वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में नया इनकम टैक्स बिल, 2025 पेश कर दिया है, जो आगे चलकर मौजूदा इनकम टैक्स एक्ट 1961 की जगह लेगा. हालांकि इसे एक लंबी प्रक्रिया से गुजरना होगा. ड्राफ्ट के अनुसार, नए इनकम टैक्स बिल को पहले की अपेक्षा काफी सरल बनाया गया है.
नए बिल में कई सारे पुराने और गैर-जरूरी प्रावधान हटा दिए हैं. साथ ही इसमें कई बड़े बदलाव किए गए हैं. इनकम टैक्स के सेक्शन 80C में भी बड़े बदलाव किए गए हैं.
नए बिल में किए गए बदलावों के अनुसार, अब तक जो टैक्स छूट (डिडक्शन) सेक्शन 80C के तहत मिलती थी, उन्हें अलग-अलग क्लॉज में बांट दिया गया है. यानी अब टैक्सपेयर्स को पहले जैसा एक ही सेक्शन देखने को नहीं मिलेगा, बल्कि अलग-अलग कैटेगरी के हिसाब से डिडक्शन का फायदा उठाना होगा.
हर तरह की डिडक्शन को उसके काम के हिसाब से अलग-अलग क्लॉज में रखा गया है. जैसे, एजुकेशन से जुड़ी छूट अब एजुकेशन वाले प्रावधानों में होगी, और होम लोन से जुड़ी छूट अब होम लोन वाले क्लॉज में मिलेगी. बदलावों के अनुसार,
लाइफ इंश्योरेंस प्रीमियम, प्रॉविडेंट फंड (PF) और डिफर्ड एन्युइटी जैसी चीजों की डिडक्शन अब क्लॉज 123 के तहत आएंगी.
होम लोन पर ब्याज की छूट को दो हिस्सों में बांटा गया है– क्लॉज 130 और क्लॉज 131.
एजुकेशन लोन पर ब्याज की डिडक्शन अब क्लॉज 129 के तहत आएगी.
पेंशन स्कीम में योगदान की छूट क्लॉज 124 में शामिल की गई है.
अग्निपथ स्कीम में योगदान की डिडक्शन क्लॉज 125 में रखी गई है.
इन बदलावों से घबराने की जरूरत नहीं! कारण कि डिडक्शन खत्म नहीं हुई हैं, बस उन्हें अलग-अलग कैटेगरी में बांट दिया गया है. इसका मकसद टैक्स प्रणाली को और साफ-सुथरा और व्यवस्थित बनाना है. अब टैक्सपेयर्स को अपने फाइनेंशियल एक्टिविटीज के हिसाब से डिडक्शन का फायदा मिलेगा.
ये बदलाव इनकम टैक्स एक्ट, 1961 को बदलने के लिए लाए गए हैं. नए प्रावधान 1 अप्रैल, 2026 से लागू होंगे. तब तक टैक्सपेयर्स के पास इन बदलावों को समझने और अपनी फाइनेंशियल प्लानिंग को एडजस्ट करने का समय होगा.
तो अगर आप PF, इंश्योरेंस, होम लोन, या एजुकेशन लोन जैसी चीजों पर टैक्स बचाते हैं, तो अब आपको नए क्लॉज के हिसाब से अपनी डिडक्शन क्लेम करनी होगी. ये बदलाव टैक्स सिस्टम को और आसान बनाने की दिशा में एक कदम है.