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रिटायरमेंट म्यूचुअल फंड या सीनियर सिटिजन सेविंग स्कीम, रिटायरमेंट के बाद कहां लगाएं 15 लाख रुपये?

किस निवेशक के लिए कौन सी स्कीम बेहतर है, यह उनकी विशेष जरूरतों और रिस्क लेने की क्षमता पर निर्भर है. इस बारे में कोई भी फैसला करने से पहले दोनों ही विकल्पों के बारे में जान लेना चाहिए.
NDTV Profit हिंदीNDTV Profit डेस्क
NDTV Profit हिंदी09:45 AM IST, 12 Oct 2023NDTV Profit हिंदी
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रिटायरमेंट के बाद बेहतर इनकम और सुरक्षा के लिए कहां लगाने चाहिए पैसे? इस सवाल का कोई एक जवाब नहीं हो सकता. पब्लिक प्रॉविडेंट फंड (PPF), सीनियर सिटिजन्स सेविंग स्कीम (SCSS), नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) से लेकर रिटायरमेंट पर फोकस करने वाले म्यूचुअल फंड तक कई ऑप्शन मौजूद हैं. जहां PPF, NPS और SCSS जैसी सरकार समर्थित स्कीम में सुरक्षा और रिटर्न की गारंटी मिलती है, वहीं म्यूचुअल फंड ज्यादा रिस्क के बावजूद बेहतर रिटर्न की उम्मीद जगाते हैं.

किस निवेशक के लिए कौन सी स्कीम बेहतर है, ये उनकी विशेष जरूरतों और रिस्क लेने की क्षमता पर निर्भर है. इस बारे में कोई भी फैसला करने से पहले दोनों ही विकल्पों के बारे में जान लेना चाहिए. 

सीनियर सिटिजन्स सेविंग स्कीम (SCSS) क्या है ?

सीनियर सिटिजन्स सेविंग स्कीम (SCSS) सरकार के समर्थन से चलाई जाने वाली बचत योजना है. पहले इस स्कीम में निवेश की अधिकतम सीमा 15 लाख रुपये थी, लेकिन 2023 के केंद्रीय बजट में इसे बढ़ाकर 30 लाख रुपये कर दिया गया है. इस स्कीम पर फिलहाल 8.2% सालाना ब्याज दिया जा रहा है. इस स्कीम के तहत एक बार में ही पूरे पैसे जमा करने होते हैं. SCSS योजना में 60 साल या उससे ज्यादा उम्र वाले बुजुर्ग निवेश कर सकते हैं. इनके अलावा 55 से 60 साल तक की उम्र वाले सिविलियन रिटायर्ड कर्मचारी और 50 साल से ज्यादा उम्र के डिफेंस कर्मचारी भी इस स्कीम का लाभ ले सकते हैं, बशर्ते वे रिटायरमेंट बेनिफिट मिलने के एक महीने के भीतर अपना खाता खोल लें.

इस स्कीम में ब्याज का भुगतान हर तीन महीने पर किया जाता है. इस स्कीम में मैच्योरिटी पीरियड 5 साल है, लेकिन निवेशक चाहें तो इसे 3 साल के लिए बढ़ा भी सकते हैं. SCSS में किए गए निवेश पर आयकर अधिनियम की धारा 80C के तहत टैक्स में छूट मिलती है, लेकिन ब्याज पर टैक्स देना पड़ता है.  

रिटायरमेंट म्यूचुअल फंड

देश की कई प्रमुख म्यूचुअल फंड कंपनियां रिटायरमेंट पर फोकस करने वाले फंड ऑफर करती हैं, जिनमें निवेश किया जा सकता है. ये फंड इक्विटी, डेट, हाइब्रिड जैसी कई कैटेगरी में हो सकते हैं. इनका औसत रिटर्न आम तौर पर फिक्स्ड इनकम वाली योजनाओं के मुकाबले बेहतर होता है, लेकिन साथ ही जोखिम भी अधिक रहता है. इक्विटी फंड में 3 साल से ज्यादा अवधि के लिए निवेश करने पर टैक्स छूट का लाभ इनमें भी मिलता है. 

