सोमवार को GST लागू (GST Implementation) होने के 7 साल पूरे हो चुके हैं. इस मौके पर वित्त मंत्रालय (Finance Ministry) ने कहा कि GST के चलते घरेलू सामान और मोबाइल फोन पर लगने वाले टैक्स में कटौती हुई है, जिसके चलते तमाम परिवारों में खुशियां आई हैं. मंत्रालय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर मैसेज शेयर करते हुए ये बात कही.
17 स्थानीय टैक्स और सेस को मिलाकर 1 जुलाई 2017 को GST लागू किया गया था. 7वें GST दिवस का थीम सशक्त व्यापार समग्र विकास है.
अप्रैल 2018 में कुल 1.05 करोड़ GST टैक्सपेयर्स थे, ये संख्या 2024 में बढ़कर 1.46 लाख पहुंच गई है.
सेंट्रल बोर्ड ऑफ इनडायरेक्ट टैक्स एंड कस्टम्स (CBIC) के चेयरमैन संजय कुमार अग्रवाल ने कहा, 'कंप्लायंस में सुधार के साथ-साथ हमने टैक्सपेयर्स बेस में भी जोरदार इजाफा देखा है.'
मंत्रालय ने GST के पहले और बाद के रेट्स में तुलना करते हुए एक चार्ट भी शेयर किया. मंत्रालय ने कहा कि GST ने ईज ऑफ लिविंग को बेहतर किया है और हर परिवार फूड आइटम्स के साथ-साथ ज्यादा खपत होने वाली चीजों पर GST लागू होने के बाद खर्च पर बचत कर रहा है.
खुला गेहूं, चावल, दही और लस्सी जैसी चीजों पर GST आने के पहले करीब 2.5% से 4% तक टैक्स लगता था. जबकि अब इन पर कोई टैक्स नहीं है.
कॉस्मैटिक्स, हाथ घड़ी, सैनेटरी प्लास्टिकवेयर, दरवाजे, खिड़कियों, फर्नीचर पर पुराने एक्साइज और VAT सिस्टम में 28% टैक्स लगता था. जबकि GST आने के बाद ये 18% सेगमेंट आ गए हैं.
मंत्रालय ने कहा कि मोबाइल फोन, 32 इंच तक की TV, रेफ्रिजरेटर्स, वॉशिंग मशीन, इलेक्ट्रिकल एप्लायंस (AC को छोड़कर), गीजर और पंखे पर GST से पहले के दौर में 31.3% टैक्स लगता था, जबकि अब ये 18% के स्लैब में है.
मंत्रालय ने आगे कहा कि छोटे टैक्सपेयर्स के लिए कंप्लायंस के भार को कम करने की कोशिश की गई है. GST काउंसिल FY23-24 में सालाना 2 करोड़ रुपये तक के एनुअल टर्नओवर पर एनुअल रिटर्न फाइलिंग की जरूरत को बंद करने का सुझाव दिया है.