अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की अधिकारी गीता गोपीनाथ (Gita Gopinath) ने कहा कि ब्याज दरों में जल्द कटौती की उम्मीद करना समझदारी नहीं है, क्योंकि महंगाई के खिलाफ लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक दावोस (Davos 2024) में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (WEF) में IMF की डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर ने कहा कि लोन पर ब्याज दरों में पिछले दो साल में तेज बढ़ोतरी के बाद भी काम अभी पूरा नहीं हुआ है.
उन्होंने कहा कि बाजार उम्मीद कर रहे हैं कि केंद्रीय बैंक दरों में भारी कटौती करें. लेकिन मेरा मानना है कि अभी किसी नतीजे पर पहुंचना थोड़ी नासमझी है. हमें ब्याज दरों के कुछ साल में घटने की उम्मीद है. लेकिन हम जो डेटा देख रहे हैं उसके आधार पर इस साल के आखिरी छह महीनों में दरें घटने की उम्मीद है.
गोपीनाथ ने आगे कहा कि लोगों की आर्थिक स्थिति पहले से अच्छी है, साथ ही कंपनियों के पास मजबूत बैलेंस शीट है. हमने महंगाई का असर देखा है, साथ ही इनकी मजबूती भी देखी है. श्रम बाजार धीमे पड़ रहे हैं, लेकिन रफ्तार धीमी है. उन्होंने कहा कि संभावनाएं थोड़ी बढ़ी हैं, क्योंकि हमने आर्थिक गतिविधियों को बहुत नुकसान पहुंचाए बगैर महंगाई को कम होते देखा है.
गोपीनाथ ने कहा कि आगे चलकर वैश्विक वित्तीय संकट के बाद पॉलिसी की दरें औसतन ज्यादा होंगी. उसी पैनल पर बोलते हुए यूरोपियन सेंट्रल बैंक गवर्निंग काउंसिल के सदस्य Francois Villeroy de Galhau ने कहा कि आर्थिक बदलाव का मतलब लंबी अवधि में ज्यादा दरें होंगी.
उन्होंने कहा कि ECB की दरें औसतन 2% के करीब रह सकती हैं. Villeroy ने इस बात को लेकर कुछ नहीं कहा कि ECB ब्याज दरों में कब कटौती करेगी. हाल ही में उन्होंने कहा था कि ब्याज दरों में कटौती इसी साल की जा सकती है.