अपनी आमदनी के हिसाब से इनकम टैक्स देना देश के हर नागरिक की जिम्मेदारी है. लेकिन आयकर के नियमों में ही निवेश के कई ऐसे विकल्प भी दिए गए हैं, जिनकी मदद से आप अपनी टैक्स देनदारी कम कर सकते हैं. इनमें कुछ ऐसे विकल्प भी शामिल हैं, जो टैक्स बचाने में आपकी मदद करते हैं. खास तौर पर वो विकल्प, जिनमें निवेश करते समय तो आपको टैक्स में छूट मिलती ही है, साथ ही उस पर मिलने वाले रिटर्न और मैच्योरिटी अमाउंट पर भी कोई टैक्स नहीं भरना पड़ता.
आज हम ऐसे ही कुछ ऑप्शन के बारे में बात करेंगे, जिनमें निवेश करके आपको ऐसा टैक्स बेनिफिट मिलता हो. लेकिन पूरी बात को ठीक से समझने के लिए यह जानना जरूरी है कि टैक्स सेविंग ऑप्शन दरअसल कितनी तरह के होते हैं?
टैक्स बचाने वाले निवेश के विकल्पों (Tax Saving Investment Options) को मोटे तौर पर 3 अलग-अलग कैटेगरी में बांटा जा सकता है: ETE, EET और EEE.
ETE का मतलब है एग्जम्प्ट - टैक्सेबल - एग्जम्प्ट (Exempt - Taxable - Exempt). ये ऐसे ऑप्शन हैं, जिनमें निवेश करते समय नियमों के हिसाब से तय सीमा तक टैक्स में छूट मिलती है, लेकिन उसके बाद रिटर्न पर टैक्स भरना पड़ता है और फिर मैच्योरिटी अमाउंट पर फिर से टैक्स छूट मिलती है. बैंक के टैक्स सेविंग FD इसी श्रेणी में आते हैं.
EET यानी एग्जम्प्ट - एग्जेंप्ट - टैक्सेबल (Exempt - Exempt - Taxable). इस कैटेगरी में निवेश के ऐसे विकल्प शामिल हैं, जिनमें सबसे पहले निवेश के समय और फिर रिटर्न के एकुमुलेशन यानी जमा होते समय टैक्स में छूट मिलती है. लेकिन मैच्योरिटी अमाउंट पर टैक्स देना पड़ता है. नेशनल पेंशन स्कीम (NPS) इसका प्रमुख उदाहरण है.
EEE का मतलब है एग्जम्प्ट - एग्जम्प्ट - एग्जम्प्ट (Exempt - Exempt - Exempt). यानी इस कैटेगरी की स्कीम में निवेश करने पर इनवेस्टमेंट के समय तो टैक्स छूट मिलती ही है, साथ ही रिटर्न और मैच्योरिटी अमाउंट भी नियमों के तहत टैक्स फ्री होता है.
यही वो कैटेगरी है, जिसमें निवेश करके आप सबसे ज्यादा टैक्स सेविंग कर सकते हैं.
अगर आप अपने निवेश और रिटर्न पर तय सीमा के भीतर टैक्स की पूरी बचत करना चाहते हैं, तो EEE कैटेगरी की स्कीमों में निवेश सबसे बेहतर विकल्प है. इस कैटेगरी में आने वाली प्रमुख योजनाएं हैं - पब्लिक प्रॉविडेंट फंड (PPF), सुकन्या समृद्धि योजना (SSY) और एंप्लाईज प्रॉविडेंट फंड (EPF).
इनके अलावा ELSS और यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान (ULIP) भी कुछ हद तक टैक्स-फ्री रिटर्न दे सकते है.
PPF में सालाना 1.5 लाख रुपये तक के इन्वेस्टमेंट पर सेक्शन 80C के तहत टैक्स छूट मिलती है. इस स्कीम का मैच्योरिटी पीरियड 15 साल का है. हालांकि इसके बाद भी PPF अकाउंट 5-5 साल के लिए आगे बढ़ाया जा सकता है.
