लान ले पाने में असमर्थ हैं, तब एंप्लाॉयर के ग्रुप प्लान को अपने लिए पर्सनल प्लान में पोर्ट करने का विकल्प बेहतर है

अगर आप कंपनी की ग्रुप हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी को पोर्ट नहीं कराना चाहते तो जिस दिन आप नौकरी छोड़ रहे हैं, उसी दिन अपने लिए एक इंडिविजुअल हेल्थ प्लान खरीद लीजिए. सौ बातों की एक बात- नौकरी रहे या नहीं, आपके और आपके परिवार के पास एक मेडिकल इंश्योरेंस प्लान जरूर होना चाहिए.

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