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Mutual Funds: 250 रुपये रोज बचाकर बन सकते हैं करोड़पति, 25 साल बाद खाते में होंगे 2 करोड़ से ज्यादा

SIP में यह सुविधा है कि निवेशक एकमुश्त निवेश करने की बजाए हर महीने तय राशि म्यूचुअल फंड में निवेश कर सकता है. यानी इस विकल्प में यह जरूरी नहीं है कि आप बड़ा अमाउंट निवेश करें.
NDTV Profit हिंदीNDTV Profit डेस्क
NDTV Profit हिंदी01:21 PM IST, 04 Jul 2024NDTV Profit हिंदी
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बहुत से लोग बचत और निवेश के मामले में छोटी से छोटी रकम का महत्व नहीं समझते. उन्हें लगता है कि बचत का फायदा तभी है, जब रकम बड़ी हो. लेकिन यह सोच ठीक नहीं है. नियमित रूप से बचत और निवेश किया जाए, तो छोटी-छोटी रकम भी बड़ा कमाल कर सकती है. अगर हम हर रोज के खर्च में कुछ न कुछ बचाना शुरू कर दें तो अपना या फैमिली का भविष्य बेहतर कर सकते हैं.

इसलिए बेहतर है कि छोटी छोटी बचत के महत्व को नजरअंदाज न करें. बल्कि छोटी छोटी बचत को अनुशासित तरीके से निवेश करके इसका फायदा उठाएं. अगर हर रोज 250 रुपये जितनी छोटी रकम भी बचाकर निवेश की जाए, तो धीरे-धीरे अच्छा खासा फंड तैयार हो सकता है.

समझिए करोड़पति बनने की कैलकुलेशन

अगर हम अपने घूमने फिरने, रेस्टोरेंट जाकर खाने पीने, एंटरटेनमेंट और पार्टी जैसे खर्चों से हर रोज 250 रुपये भी बचा लें, तो महीने में 7500 रुपये बचा सकते हैं. यह 250 रुपये रोज की बचत भी अगर इक्विटी फंड में निवेश की जाए, तो आगे चलकर बड़ा फंड तैयार किया जा सकता है. इक्विटी म्‍यूचुअल फंड निवेश के लिए स्‍टॉक मार्केट की तुलना में ज्यादा सुरक्षित विकल्प है. खासतौर पर अगर निवेश SIP के जरिये किया जाए तो कंपाउंडिंग के साथ ही साथ एवरेजिंग का लाभ भी मिलता है.

SIP में छोटी छोटी रकम कर सकते हैं निवेश

SIP में यह सुविधा है कि निवेशक एकमुश्त निवेश करने की बजाए हर महीने तय राशि म्यूचुअल फंड में निवेश कर सकता है. यानी इस विकल्प में यह जरूरी नहीं है कि आप बड़ा अमाउंट निवेश करें. इसमें थोड़ी थोड़ी रकम से हर महीने निवेश करने की सुविधा है. बाजार में ऐसे कई म्‍यूचुअल फंड हैं, जिनमें SIP करने वाले निवेशकों ने लंबी अवधि के दौरान बड़ा फंड बना लिया है. कुछ फंड ऐसे हैं, जिनमें पिछले 20 से 25 साल के दौरान 15% से 20% तक औसत सालाना रिटर्न मिलता रहा है.

क्या है पावर ऑफ कंपाउंडिंग?

आसान भाषा में कंपाउंडिंग का मतलब है ब्याज पर ब्याज जुड़ना. इससे आपकी दौलत में तेजी से इजाफा होता है. यानी कंपाउंडिंग वह प्रोसेस है, जिसमें आप पहले से मिल रहे रिटर्न पर और रिटर्न कमाते हैं. जैसे अगर आपने 1 लाख रुपये का निवेश किया है और एक साल बाद उस पर मिलने वाला ब्याज 10 हजार है. तो मूल राशि में ब्याज जोड़ने के बाद यह रकम 1,10,000 रुपये हो जाएगी. इसके बाद अब अगला ब्याज 1,10,000 रुपये पर जुड़ेगा. यही प्रक्रिया आगे भी बढ़ती जाएगी.

इक्विटी निवेश में शामिल है रिस्क

इक्विटी में निवेश सीधे शेयरों में पैसे लगाकर किया जाए या इक्विटी म्यूचुअल फंड के जरिए, उन पर शेयर बाजार के उतार-चढ़ाव का असर तो पड़ता ही है. इसलिए इक्विटी फंड में निवेश का फैसला करने से पहले अपने रिस्क प्रोफाइल को ध्यान में रखें. यह भी समझ लें कि इक्विटी फंड का पिछला प्रदर्शन भविष्य में वैसे ही रिटर्न की गारंटी नहीं होता. इसलिए अच्छी तरह सोच विचार करने के बाद ही निवेश का फैसला करें और जरूरत पड़ने पर अपने निवेश सलाहकार की राय लेना भी न भूलें.

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