कॉरपोरेट सेक्टर में नौकरी करने वाले 32 साल के विकास 45 साल की उम्र में रिटायरमेंट (Retirement) लेना चाहते हैं. इसके बाद वे नौकरी की जद्दोजहद से दूर अपनी जिंदगी को अपने ढंग से जीना चाहते हैं. उनके छोटे से परिवार में घर संभालने वाली उनकी पत्नी और 5 साल का एक बेटा है. विकास परिवार में एकमात्र कमाने वाले हैं और उनका मासिक वेतन 1.2 लाख रुपये है.
उनका और उनके परिवार का मासिक खर्च करीब 80,000 रुपये है. यानी उनकी मौजूदा सैलरी उनके खर्चों के लिए काफी है और ठीक-ठाक बचत की गुंजाइश भी है. लेकिन उनके हालात क्या उन्हें जल्दी रिटायर होने का जोखिम उठाने की इजाजत देते हैं? इसका कैलकुलेशन हम आगे करेंगे. जिसके लिए उनके भविष्य के मोटे-मोटे खर्चों का अनुमान लगाना जरूरी है.
अपने बच्चों को सबसे बेहतर शिक्षा दिलाना हर मां-बाप की ख्वाहिश होती है और विकास भी इस मामले में अलग नहीं है. वे अपने बेटे के हायर एजुकेशन के लिए 15 लाख रुपये अलग से बचाना चाहते हैं. हालांकि, अगर देश में औसत महंगाई दर को सालाना 6 फीसदी मानें, तो अभी जिस शिक्षा का खर्च 15 लाख रुपये लग रहा है, वो विकास के बेटे के 18 साल के होने के समय यानी 13 साल बाद लगभग 32 लाख रुपये तक पहुंचने की संभावना मानी जा सकती है.
अच्छी बात ये है, कि विकास के पास इस लागत को कवर करने का के लिए जरिया मौजूद है, क्योंकि उन्होंने कुछ टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड स्कीम्स (Mutual Fund Schemes) में 7.5 लाख रुपये जमा किए हैं. अगर इस निवेश पर सालाना रिटर्न 12 फीसदी मानें तो विकास के बेटे की स्कूलिंग खत्म होने तक यह रकम उसके हायर एजुकेशन का खर्च पूरा करने के लिए पर्याप्त हो जाने की उम्मीद है.
विकास का मासिक खर्च 80,000 रुपये है और वह 45 साल की उम्र में रिटायर होना चाहते हैं. 6 फीसदी की औसत सालाना महंगाई दर के आधार पर उन्हें इसलिए उन्हें 5 करोड़ रुपये से कुछ ज्यादा कॉर्पस जमा करना होगा. इस आंकड़े के साथ तीन बुनियादी मान्यताएं यानी एजंप्शन (assumption) जुड़े हैं:
पहला यह कि विकास और उनकी पत्नी 85 साल तक जीवित रहेंगे.
दूसरा यह कि सालाना महंगाई दर औसतन 6 फीसदी के आसपास रहेगी.
तीसरा एजंप्शन यह कि रिटायरमेंट के बाद उनका कॉर्पस, जो करीब 5 करोड़ रुपये है, हर साल लगभग 9 फीसदी की दर से बढ़ेगा.
विकास अभी 32 साल के हैं और 45 साल की उम्र में रिटायर होना चाहते हैं - यानी उन्हें अगले 13 साल में 5 करोड़ रुपये का रिटायरमेंट कॉर्पस जमा करना होगा. यह एक बड़ा टारगेट है, लेकिन क्या इसे हासिल किया जा सकता है?
इस सवाल का जवाब जानने के लिए विकास के मौजूदा निवेश पर गौर करना होगा:
विकास के पास पास अभी 7 लाख रुपये का प्रॉविडेंट फंड (PF) है.
EPF में विकास हर महीने 7,200 रुपये जमा करते हैं और इतनी ही रकम उनके एंप्लॉयर की तरफ से भी जमा की जाती है.
अगर मान लें कि EPF हर साल 8 फीसदी बढ़ता है और विकास का मासिक योगदान भी 10 फीसदी बढ़ता है, तो वह 45 साल की उम्र तक EPF के जरिए 60 लाख रुपये इकट्ठा कर लेंगे.
इसके अलावा बाकी रकम जमा करने के लिए उन्हें अपनी मंथली सेविंग को सही ढंग से निवेश करना होगा.
