किसी इमरजेंसी की वजह से किसी को भी अचानक पैसों की जरूरत पड़ सकती है. इमरजेंसी फंड ऐसे ही हालात के लिए होते हैं. लेकिन अगर किसी के पास ऐसा फंड फौरन मौजूद न हो या पैसे कम पड़ जाएं, तो कर्ज लेना पड़ता है. इन हालात में कई बार पर्सनल लोन भी लेना पड़ता है.
एक और तरीका निवेश किए गए पैसों को निकालने का भी हो सकता है. लेकिन पर्सनल लोन पर ब्याज दर अक्सर ऊंची होती है. वहीं इनवेस्टमेंट को समय से पहले निकालने पर पेनल्टी देनी पड़ सकती है. साथ ही इससे आपके लॉन्ग टर्म फाइनेंशियल गोल पर भी असर पड़ सकता है. ऐसे में अचानक फंड जुटाने का एक और उपाय म्यूचुअल फंड्स यूनिट पर लोन लेने का भी हो सकता है.
ज्यादातर म्यूचुअल फंड हाउस निवेशकों को उनकी यूनिट्स पर लोन ऑफर करते हैं. इसे आम तौर पर लोन अगेंस्ट म्यूचुअल फंड कहा जाता है. इसके जरिए निवेशक अपने इनवेस्टमेंट टारगेट को कायम रखते हुए अचानक आने वाली जरूरतों के लिए फंड हासिल कर सकते हैं. इस विकल्प को अच्छी तरह समझने के लिए लोन अगेंस्ट म्यूचुअल फंड और पर्सनल लोन - दोनों को अच्छी तरह समझना जरूरी है.
लोन अगेंस्ट म्यूचुअल फंड का क्या है फायदा लोन अगेंस्ट म्यूचुअल फंड एक सिक्योर्ड लोन है. इसमें आपको लोन अमाउंट के बदले कोलैटरल के रूप में अपनी म्यूचुअल फंड्स यूनिट को गिरवी रखना होता है. लोन अमाउंट गिरवी रखी गई सभी यूनिट्स की वैल्यू पर निर्भर होता है. पर्सनल लोन के मुकाबले म्यूचुअल फंड पर लिए गए कर्ज पर ब्याज की दर काफी कम होती है. अगर आपका क्रेडिट स्कोर बढ़िया है तब भी पर्सनल लोन पर ब्याज करीब 12-13% होता है. जबकि लोन अगेंस्ट म्यूचुअल फंड्स पर ब्याज दर 9 से 10% होता है. म्यूचुअल फंड पर लोन लेने के लिए इंडिविजुअल इन्वेस्टर, NRI या कंपनी भी अप्लाई कर सकते हैं. लेकिन किसी नाबालिग को म्यूचुअल फंड पर लोन नहीं मिल सकता.
ये एक सिक्योर्ड लोन है, इसलिए लोन हासिल होने की प्रक्रिया पर्सनल लोन के मुकाबले थोड़ी लंबी हो सकती है.
अलग अलग बैंक इसमें 50 हजार से 20 लाख रुपये तक का लोन दे रहे हैं. कुछ संस्थान इससे ज्यादा लोन की पेशकश भी कर रहे हैं.
लोन अगेंस्ट म्यूचुअल फंड में क्रेडिट स्कोर बड़ा फैक्टर नहीं है, यानी यह रुकावट नहीं बनता.
डॉक्युमेंटेशन की प्रक्रिया लंबी है, क्योंकि लोन की योग्यता सेफ्टी के वैल्यू पर आधारित होती है.
आप कोलैटरल के रूप में गिरवी रखी गई यूनिट्स की वैल्यू के 50% से 90% के बराबर लोन ले सकते हैं.
ब्याज दर कम होती है क्योंकि यह लेंडर के लिए सिक्योर्ड और कम रिस्क वाला लोन है.
इस लोन के प्री-पेमेंट पर पेनल्टी नहीं देनी पड़ती है.
यह लोन ओवरड्राफ्ट सुविधा के तौर पर दिया जाता है. निकासी, टेन्योर और रीपेमेंट अवधि काफी लचीली होती है.
ओवरड्राफ्ट के तहत आपको ऑनलाइन बैंकिंग और एटीएम की सुविधा भी दी जाती है.
मेडिकल इमरजेंसी, एजुकेशन या ट्रैवल के लिए आप अपने म्यूचुअल फंड निवेश पर लोन ले सकते हैं.
पर्सनल लोन अनसिक्योर्ड लोन है. आपको ऐसे लोन के लिए कोलैटरल की जरूरत नहीं होती है. पर्सनल लोन आपकी एम्प्लॉयमेंट हिस्ट्री, इनकम लेवल, प्रोफेशन, क्रेडिट हिस्ट्री और रीपेमेंट की क्षमता के आधार पर अप्रूव किए जाते हैं. अगर आपका क्रेडिट स्कोर अच्छा है, तो आप कम ब्याज दर पर पर्सनल लोन ले सकते हैं.
डॉक्युमेंटेशन की प्रक्रिया आसान है, प्रमुख डॉक्यूमेंट के रूप में पहचान प्रमाण, एड्रेस प्रूफ और आय प्रमाण पत्र देना होता है.
लोन का डिस्बर्सल काफी तेजी से होता है. अगर आपके पास लोन का प्री-अप्रूवल है, तब तो लोन डिसबर्सल का समय और घट जाता है.
लोन की रकम बहुत फ्लेक्सिबल होती है. 20 हजार रुपये से लेकर 40 लाख रुपये तक के लोन मिल जाते हैं.
लोन की अवधि भी फ्लेक्सिबल रहती है, जो 12 महीने से 60 महीने तक हो सकती है.
पर्सनल लोन पर अन्य शुल्क जैसे प्रोसेसिंग फी, इंश्योरेंस चार्ज, सर्विस चार्ज देना पड़ सकता है.
पर्सनल लोन को तय समय से पहले चुकाने पर आमतौर पर प्री-पेमेंट पेनल्टी देनी पड़ती है.
इसका इस्तेमाल अलग-अलग मकसद से किया जा सकता है, जिसमें शादी-ब्याह से लेकर कंज्यूमर ड्यूरेबल प्रोडक्ट खरीदने जैसी जरूरतें शामिल हैं.
पर्सनल लोन पर ब्याज की दर, लोन अगेंस्ट म्यूचुअल फंड की तुलना में 2 से 3% ज्यादा हो सकती है.