LIC Surrender Value Calculator: लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी न केवल सुरक्षित निवेश का जरिया है, बल्कि ये फाइनेंशियली, पूरे परिवार के लिए एक ढाल की तरह काम करता है. कई बार ऐसी मजबूरी आन पड़ती है कि व्यक्ति या परिवार के लिए इंश्योरेंस पॉलिसी चलाना मुश्किल हो जाता है और प्रीमियम भरने का क्रम टूट जाता है.
ऐसे में लोग अपनी पॉलिसी सरेंडर करने पर मजबूर हो जाते हैं. लेकिन चिंता इस बात की रहती है कि क्या ज्यादा से ज्यादा सरेंडर वैल्यू मिलेगी? ये चिंता पिछले साल ही काफी हद तक दूर हो चुकी है.
अगर किसी ने जीवन बीमा पॉलिसी ली है और किसी वजह से बीच में ही उसे बंद करना पड़ा, तो अब उन्हें पहले से ज़्यादा पैसा वापस मिलेगा. पिछले साल बीमा रेगुलेटर IRDAI (भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण) ने सरेंडर वैल्यू (policy surrender value) से जुड़े नियमों में बड़ा बदलाव किया है, जो 1 अक्टूबर 2024 से ही लागू है.
अब अगर कोई ग्राहक अपनी बीमा पॉलिसी बीच में छोड़ता है, तो बीमा कंपनी को Special Surrender Value (SSV) देनी होगी. इसका मतलब है कि अब आपको पॉलिसी सरेंडर करने पर पहले से ज्यादा रकम मिलेगी.
ये नियम सभी एंडोमेंट पॉलिसियों पर लागू होगा. यानी अब सरेंडर प्रक्रिया आसान होगी और ग्राहक चाहें तो बिना ज्यादा नुकसान के पॉलिसी छोड़ सकेंगे या दूसरी योजना में जा सकेंगे.
SSV हर साल अपडेट होगी और इसका कैलकुलेशन अब एक तय फॉर्मूले से होगा.
पहले और अब में फर्क की बात करें तो पहले 4 साल बाद सरेंडर करने पर ₹4 लाख में से करीब ₹2.4 लाख रुपये मिलते थे, जबकि नए नियमों के अनुसार, ₹3.1 लाख रुपये मिलेंगे. वहीं, पहले साल में सरेंडर करने पर कुछ नहीं मिलता था, जबकि नए नियमों के मुताबिक, ₹1 लाख में से ₹62,000 तक मिलेंगे.
जब कोई व्यक्ति अपनी जीवन बीमा पॉलिसी मैच्योरिटी से पहले ही बंद कर देता है, तो बीमा कंपनी उसे जो रकम लौटाती है, उसे सरेंडर वैल्यू कहते हैं.
यह रकम इस बात पर निर्भर करती है कि आपने कितनी किस्तें भरी हैं और आपने कितने साल पॉलिसी को चालू रखा.
पहले नियम ये था कि अगर आपने दो साल से कम समय में पॉलिसी बंद की, तो कोई पैसा नहीं मिलता था. अब नया नियम कहता है:
1 साल बाद भी सरेंडर पर आंशिक रिफंड मिलेगा.
पहले 2 साल तक: कुछ नहीं मिलता था
2 साल बाद: 30%
3 साल बाद: 35%
4 से 7 साल: 50%
मैच्योरिटी से 2 साल पहले: 90%
अब बीमा कंपनी को कम से कम Paid-up Sum Assured के बराबर रकम लौटानी होगी. उदाहरण के लिए,
अगर आपने ₹10 लाख की पॉलिसी ली थी और सिर्फ 2 साल प्रीमियम भरा, तो आपको ₹2 लाख का Paid-up Sum Assured मिलेगा.
अगर पॉलिसी में कोई इनकम बेनिफिट है, तो वह भी जोड़ा जाएगा.
लेकिन इसके लिए कम से कम 1 साल तक प्रीमियम जमा किया होना जरूरी है.
बीमा कंपनियां SSV का कैलकुलेशन हर साल करेंगी और इसमें एक नई विधि अपनाई जा रही है:
सरकार के 10 साल के बॉन्ड पर आधारित ब्याज दर को आधार बनाया जाएगा.
बीमा कंपनियां इसमें अधिकतम 50 बेसिस प्वाइंट (0.50%) तक जोड़ सकती हैं.
ये तरीका खासतौर पर सिंगल प्रीमियम और 5 साल से कम अवधि वाली लिमिटेड प्रीमियम पॉलिसियों पर भी लागू होगा.
बीमा रेगुलेटर ने सभी कंपनियों से साफ कहा था कि जब ग्राहक पॉलिसी खरीदें, उसी समय उन्हें यह पूरी जानकारी स्पष्ट रूप से देनी होगी कि अगर वे पॉलिसी बीच में छोड़ते हैं, तो उन्हें कितनी राशि वापस मिलेगी. इससे पारदर्शिता बढ़ेगी और ग्राहक सही फैसला ले सकेंगे.
IRDAI के नए नियम आपके हित में हैं. नए नियमों के मुताबिक, अब अगर कोई व्यक्ति किसी कारणवश जीवन बीमा पॉलिसी को बीच में बंद करता है, तो वह पहले के मुकाबले ज्यादा सुरक्षित है. अब बीमा पॉलिसी बीच में छोड़ने पर आपका पैसा पहले जैसा डूबेगा नहीं.