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Income Tax Return: क्‍या होता है AIS, इसे कैसे डाउनलोड करें? जानें पूरा प्रोसेस

AIS पहले के फॉर्म 26AS से ज्‍यादा विस्‍तृत है, क्‍योंकि टैक्सपेयर्स के TDS और TCS के अलावा दूसरे वित्तीय ट्रांजैक्शन और सूचनाएं भी इसमें शामिल रहती हैं.
NDTV Profit हिंदीNDTV Profit डेस्क
NDTV Profit हिंदी01:19 PM IST, 19 Jul 2023NDTV Profit हिंदी
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Annual Information Statement: पर्सनल टैक्‍सपेयर्स के लिए ITR यानी इनकम टैक्‍स रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तारीख नजदीक आती जा रही है. जानकार, समय रहते ITR फाइल करने की सलाह दे रहे हैं. बहुत सारे टैक्‍सपेयर्स ITR फाइलिंग में कुछ फॉर्म के बारे में या तो जानते नहीं हैं या फिर कन्‍फ्यूजन में रहते हैं.

बहुत से लोगों को AIS यानी एनुअल इनफॉर्मेशन स्टेटमेंट के बारे में जानकारी नहीं होती है. ये बेहद महत्‍वपूर्ण टूल है, जो टैक्‍सपेयर्स को उन जानकारियों के बारे में बताता है, जो इनकम टैक्‍स डिपार्टमेंट के पास पहले से है. दिल्‍ली की एक प्राइवेट फर्म में CFO के तौर पर कार्यरत CA अमित कुमार ने BQ Prime Hindi से बातचीत में इसके बारे में विस्‍तार से बताया.

AIS क्‍या होता है?

AIS यानी एनुअल इनफॉर्मेशन स्टेटमेंट (AIS) में इनकम टैक्स एक्ट 1961 के तहत जरूरी सभी जानकारियां भी शामिल होती हैं. सरकार ने इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए पिछले साल फॉर्म 26AS में बदलाव किया था और एक नया फॉर्म शामिल किया गया था. इस नए फॉर्म को ही एनुअल इनफॉर्मेशन स्टेटमेंट (AIS) कहते हैं, जिसमें टैक्सपेयर्स की सारी जानकारी होती है.

AIS फॉर्म में क्या-क्या?

AIS पर दिखाई गई जानकारियां दो भागों में होती हैं.

पार्ट A- सामान्य जानकारी

इस हिस्से में पैन, मास्क्ड आधार नंबर, टैक्सपेयर का नाम और जन्म की तारीख (अगर कंपनी की स्थिति में उसके गठन की तारीख) मोबाइल नंबर, ई-मेल आईडी और टैक्सपेयर्स का एड्रेस दर्ज होता है.

पार्ट B- TDS/TCS की जानकारी यहां दिखाई जाती है.

  • SFT की जानकारी: इस हिस्से में स्टेटमेंट ऑफ फाइनेंशियल ट्रांजैक्शन (SFT) करने वाली कंपनियों की तरफ से दी गई जानकारी शामिल रहती है. जिसमें कंपनियों की तरफ से मिला डिविडेंड और सेविंग अकाउंट पर मिलने वाला ब्याज भी शामिल रहता है.

  • टैक्‍स के भुगतान से जुड़ी सूचना: जैसे- एडवांस टैक्स और सेल्फ असेसमेंट टैक्स वगैरह

  • डिमांड एंड रिफंड: इस सेक्शन में आप किसी एक वित्त वर्ष में आपको जारी रिफंड और आपसे हुई डिमांड से जुड़ी जानकारी को देख सकते हैं.

  • अन्य जानकारियां: इस हिस्से में अन्य स्रोतों से मिली जानकारियां शामिल होती है. जैसे- सैलरी के एनेक्सचर II फॉर्म, रिफंड पर मिलने वाला इंटरेस्ट, विदेशी मुद्रा की खरीदारी आदि.

अब इसे डाउनलोड करने का तरीका जान लीजिए

  • सबसे पहले इनकम टैक्‍स की आधिकारिक (www.incometax.gov.in) पर जाएं.

  • PAN/आधार और पासवर्ड के जरिए ITR फाइलिंग पोर्टल पर लॉग इन करें.

  • यहां डैशबोर्ड मेनू पर AIS का विकल्‍प दिखेगा.

  • यहां Proceed विकल्प पर क्लिक करें.

  • आप सीधे AIS पोर्टल (ais.insight.gov.in/complianceportal)पर पहुंच जाएंगे.

  • यहां विवरण देखने के लिए AIS पर क्लिक करना होगा.

  • यहां से आप इसे PDF या JSON फॉरमैट में डाउनलोड कर सकते हैं.

26AS था तो फिर AIS क्‍यों?

AIS पहले के फॉर्म 26AS से ज्‍यादा विस्‍तृत है, क्‍योंकि टैक्सपेयर्स के TDS और TCS के अलावा दूसरे वित्तीय ट्रांजैक्शन और सूचनाएं भी इसमें शामिल रहती हैं. एक वित्त वर्ष में टैक्सपेयर्स जितने भी फाइनेंशियल ट्रांजैक्‍शन करता है, उन सभी का AIS में विस्तृत ब्योरा होता है.

जब AIS फॉर्म लाया गया था, तब इसका उद्देश्‍य सिस्‍टम में पारदर्शिता लाना था. साथ ही ज्‍यादा से ज्‍यादा लोगों को रिटर्न फाइल करने के लिए प्रोत्‍साहित करना भी इसका उद्देश्‍य था. इनकम टैक्‍स डिपार्टमेंट का मानना था कि टैक्‍सपेयर्स के लिए प्रोसेस आसान होगा तो ज्‍यादा से ज्‍यादा संख्‍या में वे ITR फाइल करेंगे.

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