इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (IRDAI) ने इंश्योरेंस सेक्टर में 8 नए रेगुलेशंस को मंजूरी दी है.
19 मार्च को हुई 125वीं बोर्ड बैठक में इन नए नियमों को मंजूरी दी गई. इसमें पॉलिसीहोल्डर्स के हितों की सुरक्षा, ग्रामीण और सामाजिक सेक्टर्स की जिम्मेदारी, इलेक्ट्रॉनिक इंश्योरेंस मार्केट प्लेस, इंश्योरेंस प्रोडक्ट्स के साथ रजिस्ट्रेशन, फाइनेंस, इन्वेस्टमेंट और कॉरपोरेट गवर्नेंस से जुड़े नियम शामिल हैं.
दरअसल इन 8 नए रेगुलेशंस में सिर्फ 2 ही नए हैं, बाकि 6 रेगुलेशंस में 34 पुराने रेगुलेशंस के मर्जर के साथ कुछ नई चीजें जोड़ी गई हैं.
IRDAI ने नए नियमों में ग्रामीण, सोशल सेक्टर और मोटर थर्ड पार्टी बिजनेस में न्यूनतम दायित्वों में संशोधन किया है. इसके मुताबिक,
ग्रामीण दायित्वों के पालन का पैमाना अब ग्राम पंचायत को माना जाएगा
सोशल सेक्टर का दायरा बढ़ाकर इसमें अलग-अलग स्कीम्स के तहत आने वाले कार्ड होल्डर्स और लाभार्थियों को भी जोड़ दिया गया है
मोटर थर्ड पार्टी के नियमों में, सामान ले जाने वाली गाड़ियां, पैसेंजर गाड़ियां और ट्रैक्टर के इंश्योरेंस कवरेज के रिन्यूअल को पैमाना माना जाएगा
बीमा सुगम नामक डिजिटल पब्लिक इंफ्रा के निर्माण को मंजूरी
ये इंश्योरेंस स्टेकहोल्डर्स, कस्टमर्स, इंश्योरर्स, इंटरमीडियरी और एजेंट्स के लिए वन-स्टॉप सॉल्युशन उपलब्ध करवाएगा
इंश्योरेंस इंडस्ट्री में बिजनेस को सरल बनाने के लिए सात रेगुलेशन को एक फ्रेमवर्क में स्ट्रीमलाइन किया जाएगा.
इसके जरिए इंश्योरर्स के रजिस्ट्रेशन, शेयरहोल्डिंग का ट्रांसफर, कैपिटल स्ट्रक्चर, इंश्योरर्स को जोड़ना और शेयर बाजार में शेयरों की लिस्टिंग में आसानी होगी
ये पहली बार है जब मौजूदा गाइडलाइंस के तहत गवर्नेंस से जुड़ी चीजों को नियमों में नोटिफाई किया जा रहा है.
इस रेगुलेशन का उद्देश्य इंश्योरर्स के लिए एक तेज-तर्रार गवर्नेंस फ्रेमवर्क का निर्माण करना है, इसके लिए इंश्योरेंस कंपनी में बोर्ड और मैनेजमेंट की भूमिका और उनके कर्तव्यों की व्याख्या की जाएगी. इससे नैतिक व्यवहार, पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित की जाएगी.
इससे 6 रेगुलेशंस का एक एकीकृत फ्रेमवर्क में मर्जर किया गया है.
ये रेगुलेशंस प्रोडक्ट डिजाइनिंग और प्राइसिंग में बेहतर गवर्नेंस को प्रोमोट करते हैं. इसमें गारंटीड सरेंडर वैल्यू और स्पेशल सरेंडर वैल्यू के साथ-साथ डिस्क्लोजर्स से जुड़े नियम शामिल हैं.
ये रेगुलेशंस समाज के अलग-अलग तबकों की जरूरतों के हिसाब से इनोवेटिव इंश्योरेंस प्रोडक्ट्स के डेवलपमेंट को प्रोत्साहन देते हैं.
इसका उद्देश्य भारत में री-इंश्योरेंस सेक्टर के सिस्टमेटिक डेवलपमेंट को मजबूती देना है. इन रेगुलेशंस से री-इंश्योरेंस के क्षेत्र में काम करने वाली कंपनियों के ऑपरेशंस स्ट्रीमलाइन होंगे, उनमें पारदर्शिता और स्थिरता को बढ़ावा मिलेगा और इस सेक्टर की ग्रोथ के लिए अच्छा माहौल तैयार होगा.
इससे 9 रेगुलेशंस का एक फ्रेमवर्क में मर्जर किया गया है. इसका उद्देश्य इंश्योरर्स के फाइनेंस और इन्वेस्टमेंट फंक्शंस की प्रतिक्रिया को बढ़ाने के साथ-साथ कार्यकुशलता में इजाफा है.
इन रेगुलेशंस का मकसद इंश्योरेंस पॉलिसीज की बिक्री के समय सही और सटीक जानकारी उपलब्ध कराने वाले पहलुओं को मजबूत करना है.
इससे इंश्योरर्स और डिस्ट्रीब्यूशन चैनल के साथ एंगेजमेंट के दौरान पॉलिसी होल्डर्स के हितों की रक्षा होगी. इसके तहत शिकायत निवारण और पॉलिसी होल्डर पर केंद्रित गवर्नेंस भी शामिल है.