सीनियर सिटिजन्स सेविंग स्कीम और रिटायरमेंट फंड के रिटर्न की तुलना 

हम यहां दोनों स्कीमों पर मिलने वाले रिटर्न की तुलना सिर्फ जानकारी देने के लिए कर रहे हैं. इसका मकसद किसी स्कीम में निवेश की सलाह देना नहीं है. सबसे पहले देखते हैं कि SCSS में निवेश करने पर आपको कितना रिटर्न मिल सकता है. 

SCSS: चिंता मुक्त गारंटीड रिटर्न 

सीनियर सिटिजन्स सेविंग स्कीम में निवेश की लिमिट अब बढ़कर 30 लाख रुपये हो गई है, लेकिन हम सुविधा के लिए यहां 15 लाख रुपये के हिसाब से ही कैलकुलेशन दे रहे हैं. SCSS पर जनवरी से सितंबर 2018 के दौरान 8.3% ब्याज मिलता था, जो अक्टूबर से दिसंबर 2018 के दौरान बढ़ाकर 8.7% हो गया था. इस हिसाब से अगर आपने जनवरी-सितंबर 2018 के दौरान SCSS में 15 लाख रुपये लगाए होते, तो आपको 5 साल में ब्याज के तौर पर कुल 6,22,500 रुपये मिलते. वहीं, अक्टूबर से दिसंबर 2018 के दौरान 15 लाख रुपये निवेश करने पर ये रिटर्न बढ़कर 6,52,500 रुपये हो गया होता. लेकिन अभी इस स्कीम पर 8.2 ये ब्याज ही मिल रहा है. इस रेट पर अगर आप अभी 15 लाख रुपये का निवेश करेंगे तो 5 साल में आपको कुल 6,15,000 रुपये इंटरेस्ट इनकम के तौर पर मिलेंगे.

रिटायरमेंट म्यूचुअल फंड: रिटर्न और रिस्क दोनों ज्यादा 

पिछले 5 साल के दौरान रिटायरमेंट पर फोकस करने वाली कई प्रमुख म्यूचुअल फंड स्कीम्स ने 10% के आस-पास या उससे काफी ज्यादा रिटर्न भी दिया है. ऐसी कुछ स्कीम्स के रिटर्न की जानकारी हम यहां दे रहे हैं. ये जानकारी AMFI (एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया) की वेबसाइट पर मौजूद 15 सितंबर तक के आंकड़ों पर आधारित है. 

इन सभी स्कीमों में जोखिम का स्तर अलग-अलग हो सकता है. लिहाजा रिटर्न के साथ ही रिस्क पर ध्यान देना भी जरूरी है.

आपके लिए क्या है सही विकल्प 

रिटायरमेंट म्यूचुअल फंड्स के बेहतर रिटर्न का मतलब क्या ये है कि ऐसे फंड सीनियर सिटिजन्स सेविंग स्कीम के मुकाबले बेहतर विकल्प हैं? सही बात ये है कि आप सीधे-सीधे ऐसा नहीं कह सकते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि दोनों की खूबियां काफी अलग-अलग हैं.

रिटायरमेंट के बाद आम तौर पर बुजुर्गों की आर्थिक रिस्क लेने की क्षमता काफी कम हो जाती है, लिहाजा फिक्स इनकम और सुरक्षा देने वाली SCSS जैसी स्कीम उनकी रिटायरमेंट प्लानिंग का अहम हिस्सा हैं. म्यूचुअल फंड, खास तौर पर इक्विटी के ज्यादा एक्सपोजर वाले फंड में पैसे लगाने से पहले उन्हें अच्छी तरह सोच लेना चाहिए.

रिटायरमेंट कॉर्पस बनाने के लिए कामकाजी उम्र के दौरान म्यूचुअल फंड में निवेश किया जाए तो बेहतर होता है. फिर भी अपनी रिस्क लेने की क्षमता को देखते हुए अगर पोर्टफोलियो में फिक्स्ड इनकम वाली सरकारी योजनाओं के साथ ही साथ कुछ रकम म्यूचुअल फंड में भी डाली जाए, तो इससे महंगाई का मुकाबला करने में मदद मिल सकती है.

बेहतर यही होगा कि बुजुर्ग निवेशक इस बारे में कोई भी फैसला करने से पहले किसी अच्छे निवेश सलाहकार से राय-मशविरा कर लें.   

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