रिटायरमेंट एक दूर की बात लग सकती है. लेकिन इसके लिए योजना बनाना ऐसा नहीं होना चाहिए. चाहे आप 30 की उम्र के हों या 50 के करीब, एक सुरक्षित वित्तीय भविष्य बनाने के लिए दूरदर्शिता और लगातार काम करने की जरूरत होती है.
रिटायरमेंट का मतलब है यह सुनिश्चित करना कि आप अपने लाइफस्टाइल को बनाए रख सकें, स्वास्थ्य की जरूरतों को पूरा कर सकें और वित्तीय तनाव के बिना जिंदगी जी सकें.
जितनी जल्दी आप प्लानिंग शुरू करेंगे, एक अच्छा कॉर्पस बनाना उतना ही आसान होगा. इसलिए इससे पहले कि आप SIP, पेंशन योजना या EPF कैलकुलेशन में निवेश करें. उन फैक्टर्स पर एक नजर डाल लें, जिन पर आपको अपनी रिटायरमेंट प्लानिंग शुरू करने से पहले कर लेना चाहिए.
आप जितनी जल्दी शुरुआत करेंगे, आपके पैसे को कंपाउंडिंग पावर से बढ़ने के लिए उतना ही ज्यादा समय मिलेगा. सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया की फाइनेंशियल एजुकेशन बुकलेट के मुताबिक 25 साल की आयु में बचत शुरू करना, 60 साल की उम्र में रिटायरमेंट गोल के साथ, 35 साल का समय मिलता है.
सबसे अहम कदमों में से एक ये अनुमान लगाना है कि रिटायर होने के बाद आपको कितनी राशि की जरूरत होगी. सामान्य नियम ये है कि रिटायरमेंट के समय अपने सालाना खर्चों का 20-25 गुना रिटायरमेंट फंड बनाने का लक्ष्य रखें. इस अनुमान में महंगाई, लाइफस्टाइल के विकल्प, आप पर निर्भर लोग और अप्रत्याशित इमरजेंसी को ध्यान में रखना चाहिए.
महंगाई खर्च करने की क्षमता को कम करती है. आज 50,000 रुपये की पेंशन 20 साल बाद पर्याप्त नहीं हो सकती है. RBI के आंकड़ों के मुताबिक पिछले एक दशक में भारत की औसत महंगाई दर 4% से 6% के बीच रही है. स्वास्थ्य सेवा से जुड़ी महंगाई सालाना 14% है.
अपने सारे अंडे एक ही टोकरी में न रखें. इक्विटी, डेट और सरकार समर्थित योजनाओं का मिश्रण विकास और स्थिरता दोनों सुनिश्चित करता है. युवा निवेशक इक्विटी की ओर ज्यादा झुकाव रख सकते हैं, जबकि वृद्धों को सीनियर सिटीजन सेविंग्स स्कीम, पोस्ट ऑफिस मंथली इनकम स्कीम या डेट म्यूचुअल फंड जैसे सुरक्षित माध्यमों में जाना चाहिए.