वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने बुधवार को कहा कि एशियन इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक (AIIB) को अपनी नॉन-लेंडिंग सर्विसेज के विस्तार को लेकर विचार करना चाहिए. उन्होंने कहा कि खास तौर पर कम आय वाले देशों के लिए नॉन-लेंडिंग सर्विसेज जैसे तकनीकी और प्रोजेक्ट की तैयारी में मदद शामिल हैं.
PTI की रिपोर्ट के मुताबिक वित्त मंत्री ने AIIB से कहा कि वो इनोवेटिव फाइनेंशियल टूल्स और प्रोडक्ट्स का ज्यादा प्रावधान करे. इसके अलावा वो निजी क्षेत्र के संसाधनों को मोबलाइज करने में अहम भूमिका निभाए, न सिर्फ कैपिटल के तौर पर बल्कि तकनीकी निपुणता, इनोवेशन की तरह भी.
वित्त मंत्रालय ने X पर पोस्ट करके ये बताया है. केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा कि दुनिया कई चुनौतियों का सामना कर रही है. जलवायु परिवर्तन की मौजूदगी अब ज्यादा देखने को मिल रही है. सस्टेनेबल और मजबूत इंफ्रास्ट्रक्चर की जरूरत अब पहले से ज्यादा है.
उन्होंने आगे कहा कि भू-राजनीतिक तनाव और कर्ज के बोझ से बहुत से देशों को इस इंफ्रास्ट्रक्चर को फाइनेंस करने में दिक्कतों आ रही हैं, इसलिए AIIB पर जिम्मेदारी आती है.
वित्त मंत्री के मुताबिक गवर्नर्स की ये जिम्मेदारी ये सुनिश्चित करना है कि AIIB डिलीवर करे. उन्होंने AIIB के क्लाइंट पर केंद्रीय रवैये, कोरोना महामारी के दौरान रिस्पॉन्स, क्लाइंट आउटरीच बढ़ाने के लिए कई स्पेशल फंड्स को लागू करना और हाल ही में क्लाइमेट फोकस्ड पॉलिसी बेस्ड फाइनेंसिंग की तारीफ की.
हालांकि वित्त मंत्री ने कहा कि जैसा G20 ने तय किया था कि स्केल और असर दोनों के मामलों में कहीं ज्यादा करने की जरूरत है.
भारत के अनुभव का जिक्र करते हुए सीतारमण ने जोर दिया कि फिजिकल इंफ्रास्ट्रक्चर का बड़े स्तर पर विस्तार के साथ डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर से निरंतर ग्रोथ में मदद मिल सकती है. इतने मजबूत फंडामेंटल्स के साथ हम अब शहरी इंफ्रास्ट्रक्चर, ई-मोबिलिटी और रिन्युएबल एनर्जी पर ज्यादा फोकस कर रहे हैं.
उन्होंने AIIB की ऐसी बेस्ड प्रैक्टिसेज को भारत और अन्य एशियाई देशों से कम आय वाले देशों में ट्रांसफर करने की सराहना की. उन्होंने मजबूत और समावेशी भविष्य की ओर इस परिवर्तनकारी सफर में AIIB को पूरे सहयोग और समर्थन को लेकर भरोसा दिया.
इससे पहले AIIB के प्रेजिडेंट Jin Liqun के साथ बैठक के दौरान सीतारमण ने नौ सालों के कम समय में लेंडिंग ऑपरेशंस में बैंक की तेज ग्रोथ की सराहना की थी.
मंत्रालय ने X पर एक पोस्ट में कहा कि केंद्रीय वित्त मंत्री ने सुझाव दिया है कि AIIB को अपने क्लाइंट-केंद्रित रवैये को जारी रखना और सदस्य देशों की मदद करनी चाहिए. खासतौर पर कम आय वाले देशों की तकनीकी मदद और अन्य गैर-वित्तीय सेवाओं के जरिए वित्तीय संसाधन का फायदा लेने में मदद की जानी चाहिए.