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Gold Jewellery खरीदने जा रहे हैं तो रखें इन चीजों का ध्यान, नहीं तो हो सकता है नुकसान

सिर्फ हॉलमार्किंग, मेकिंग चार्ज, टैक्सेशन ही नहीं, गोल्ड ज्वेलरी खरीदते समय और भी चीजों का ध्यान रखना जरूरी है.
NDTV Profit हिंदीNDTV Profit डेस्क
NDTV Profit हिंदी09:38 AM IST, 07 Nov 2023NDTV Profit हिंदी
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दुनिया में सबसे ज्यादा सोने की खपत चीन और भारत में है. चीन में जहां सरकार हाल के सालों में बड़ी मात्रा में सोना खरीद रही है, वहीं भारतीय संस्कृति और त्योहारों में सोने की अहमियत के चलते आमजन के बीच हमेशा इसकी खपत बरकरार रहती है. ग्रामीण इलाकों में ये मांग (Gold Demand) ज्यादा तेज होती है.

दशहरा, दिवाली (Diwali) आते ही बाजारों में सोने की डिमांड में तेज उछाल आता है. इसके पहले नवरात्रि में गोल्ड आइटम्स की खूब खरीदारी होती है. धनतेरस (Dhanteras) पर भी कई लोग गोल्ड ज्वेलरी लेना पसंद करते हैं. मतलब अक्टूबर-नवंबर के फेस्टिव सीजन में भारतीय जमकर सोना खरीदते हैं.

लेकिन आज के दौर में ये बहुत जरूरी हो जाता है कि ग्राहक खरीदारी के दौरान कुछ जरूरी सावधानियां रखें. वरना गलत डील मिलने की संभावना बढ़ जाती है. यहां जानते हैं ऐसी ही कुछ जरूरी बातें:

हॉलमार्किंग और प्योरिटी:

ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड (BIS) गोल्ड ज्वेलरी में हॉलमार्किंग करता है. ये संस्थान ग्राहकों को दिए जाने वाली गोल्ड की क्वालिटी को निर्धारित करता है. अगर किसी ज्वेलरी पर BIS की हॉलमार्किंग है, तो इसका मतलब है कि गोल्ड की प्योरिटी सर्टिफाइड है.

हॉलमार्किंग के तहत हॉलमॉर्क लोगो और सेंटर का नाम, ज्वेलरी के बनने का साल और गोल्ड कैरेट जैसी चीजें लिखी होती हैं.

शुद्ध सोना 24 कैरेट का होता है. लेकिन इसमें काफी लोच होती है, इसलिए ज्वेलरी आमतौर पर कुछ अशुद्धि के साथ 22 कैरेट और 18 कैरेट गोल्ड की बनती है. 22 कैरेट गोल्ड का मतलब है 91.67% शुद्धता, जबकि 18 कैरेट का मतलब है 75% शुद्धता वाला सोना.

मेकिंग चार्ज:

मार्केट में दो तरह से मेकिंग चार्ज लिया जाता है. पहला कुल कीमत के परसेंटेज के हिसाब से, दूसरा प्रति 10 ग्राम (1 तोला पर) मेकिंग चार्ज. आमतौर पर बड़े ज्वेलर्स कीमत पर परसेंटेज के हिसाब से चार्ज लेते हैं.

यहां आपको ये सावधानी रखनी भी जरूरी है कि आप अलग-अलग ज्वेलर्स से मेकिंग चार्ज की तुलना कर लें, क्योंकि कई बार इनमें एडीशनल कॉस्ट भी शामिल होती हैं, तो फाइनल प्राइस पर असर डालती हैं.

टैक्सेशन:

3% GST रेट पूरी ज्वेलरी की कीमत पर लागू होता है. ये इस पर निर्भर नहीं करता कि क्या मेकिंग चार्ज अलग दर्शाया गया है या नहीं. अगर आप पहले बजट कैलकुलेशन लगा रहे हैं, तो गोल्ड वेट और दूसरी चीजों के साथ इसे भी ध्यान में रखें.

प्राइसिंग:

24 कैरेट सोने की कीमत के हिसाब से अपनी ज्वेलरी में इस्तेमाल कैरेट पर लगने वाली कीमत को क्रॉस चैक जरूर कर लें. जैसे आज 24 कैरेट सोने की कीमत मुंबई में 61,640 रुपये है, इस हिसाब से 22 कैरेट (91.6% शुद्धता) वाले सोने की कीमत 56,350 रुपये होगी.

सोने की कीमत शहरों के हिसाब से भी बदलती है. ऐसे में ऑनलाइन प्राइसिंग और अन्य जगहों की कीमतों की तुलना जरूर करें. अलग-अलग ज्वेलर्स के यहां भी कीमतों में बदलाव आता है.

ज्वेलरी वापस करने की पॉलिसी:

ज्वेलरी लेते समय ये ध्यान रखें कि वापस करने की क्या कंडीशंस हैं. जैसे कई ज्वेलर्स 7 से 10 दिनों के भीतर पूरी वैल्यू वापस करते हैं या दूसरी ज्वेलरी की खरीद में एडजस्ट करते हैं. फिर अगले कुछ दिनों के हिसाब से ये बायबैक वैल्यू कम होती जाती है.

ऑफर्स और डिस्काउंट:

वैसे तो सभी ज्वेलर्स आपको अपने डिस्काउंट और ऑफर्स की जानकारी देंगे ही. लेकिन बेहतर होगा कि आप इनकी दूसरे ज्वेलर्स की स्कीम्स से भी तुलना कर लें.

कई बार ज्वेलरी लेते समय आपको एक अवधि में सिस्टमैटिक निवेश पर मेकिंग चार्ज में छूट दी जाती है. इस दौरान एक अमाउंट का फ्री कूपन भी आपको मिलता है. निवेश के हिसाब से भी आप इस तरह की योजनाएं की तुलना कर सकते हैं.

इन्वेस्टमेंट के तौर पर गोल्ड:

2019 में धनतेरस पर सोने की औसत कीमत 39,000 रुपये थी. चार साल बाद ये 62,800 रुपये के आसपास है. मतलब चार साल में 60% से ज्यादा रिटर्न है. इस तरह बीते कुछ सालों में सोना मार्केट के अन्य बेहतर ऑप्शंस की तरह इन्वेस्टमेंट ऑप्शन बनकर उभरा है.

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