इस स्कीम पर मौजूदा ब्याज दर 7.10% है. यह ब्याज 15 साल तक खाते में जमा होता रहता है और मैच्योरिटी पर पूरे पैसे मिल जाते हैं. EEE स्कीम होने का मतलब ये है कि इसमें मैच्योरिटी अमाउंट भी पूरी तरह टैक्स फ्री है.
EPF भी एक सरकारी स्कीम है, जिसमें सैलरीड कर्मचारियों और उनके एंप्लॉयर को कंट्रीब्यूशन करना होता है. यह एक अनिवार्य स्कीम है, जिसमें आपके वेतन से कटकर पैसे जमा होते हैं. EPF में भी कर्मचारी के वेतन से कटकर जमा होने वाले सालाना 1.5 लाख रुपये तक के योगदान पर 80C के तहत टैक्स छूट मिलती है.
EPF पर फिलहाल सबसे ज्यादा 8.25% ब्याज मिल रहा है, जो PPF की तरह ही खाते में जमा होता है. इस ब्याज पर कोई टैक्स नहीं लगता. EPF के खाते में कर्मचारी अपनी मर्जी से अनिवार्य सीमा से ज्यादा भी कंट्रीब्यूशन कर सकते हैं, जिसे वॉलंटियरी प्रॉविडेंट फंड (VPF) कहते हैं.
EPF और VPF को मिलाकर साल में 2.50 लाख रुपये तक के निवेश पर मिलने वाले ब्याज भी टैक्स फ्री होता है, लेकिन 80C के तहत टैक्स छूट अधिकतम 1.5 लाख रुपये के सालाना निवेश पर ही मिलती है.
EPF का मैच्योरिटी अमाउंट भी पूरी तरह टैक्स फ्री है. VPF के जरिए जमा की गई अतिरिक्त रकम को भी 5 साल बाद निकालने पर टैक्स नहीं देना पड़ता.
सुकन्या समृद्धि योजना (SSY) बेटियों के लिए लाई गई केंद्र सरकार की खास स्कीम है, जिसमें 10 साल तक की बेटी के माता-पिता उसके नाम से खाता खोलकर साल में 1.5 लाख रुपये तक की रकम जमा कर सकते हैं.
इस पर फिलहाल 8.2% का सालाना ब्याज मिल रहा है. इस स्कीम में मिलने वाला ब्याज और मैच्योरिटी अमाउंट दोनों टैक्स फ्री हैं.
इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम (ELSS) में भी सालाना 1.50 लाख रुपये तक के निवेश पर 80सी के तहत टैक्स छूट मिलती है. अगर आप अपने निवेश को कम से कम 3 साल तक बनाए रखते हैं, तो उसके बाद सालाना 1 लाख रुपये तक का कैपिटल गेन भी टैक्स फ्री है.
साल में 1 लाख से ज्यादा कैपिटल गेन होने पर 10% लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स (LTCG) देना पड़ता है. यानी अगर आपका सालाना कैपिटल गेन्स 1 लाख रुपये या उससे कम है, तो आपके लिए ELSS भी EEE स्कीम की तरह काम करता है. खास बात ये है कि इसका 3 साल का लॉक-इन पीरियड बाकी सभी EEE स्कीम की तुलना में कम है.
यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान (ULIPs) में किए गए निवेश पर भी 80C के तहत टैक्स छूट मिलती है, बशर्ते इंश्योरेंस की रकम सालाना प्रीमियम के कम से कम 10 गुने के बराबर हो. 5 साल बाद पैसे निकालने पर यूलिप का पूरा मैच्योरिटी अमाउंट टैक्स फ्री होता है.
अगर इस दौरान आप अपनी ULIP स्कीम में उपलब्ध दो विकल्पों में स्विच करते हैं, तो उस पर कोई टैक्स लागू नहीं होता. ULIP में किए गए निवेश पर बाजार के प्रदर्शन के हिसाब से रिटर्न मिलता है.
(सोर्स : इंडिया पोस्ट, क्लियर टैक्स)