मार्केट रेगुलेटर SEBI ने म्यूचुअल फंड्स से कहा है कि वो भारतीय इक्विटी मार्केट में बड़े स्तर पर बढ़ते 'झाग' (froth) के बीच निवेशकों के हितों की रक्षा करें.
म्यूचुअल फंड की इंडस्ट्री बॉडी AMFI की ओर से म्यूचुअल फंड ट्रस्टीज को भेजे गए एक इंटरनल लेटर के मुताबिक कुछ कदम सुझाए गए हैं, जिसमें एसेट मैनेजमेंट कंपनियों और फंड मैनेजर्स को फ्लो नियंत्रित करने और पोर्टफोलियो को रीबैलेंस करने पर विचार करने के लिए कहा गया है. ये चिट्ठी सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नहीं है, NDTV प्रॉफिट ने इस चिट्ठी को पढ़ा है.
म्यूचुअल फंड ट्रस्टियों को ये सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने के लिए भी कहा गया है कि रिडीम करने वाले निवेशकों को 'फर्स्ट मूवर एडवांटेज' (first-mover advantage) के असर से बचाया जाए.
चिट्ठी के मुताबिक - मार्केट रेगुलेटर ने म्यूचुअल फंड्स से 'बाजार के स्मॉल और मिडकैप सेगमेंट्स में 'झाग' बनने और म्यूचुअल फंड्स की मिड और स्मॉलकैप स्कीम्स में फ्लो जारी रहने के संदर्भ में कदम उठाने के लिए कहा है.'
रिटेल निवेशक 2023 की शुरुआत से मिड-कैप और स्मॉल-कैप फंड्स में निवेश करने वाली म्यूचुअल फंड स्कीम की ओर आकर्षित हुए हैं, ऐसी स्कीम्स उस अवधि के दौरान बहुत बंपर रिटर्न दे रहीं थीं.
AMFI की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक - इस वित्त वर्ष में जनवरी तक, सक्रिय रूप से मैनेज स्मॉल-कैप म्यूचुअल फंड स्कीम्स में 37,360 करोड़ रुपये और मिड-कैप स्कीम्स में 19,400 करोड़ रुपये का निवेश आया है.
निश्चित तौर पर कुछ म्यूचुअल फंड्स ने विशेष रूप से स्मॉल-कैप स्कीम्स में जबरदस्त निवेश को देखते हुए पिछले कुछ महीनों में पहले ही कदम उठाए हैं. कुछ फंड्स, जैसे निप्पॉन म्यूचुअल फंड, जो मैनेजमेंट के तहत एसेट्स की ओर से सबसे बड़ी स्मॉल-कैप स्कीम चलाता है, और टाटा म्यूचुअल फंड ने अपनी स्कीम्स में एकमुश्त इनफ्लो बंद कर दिया है.
निवेशकों को रिडिम्पशन के दबाव के असर से बचाने के मुद्दे पर, एक बड़े म्यूचुअल फंड के हेड ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा, 'सभी निवेशकों के साथ उचित व्यवहार करने के लिए AMC पर जिम्मेदारी डालने का विचार है. SEBI नहीं चाहता है कि फंड रिडिम्प्शन के लिए क्वालिटी वाले शेयर बाजार में बेचे जाएं और म्यूचुअल फंड्स के पास एक अतरल पोर्टफोलियो (illiquid portfolio) बचा रहे. इसका मतलब ये नहीं है कि हम रिडिम्पशन पर कोई लिमिट लगा दें'
क्रेडेंस वेल्थ के संस्थापक और CEO कीर्तन शाह ने कहा, 'बड़े पैमाने पर मिड और स्मॉल-कैप क्षेत्रों में वैल्युएशन में बढ़ोतरी देखी जा सकती है. इसमें एक नैचुरल रीबैलेंसिंग हो सकती है.
जिन निवेशकों ने इस सेगमेंट में अपने आवंटन में जरूरत से ज्यादा निवेश किया है, उन्हें सावधान रहना चाहिए, लेकिन जिन निवेशकों ने समझदारी के साथ एसेट एलोकेशन स्ट्रैटेजी का पालन किया है, उन्हें ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं है.
निवेशकों को अपनी जोखिम उठाने की क्षमता के आधार पर अपनी एसेट एलोकेशन रणनीति की पहचान करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि इसका मतलब है कि उन्हें ये पहचानना चाहिए कि वे कितने नुकसान के साथ सहज हैं.