अपने महीने के खर्च पूरे करने के बाद विकास के पास हर महीने 40,000 रुपये बचते हैं, जिन्हें वो एक या दो डायवर्सिफाइड इक्विटी म्यूचुअल फंड, मसलन फ्लेक्सी-कैप फंड्स में निवेश कर सकते हैं.
13 साल में 5 करोड़ रुपये जमा करने का लक्ष्य हासिल करने के लिए ऊपर बताया निवेश काफी नहीं है. जल्दी रिटायर होने की महत्वाकांक्षा पूरी करना आसान नहीं होता, इसके लिए कुछ तो कीमत चुकानी ही पड़ती है. जाहिर है, कि अपना लक्ष्य हासिल करने के लिए विकास को थोड़ा और जोर लगाना होगा. इसके लिए उसे ये कदम उठाने होंगे:
हर साल अपने निवेश में करीब 10 प्रतिशत की वृद्धि करनी होगी.
अगर वह ऐसा कर पाते हैं और फ्लेक्सी-कैप में किया जा रहा निवेश सालाना 12 फीसदी की रफ्तार से बढ़ता है, तो वह 13 साल में करीब 2.19 करोड़ रुपये का फंड जुटा सकते हैं. फिर भी, यह रकम 5 करोड़ रुपये के लक्ष्य तो काफी कम है!
ऐसे में सवाल ये है कि विकास को अपना लक्ष्य हासिल करने के लिए और क्या करना होगा?
अगर विकास वाकई 45 साल की उम्र में रिटायर होकर अपनी बाकी जिंदगी अपनी मर्जी और आजादी से जीना चाहते हैं, तो उन्हें कुछ कुर्बानी तो देनी पड़ेगी. अगर विकास और उनका परिवार हर महीने अपने खर्च में 10,000 रुपये की कटौती कर पाएं, इससे उन्हें दो तरह से फायदा होगा :
पहला यह कि उनके रिटायरमेंट कॉर्पस की जरूरत घटकर 4.38 करोड़ रुपये रह जाएगी. ऐसा इसलिए क्योंकि 13 साल बाद के लिए उनके संभावित मंथली खर्च का कैलकुलेशन मौजूदा 80 हजार रुपये की जगह 70 हजार रुपये के आधार पर किया जाएगा.
दूसरा फायदा यह कि वे इन 10 हजार रुपयों का इस्तेमाल फ्लेक्सी-कैप फंड में निवेश की जाने वाली रकम को बढ़ाने में कर सकते हैं. यानी हर महीने 40 हजार की जगह 50,000 रुपये का निवेश शुरू कर सकते हैं. ऐसा करने पर EPF और फ्लेक्सी-कैप फंड को मिलाकर जमा हुई रकम विकास को उनके रिटायरमेंट टारगेट तक पहुंचा देगी.
रिटायर होने के बाद फ्लेक्सी-कैप फंड्स में जमा रकम का बड़ा हिस्सा ज्यादा कंजर्वेटिव डेट ओरिएंटेड फंड में ट्रांसफर करना चाहिए.
ऐसा इसलिए क्योंकि रिटायरमेंट के बाद रिस्क कम करना और पूंजी को सुरक्षित रखना बेहद महत्वपूर्ण होता है.
इसका मतलब यह नहीं कि सारे पैसे डेट फंड में ही डाल दें. 35-40 फीसदी रकम रिटायरमेंट के बाद भी फ्लेक्सी-कैप जैसे इक्विटी फंड में रखना सही रणनीति रहेगी. इससे उनका रिटायरमेंट कॉर्पस उनके जीवनकाल में बढ़ता रहेगा.
विकास को अपना सालाना विथड्रॉल रेट 4 से 6 फीसदी के बीच ही रखना होगा, ताकि उनका कॉर्पस तेजी से खत्म न हो.
विकास के पास जीवन बीमा और क्रिटिकल इलनेस यानी गंभीर बीमारियों को कवर करने वाला हेल्थ इंश्योरेंस होना भी जरूरी है, ताकि इलाज का खर्च उनकी रिटायरमेंट प्लानिंग को गड़बड़ न कर दे.
एक इमरजेंसी फंड होना भी जरूरी है, जो कम से कम 6 महीने के खर्च को कवर कर सके. इस पैसे को लिक्विड फंड (Liquid Fund) और स्वीप-इन डिपॉजिट के कॉम्बिनेशन में रखा जा सकता है.
अगर विकास इन बातों को ध्यान में रखें तो न सिर्फ 45 साल में रिटायर होने की अपनी ख्वाहिश को पूरी कर पाएंगे, बल्कि रिटायरमेंट के बाद की अपनी जिंदगी भी आराम से गुजार सकेंगे.