अपने क्रेडिट कार्ड (Credit Card) बिल पेमेंट को सही तरह मैनेज करना जरूरी है, ऐसा नहीं करने से आप पर ब्याज (Interest) का बोझ बढ़ता जाएगा. कई बार व्यक्ति चाहता है कि वो कुछ राशि पहले से चुका दें. हालांकि बैंक (Bank) इस अतिरिक्त राशि को कार्डधारक को लौटा भी सकते हैं. आइए जानते हैं कि क्रेडिट कार्ड के मामले को आप कैसे मैनेज करें.
जब भी कोई विदेश यात्रा पर जाता है या बड़ा खर्च करता है और इसके लिए वो क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करता है तो उसे ज्यादा ध्यान रखना चाहिए. ऐसी स्थिति में व्यक्ति को खर्च करने से पहले क्रेडिट कार्ड पर अतिरिक्त राशि का भुगतान कर देना चाहिए, ऐसे में जरूरत पड़ने पर व्यक्ति बिना किसी चिंता के क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल कर सकेगा.
हालांकि बैंक नहीं चाहते हैं कि कोई ग्राहक ऐसे कदम उठाए. वो चाहते हैं कि कार्डधारक दी गई क्रेडिट लिमिट का पूरा इस्तेमाल करे. अतिरिक्त राशि जमा करके क्रेडिट लिमिट बढ़ जाती है. इसलिए बैंक अपने ऐप पर अतिरिक्त राशि जमा कराने से रोकते हैं या कार्डधारक को अतिरिक्त राशि का रिफंड भेज देते हैं.
कई बार व्यक्ति डेडलाइन या बिल जनरेट होने से पहले कुछ राशि का भुगतान करना चाहता है. ऐसा हो सकता है कि जब बिल की ड्यू डेट आए और उस वक्त वो सफर पर हो. ऐसे में क्रेडिट कार्ड डिफॉल्ट से बचने के लिए वो बिल का भुगतान पहले करना चाहता है.
कार्डधारक के बिल भरने की आखिरी तारीख कुछ दूर हो सकती है. लेकिन वो खर्च की गई राशि का भुगतान ड्यू डेट से पहले कर सकते हैं. इससे बैंकों के अतिरिक्त राशि को मंजूर करने के नियम का उल्लंघन नहीं होगा. क्योंकि कार्डधारक खर्च की गई राशि का ही वापस भुगतान कर रहा है.
ये एक तरीका है जिससे वो ये सुनिश्चित कर सकते हैं कि खर्च करते समय उनके पास जरूरी क्रेडिट लिमिट हो. खर्च की गई राशि को व्यक्ति SMS नोटिफिकेशन या ऑनलाइन या बैंक के ऐप पर देख सकता है.
एक बात जिसका ध्यान रखना चाहिए, वो ये है कि क्रेडिट कार्ड साइकिल, यानी वो तारीख जब क्रेडिट कार्ड का बिल जमा करना करना होता है. ऐसा इसलिए क्योंकि जब अलग-अलग समय पर खर्च की गई राशी का भुगतान किया जाता है, तो ऐसा हो सकता है कि बिल की पूरी राशि का भुगतान नहीं किया गया हो. और फिर डेडलाइन के बाद उस पर ब्याज बढ़ने लगेगा और आप पर बोझ रहेगा.
इसका मतलब ये है कि अगर बिल 1.85 लाख रुपये का है, तो फिर ड्यू डेट से पहले किए गए सभी भुगतान का कुल 1.85 लाख रुपये होना ही चाहिए. अगर ये नहीं होता है, तो ये माना जाएगा कि कार्डधारक ने आंशिक भुगतान ही किया है. हिस्सों में भुगतान करते समय इसका ध्यान रखना बेहद जरूरी है.
अर्णव पंड्या
(लेखक Moneyeduschool के फाउंडर हैं)