सीनियर सिटीजन यानी बुजुर्ग लोग अपनी जमा पूंजी या रिटायरमेंट फंड को सुरक्षित ढंग से निवेश करने और निश्चित रिटर्न पाने के लिए आम तौर पर फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) को काफी पसंद करते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि 60 साल से ज्यादा उम्र वाले बुजुर्ग आम तौर पर ज्यादा जोखिम भरे निवेश करने की हालत में नहीं होते.
ऐसे में FD जैसे विकल्प उन्हें ज्यादा आकर्षित करते हैं. बैंक और दूसरे वित्तीय संस्थान भी बुजुर्गों को न सिर्फ ज्यादा ब्याज देते हैं, बल्कि उन्हें बैंकिंग सर्विसेज पर कम चार्ज और प्रायोरिटी कस्टमर सर्विस जैसे कुछ और बेनेफिट भी दिए जाते हैं.
लेकिन बैंक या फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन सीनियर सिटिजन्स को दूसरे लोगों के मुकाबले ज्यादा ब्याज क्यों देते हैं? इस सवाल का जवाब जानने के साथ ही हम ये भी समझेंगे कि सीनियर सिटीजंस को FD में निवेश करने पर मुख्य रूप से क्या फायदे होते हैं.
बैंक और दूसरे वित्तीय संस्थान बुजुर्गों को लो-रिस्क यानी कम जोखिम वाली कैटेगरी का लॉन्ग टर्म इनवेस्टर मानते हैं, लिहाजा उन्हें निवेश के लिए प्रोत्साहित करने के मकसद से FD पर ज्यादा ब्याज दिया जाता है. सरकार की तरफ से भी वरिष्ठ नागरिकों को ज्यादा ब्याज देने की नीति को बढ़ावा दिया जाता है.
इसके अलावा सीनियर सिटीजंस को बैंक और फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन प्रायोरिटी यानी ऊंची प्राथमिकता वाले ग्राहकों की कैटेगरी में रखने की वजह से भी ज्यादा ब्याज देते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि कम जोखिम पसंद करने की वजह से उनके द्वारा FD अकाउंट खोले जाने की संभावना अधिक होती है.
ऊंची ब्याज दरें : ज्यादातर बैंक या फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन 60 साल या उससे ज्यादा उम्र के सीनियर सिटीजन को अलग-अलग टेन्योर वाले FD पर जनरल फिक्स्ड डिपॉजिट के मुकाबले 50 बेसिस प्वॉइंट यानी 0.50% ज्यादा ब्याज देते हैं. इसके बाद कुछ बैंक 80 साल या उससे ज्यादा उम्र वाले ‘सुपर सीनियर सिटिजन्स’ को और 0.25% का अतिरिक्त ब्याज देते हैं.
फिस्क्ड रिटर्न : FD पर पहले से तय यानी फिक्स्ड रिटर्न मिलता है. यानी आपने तय ब्याज दर पर FD लॉक कर दिया तो मैच्योरिटी तक दरों में कोई बदलाव नहीं होगा. अलग-अलग टेन्योर के FD पर ब्याज की दरें अलग-अलग तय हो सकती हैं.
सुरक्षित निवेश : FD में रखा पैसा काफी सुरक्षित माना जाता है. खासतौर पर पोस्ट ऑफिस में रखे गए FD या टाइम डिपॉजिट तो सरकारी गारंटी की वजह से पूरी तरह सुरक्षित होते हैं. सरकारी बैंकों के FD को भी सबसे सुरक्षित निवेश में शामिल किया जाता है.
FD पर लोन : FD का इस्तेमाल लोन लेने के लिए कोलैटरल के रूप में किया जा सकता है. लोन की लिमिट FD की मूल राशि पर निर्भर करती है. ये अलग अलग बैंकों में अलग-अलग हो सकती है.
नॉमिनेशन की सुविधा : FD खोलते वक्त नॉमिनी का नाम देना जरूरी है, ताकि आप पर निर्भर लोगों को पैसे का दावा करते समय किसी मुश्किल का सामना न करना पड़े. नॉमिनेशन के लिए जमाकर्ता को अलग से एक फॉर्म भरना होता है, जिसे फॉर्म DA1 कहा जाता है.
ऑटोमेटिक रिन्यूअल : आजकल बैंक मैच्योरिटी के समय ऑटोमेटिक रिन्यूअल की सुविधा भी देते हैं. इस ऑप्शन को चुनने पर आपका फिक्स्ड डिपॉजिट मैच्योरिटी के समय खुद ही रिन्यू हो जाएगा. नए FD का टेन्योर तो मौजूदा FD की तरह ही होगा, लेकिन उस पर ब्याज रिन्यूअल के समय लागू दर के हिसाब से मिलेगा.
डिपॉजिट में आसानी : फिक्स्ड डिपॉजिट का एक फायदा ये भी है कि इसे खोलने की प्रक्रिया बेहद आसान है. ऑफलाइन यानी बैंक या पोस्ट ऑफिस की शाखा में जाकर FD करने के अलावा ज्यादातर बैंक ऑनलाइन FD खोलने की सुविधा भी देते हैं. 5 साल के FD पर टैक्स बेनिफिट भी मिलता है.
5 साल के लॉक इन वाले टैक्स सेविंग FD में निवेश करने पर इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80C के तहत 1.50 लाख रुपये तक के डिपॉजिट पर टैक्स बेनिफिट ले सकते हैं. इसके अलावा इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80TTB के मुताबिक सीनियर सिटीजंस को एक वित्त वर्ष के दौराम 50 हजार रुपये तक के ब्याज पर टैक्स नहीं देना होता है. अगर किसी वित्त वर्ष में ब्याज की रकम 50 हजार रुपये से ज्यादा हो तो बैंक उस पर 10% TDS काटता है. सीनियर सिटीजंस FD पर अर्जित ब्याज पर टैक्स छूट का दावा करने के लिए फॉर्म 15H का उपयोग कर सकते हैं.
(Source : Bank Websites, Clear Tax)